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5 साल से लगी प्रतिबंध हटाने मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची थी PFI, मिल गई ये बड़ी राहत

दिल्ली हाईकोर्ट, PFI का लोगो (सौजन्य से: X)

PFI की याचिका पर अब दिल्ली हाईकोर्ट 20 जनवरी 2026 को इस मामले में सुनवाई करेगा और तय करेगा कि क्या पीएफआई पर लगाया गया प्रतिबंध वैध है या नहीं.

Written By Satyam Kumar | Published : October 13, 2025 10:28 PM IST

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर लगे पांच साल के प्रतिबंध को लेकर विवाद अभी भी जारी है. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को पीएफआई द्वारा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ दायर अपील को सुनवाई योग्य माना और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पीएफआई ने यूएपीए ट्रिब्यूनल के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें संगठन पर पांच साल के प्रतिबंध को बरकरार रखा गया था.

चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा कि अदालत के पास यूएपीए अधिनियम की धारा 4 के तहत ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई का अधिकार है. उन्होंने कहा कि मामले को सुनवाई योग्य माना जाता है और केंद्र सरकार को छह हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं. जवाबी हलफनामे के लिए दो हफ्ते का अतिरिक्त समय भी दिया गया है. अब इस मामले में 20 जनवरी को विस्तृत सुनवाई होगी, जिसमें अदालत इस बात पर फैसला करेगी कि क्या पीएफआई पर लगाया गया प्रतिबंध उचित और वैध है या नहीं.

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अब दिल्ली हाईकोर्ट 20 जनवरी 2026 को इस मामले में सुनवाई करेगा और तय करेगा कि क्या पीएफआई पर लगाया गया प्रतिबंध वैध है या नहीं. मार्च 2023 में दिल्ली हाईकोर्ट के अधीन यूएपीए ट्रिब्यूनल ने पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को सही ठहराया था. इसके बाद पीएफआई ने इस फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी. हालांकि, इससे पहले पीएफआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जहां उनकी याचिका खारिज कर दी गई और उन्हें हाई कोर्ट में मामले को उठाने के निर्देश दिए गए थे.

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सितंबर 2022 में केंद्र सरकार ने पीएफआई और इसके जुड़े संगठनों को यूएपीए के तहत 'गैरकानूनी संगठन' घोषित किया था. गृह मंत्रालय ने राजपत्र में यह अधिसूचना जारी की थी, जिसमें पीएफआई पर आतंकवाद से जुड़े गंभीर आरोप लगाए गए थे. आरोप है कि संगठन आतंकी गतिविधियों में शामिल था और देशव्यापी सुरक्षा खतरे के रूप में देखा गया था. इस प्रतिबंध के तहत पीएफआई के अलावा उसके सहयोगी संगठन जैसे रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (एआईआईसी) आदि को भी गैरकानूनी घोषित किया गया.

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