'मुर्शिदाबाद हिंसा की NIA जांच कराने का फैसला केन्द्र सरकार के ऊपर', Calcutta HC की अहम फैसला
कलकत्ता हाई कोर्ट ने मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से विस्थापित हुए लोगों की पहचान करने और उनके पुनर्वास के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन करने का आदेश दिया है. जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने कहा कि मुर्शिदाबाद में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती के निर्देश के लिए 12 अप्रैल को दिया गया अंतरिम आदेश जारी रहेगा. कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि इस समय NIA जांच की अपील पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत नहीं किए गए हैं. हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 की धारा 6(5) के तहत स्वतः संज्ञान लेकर NIA जांच का आदेश देने का अधिकार है.
जांच कमेटी बनाने के उद्देश्य
मुर्शिदाबाद जिले समेत पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में हाल ही में हुई हिंसा के बाद विस्थापित हुए लोगों की पहचान, पुनर्वास और उनके द्वारा FIR दर्ज कराने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक तीन सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि तीन सदस्यीय समिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (WBHRC) के एक-एक अधिकारी के अलावा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA) के सदस्य सचिव भी शामिल होंगे.
अदालत ने कहा,
Also Read
- ममता सरकार को बड़ा झटका, नियुक्त रद्द होने के बाद भी नॉन-टीचिंग स्टॉफ को स्टाइपेंड देने के फैसले पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने लगाई रोक
- वह लॉ स्टूडेंट, कोई हिस्ट्रीशीटर नहीं, उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें... आनन-फानन में शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ कार्रवाई करने पर हाई कोर्ट ने कलकत्ता पुलिस को जमकर लताड़ा
- शर्मिष्ठा पनोली को आज जमानत नहीं, राज्य सरकार को Case Diary लेकर आने के निर्देश... जानें सुनवाई के दौरान Calcutta HC ने आज क्या-कुछ कहा
"हम तीन अधिकारियों वाली एक समिति गठित करना उचित समझते हैं जो स्थिति की निगरानी और समन्वय करेगा."
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले की गंभीरता और सामने आए तथ्यों को देखते हुए यह आवश्यक है कि एक समिति पूरे हालात की निगरानी करे और समन्वय स्थापित करे. यह समिति राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव से मिलकर बनेगी.
क्या करेगी यह समिति?
- हिंसा के कारण विस्थापित हुए व्यक्तियों/परिवारों की पहचान करेगी,
- पीड़ितों की संपत्ति को हुए नुकसान का आकलन करेगी,
- दर्ज की गई FIR की जानकारी एकत्र करेगी,
- जिन पीड़ितों की अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई है, उन्हें FIR दर्ज कराने में सहायता करेगी,
- पुनर्वास होने तक विस्थापितों की भलाई और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी,
- अगली सुनवाई से पहले समिति को अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी.
केन्द्र को NIA जांच को अनुमति: HC
पश्चिम बंगाल में हालिया हिंसा मामलों की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जुड़ी याचिका पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की. अदालत ने स्पष्ट किया कि इस चरण में NIA जांच की अपील पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि अभी तक अदालत के समक्ष पर्याप्त प्रमाण और साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए हैं. हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि केंद्रीय सरकार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 की धारा 6(5) के तहत यह अधिकार प्राप्त है कि यदि वह यह माने कि कोई अनुसूचित अपराध हुआ है, तो वह स्वतः संज्ञान लेकर एनआईए जांच का आदेश दे सकती है.
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार ने इस विषय में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है, लेकिन यदि आने वाले समय में परिस्थितियाँ इसकी मांग करें, तो अदालत का यह अवलोकन केंद्र सरकार के स्वतः संज्ञान लेने या अपनी वैधानिक शक्तियों का प्रयोग करने में कोई बाधा नहीं बनेगा. इस टिप्पणी को NIA जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है, वहीं केंद्र सरकार के लिए यह एक खुला रास्ता है कि वह परिस्थितियों की गंभीरता के अनुसार निर्णय ले सकती है.
हाई कोर्ट ने समिति को विस्थापित व्यक्तियों की पहचान करने, पीड़ितों की संपत्तियों को हुए नुकसान का मूल्यांकन करने तथा दर्ज प्राथमिकियों का आंकड़ा एकत्र करने का निर्देश दिया है. समिति को पीड़ितों द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराने में सुविधा प्रदान करने तथा अंतराल अवधि के दौरान विस्थापित व्यक्तियों के कल्याण की निगरानी करने का भी आदेश दिया गया है. राज्य प्रशासन को निर्देश दिया गया कि वह समिति को सभी आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराए ताकि वह अदालत के निर्देश का अनुपालन कर सके. अदालत ने राज्य सरकार द्वारा गठित समिति और एसआईटी (SIT) को 15 मई को अगली सुनवाई पर अपनी-अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.
(खबर एजेंसी इनपुट के आधार पर है)