वह लॉ स्टूडेंट, कोई हिस्ट्रीशीटर नहीं, उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें... आनन-फानन में शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ कार्रवाई करने पर हाई कोर्ट ने कलकत्ता पुलिस को जमकर लताड़ा
शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है. कलकत्ता हाई कोर्ट का यह फैसला पुलिस द्वारा दी गई केस डायरी देखने के बाद आया. हाई कोर्ट ने कहा कि उसके खिलाफ शिकायत में किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं हुआ है. इसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने सांप्रदायिक टिप्पणियों वाला वीडियो अपलोड करने के आरोप में गिरफ्तार सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर शर्मिष्ठा पनोली को बृहस्पतिवार को अंतरिम जमानत दे दी. लॉ स्टूडेंट पनोली (22) को पिछले सप्ताह हरियाणा के गुरुग्राम से कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ कोलकाता के गार्डन रीच थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
जस्टिस राजा बसु चौधरी की पीठ ने आदेश दिया कि उसे 10,000 रुपये की जमानत राशि और मुचलके पर रिहा किया जाए तथा मामले की जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया. अदालत ने उन्हें बिना अनुमति के देश नहीं छोड़ने का भी निर्देश दिया. हाई कोर्ट ने पुलिस को पनोली को सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, क्योंकि उसने शिकायत की थी कि उसके सोशल मीडिया पोस्ट के बाद उसे धमकियां मिल रही हैं.
यह प्राथमिकी एक वायरल वीडियो के मद्देनजर दर्ज की गई थी, जिसमें उसने ऑपरेशन सिंदूर’ पर बॉलीवुड अभिनेताओं की आलोचना करते हुए विवादास्पद टिप्पणियां की थी. इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाते हुए कि पनोली पुणे के एक संस्थान में कानून की छात्रा है, अदालत ने कहा कि वह कोई हिस्ट्रीशीटर नहीं है. पुलिस के अनुसार वीडियो अब हटा दिया गया है और शिकायतकर्ता ने कहा था कि पनोली का वीडियो कि भारत के नागरिकों के एक वर्ग की धार्मिक आस्था का अपमान करता है और विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य और घृणा को बढ़ावा देता है.
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पनोली 30 मई को गुरुग्राम के एक होटल से गिरफ्तारी के बाद ट्रांजिट रिमांड’ पर कोलकाता लाए जाने के बाद से न्यायिक हिरासत में हैं. पनोली ने अंतरिम जमानत और उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया था.
सुनवाई के दौरान जस्टिस ने कहा कि क्योंकि पनोली को उनके कथित विवादास्पद बयान के लिए गिरफ्तार किया गया था, इसलिए उन्हें कथित तौर पर धमकी देने वालों को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए था. शर्मिष्ठा के वकील डीपी सिंह ने अदालत को बताया कि वह 15 मई से 19 मई के बीच कोलकाता के एक पुलिस थाने में उन्हें दी गई धमकियों और उनके आवास के सामने प्रदर्शन कर रही भीड़ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने गई थीं.
शर्मिष्ठा के वकील ने बताया कि ऑनलाइन धमकियों के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए वह कोलकाता पुलिस के साइबर अपराध अनुभाग में भी गयी थीं. सिंह ने दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीच सोशल मीडिया पर वाकयुद्ध चल रहा था. अभियोजन पक्ष ने तीन जून के निर्देशानुसार मामले की जांच की केस डायरी’ अदालत के समक्ष पेश की.
पंद्रह मई की FIR के आधार पर 22 मई को मजिस्ट्रेट अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था. राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने अदालत के समक्ष बताया कि आरोपी फरार थी और उसे पश्चिम बंगाल के बाहर से पकड़ा गया था. पनोली के वकील ने कहा कि वह कोलकाता से भागी नहीं थीं, बल्कि सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उन्हें दी जा रही कथित धमकियों के कारण गंभीर आशंकाओं के चलते उन्होंने यह कदम उठाया.
शर्मिष्ठा के वकील ने कहा कि प्राथमिकी में किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं किया गया है, तथा पनोली को उनकी गिरफ्तारी के आधार के बारे में जानकारी नहीं दी गई, जो कि कानून के तहत अनिवार्य है. अदालत ने कहा कि शिकायत में इस बारे में कुछ नहीं कहा गया कि कथित सोशल मीडिया पोस्ट में क्या लिखा या दिखाया गया था. शर्मिष्ठा के वकील ने बताया कि पनोली ने सात मई को पोस्ट अपलोड करने के बाद आठ मई को उसे हटा दिया था.
हाई कोर्ट ने कहा कि जब्त की गई सामान की सूची में पनोली का एक मोबाइल फोन और एक लैपटॉप शामिल था तथा आपत्तिजनक वीडियो और सामग्री केस डायरी’, शिकायत और प्राथमिकी में नहीं थी. पनोली की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए सिंह ने दावा किया कि शिकायत की जांच के लिए पुलिस के समक्ष पेश होने के लिए उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया.
(खबर एजेंसी इनपुट से आधार है)