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मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाने से पहले Bombay HC ने 'जज' का ट्रांसफर किया

बॉम्बे हाई कोर्ट, मालेगांव बम ब्लॉस्ट

मालेगांव बम ब्लॉस्ट के पीड़ित परिवारों के वकील ने बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से अनुरोध किया कि जज एके लाहोटी का ट्रांसफर रोक कर उन्हें सुनवाई पूरी करने का मौका दें.

Written By Satyam Kumar | Published : April 7, 2025 12:43 PM IST

हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 200 जिला जजों के ट्रांसफर लिस्ट जारी किया है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने अधिकारिक सूचना में इन सभी जजों को अपने नए कार्यस्थल पर 9 जून से ज्वाइन करने को कहा है. इस ट्रांसफर सूची में एक ऐसा नाम भी हो, जिसने हलचल मचाई हुई है. यह नाम मालेगांव ब्लास्ट मामले की सुनवाई कर रहे जज एके लाहोटी का है, जिनका ट्रांसफर मुंबई की अदालत से नासिक स्थानांतरित किया गया है. बता दें कि एके लाहोटी को जून 2022 से मुंबई के सिटी सिविल और सत्र न्यायालय में नियुक्त किया गया था.

ट्रांसफर पर Bombay HC करें विचार

मालेगांव ब्लास्ट के पीड़ित परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने पहले बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर एके लाहोटी को मुंबई में बनाए रखने की अपील की थी. 20 मार्च को लिखे गए इस लेटर में बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे के हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए उन्हें बताया गया कि विस्फोट मामले में आर्गुमेंट लगभग समाप्त हो चुके हैं. इसलिए स्पेशल जज एके लाहोटी को मुंबई के माननीय सिटी सिविल और सत्र न्यायालय में बनाए रखा जाए. पत्र में यह भी कहा गया है कि माननीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीशों को एक सत्र डिवीजन या स्टेशन पर 2 से 3 वर्षों के लिए नियुक्त किया जाता है. पत्र के अनुसार, जज लाहोटी का तबादला आगामी वार्षिक सामान्य तबादलों के दौरान होने की संभावना है. उन्होंने जून 2022 से मुंबई में अपनी नियुक्ति ग्रहण की थी और अब तीन साल की अवधि पूरी होने वाली है.

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पत्र में यह चिंता व्यक्त की गई है कि न्यायाधीश लाहोटी का तबादला होने से मुंबई बम धमाका मामले का मुकदमा अधूरा रह सकता है, क्योंकि वे इस मामले की सुनवाई लगभग पूरी कर चुके हैं और नए जज के आने से मुकदमे की सुनवाई दोबारा से शुरू करनी पड़ेगी.

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क्या है मामला?

29 सितंबर 2008 को Malegaon शहर में एक मस्जिद के पास एक दोपहिया वाहन पर लगाए गए. विस्फोटक उपकरण के विस्फोट से छह लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे. इस विस्फोट मामले की प्रारंभिक जांच महाराष्ट्र एटीएस द्वारा की गई थी, जिसे 2011 में एनआईए को सौंप दिया गया था.

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