जब मामला हमारे सामने है तो मजिस्ट्रेट रिपोर्ट पर सेशन कोर्ट कैसे स्टे लगा सकती है? बदलापुर एनकाउंटर मामले में न्यायिक प्रक्रिया की अनदेखी पर बॉम्बे HC ने हैरानी जताई
बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को ठाणे सेशन कोर्ट के एक न्यायाधीश के के फेक एनकाउंटर मामले में मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट पर रोक लगाने को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया है. जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और डॉ. नीला गोखले की एक डिवीजन बेंच ने सवाल उठाया कि सत्र न्यायालय द्वारा इस तरह का आदेश कैसे पारित किया जा सकता है, जबकि मामला पहले से ही हाई कोर्ट के समक्ष लंबित है. बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 21 फरवरी के आदेश पर गहरी चिंता व्यक्त की है. अदालत ने कहा कि यह मामला न केवल पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है.
ठाणे सेशन कोर्ट ने क्यों की कार्रवाई?
मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट में पुलिस अधिकारियों द्वारा की गई एनकाउंटर पर सवाल उठाया गया था. मजिस्ट्रेट जांच में यह निष्कर्ष निकाला गया था कि मुठभेड़ 'फर्जी' प्रतीत होती है, क्योंकि उस दिन पुलिस द्वारा आरोपी पर बल का उपयोग 'अन्यायपूर्ण' था. इसी रिपोर्ट को चुनौती देते हुए पुलिसकर्मियों ने सत्र अदालत में चुनौती दी. सेशन ठाणे कोर्ट ने मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट पर रोक लगाते हुए सीआईडी की जांच को बरकरार रखने के निर्देश दिया था.
बदलापुर एनकाउंटर केस
अगस्त 2024 में, आरोपी अक्षय शिंदे को महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलाापुर क्षेत्र में एक स्कूल के शौचालय में दो नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. शिंदे स्कूल में एक अटेंडेंट था. 23 सितंबर को, शिंदे को नवी मुंबई के तलोजा जेल से पूछताछ के लिए ले जाते समय कथित पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया. पुलिस ने दावा किया कि उसने पुलिस वैन में एक अधिकारी की पिस्तौल छीन ली और गोलीबारी की.
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मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय शिंदे और अन्य चार पुलिसकर्मियों को आरोपी की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि पुलिसकर्मियों को स्थिति को नियंत्रित करने का अवसर था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. सत्र अदालत ने मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के निष्कर्षों को अगले सुनवाई तक रोक दिया है, जबकि सीआईडी द्वारा की जा रही जांच जारी रहेगी. अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि आरोपी के परिवार को अपनी बात रखने का उचित अवसर दिया जाए.
चूंकि बदलापुर फेक एनकाउंटर का मामला पहले से ही बॉम्बे हाई कोर्ट के पास लंबित था, ऐसे में अदालत ने सेशन कोर्ट के सुनवाई करने से नाराजी जाहिर की है.