Advertisement

लोग अपनी जाति के सम्मान को लेकर संवेदनशील लेकिन दूसरी जाति.. बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति अनादर का मामला Bombay HC ने की खारिज

Bombay HC, Baba Saheb Ambedkar

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपी की बातचीत में डॉ. आंबेडकर के प्रति अनादर नहीं था और यह भी कि शिकायतकर्ता ने सोशल मीडिया पर ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ उत्तेजक पोस्ट किया था.

Written By Satyam Kumar | Published : March 6, 2025 7:27 PM IST

हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने कहा है कि लोग आजकल अपनी जाति और समुदाय को लेकर तो संवेदनशील हैं, लेकिन दूसरी जातियों और समुदायों के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाते. इसी के साथ  बॉम्बे हाई कोर्ट ने डॉ. बीआर आंबेडकर के प्रति अनादर दिखाने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामला खारिज कर दिया, जबकि मामला दर्ज कराने वाले व्यक्ति को सोशल मीडिया पर ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ पोस्ट करने के लिए फटकार लगाई है. आइये जानते हैं कि कोर्टरूम में सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ...

Bombay HC ने जताई नाराजगी

जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस संजय देशमुख की पीठ ने बुधवार को पारित आदेश में कहा कि हर सोशल मीडिया पोस्ट या भाषण पर प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं होता और ऐसी चीजों के प्रति असहमति या असंतोष जाहिर करने के विवेकशील तरीके भी हैं. पीठ ने याचिकाकर्ता देवेंद्र पाटिल के खिलाफ अगस्त 2019 में छत्रपति संभाजीनगर जिले के दौलताबाद पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (IPC) और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत दर्ज प्राथमिकी और उसमें जारी कार्यवाही को रद्द कर दिया है.

Advertisement

बाबा साहब की सीख मान नहीं रहे और...

प्राथमिकी में दावा किया गया था कि आरोपी ने ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए शिकायतकर्ता को फोन कर धमकाया था. आरोपी ने शिकायतकर्ता को कथित तौर पर अपशब्द कहे थे और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के प्रति अनादर भी दिखाया था. पीठ ने कहा कि आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच हुई बातचीत डॉ. आंबेडकर के प्रति कोई अनादर नहीं दर्शाती. उसने कहा कि फोन करने वाले (आरोपी) ने शिकायतकर्ता से पूछा था कि वह डॉ. आंबेडकर के नाम का इस्तेमाल क्यों कर रहा है, जबकि वह उनके नक्शेकदम पर नहीं चल रहा है. पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता जैसे लोगों के कारण ही इन दिनों आंबेडकर के प्रति सम्मान कम हो गया है.

Also Read

More News

विवेकशील तरीके से जताई असहमति

हाई कोर्ट ने कहा कि इस बातचीत में किसी भी तरह से बाबासाहेब आंबेडकर के प्रति अनादर नहीं दिखता और न ही दो समुदायों के बीच सद्भाव को बिगाड़ने का कोई इरादा जाहिर होता है. उसने कहा कि एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आरोपी केवल शिकायतकर्ता की ओर से सोशल मीडिया पर ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ किए गए उत्तेजक पोस्ट पर प्रतिक्रिया दे रहा था.

Advertisement

अदालत ने कहा,

“किसी समुदाय के व्यक्ति को तब आपत्ति करने का अधिकार नहीं हो सकता, जब उसने खुद कोई उकसाने वाला काम किया हो. सभी समुदायों और जातियों में व्यक्तियों के बीच पारस्परिक सम्मान की भावना होनी चाहिए. यही संविधान की आत्मा है.”

अदालत ने कहा,

“आजकल हर कोई अपनी जाति और समुदाय को लेकर संवेदनशील है, लेकिन दूसरे समुदाय या जाति के प्रति कोई पारस्परिक सम्मान नहीं दिखाता.”

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि अगर कोई समुदाय या समुदाय या जाति से जुड़े व्यक्ति संयम नहीं दिखाते हैं और सद्भाव लाने के प्रयास नहीं करते हैं, तो भविष्य में ऐसी घटनाएं बढ़ेंगी. उसने कहा कि हर खराब पोस्ट, टिप्पणी या भाषण पर प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने हिदायत देते हुए कहा कि ऐसे उत्तेजक पोस्ट साझा करने वाले व्यक्ति के प्रति असहमति दिखाने के विवेकशील तरीके और साधन भी मौजूद हैं.

(खबर पीटीआई भाषा इनपुट से है)