बटला हाउस में 10 जुलाई तक यथास्थिति बनाए रखें... अनाधिकृत मकानों पर DDA के ध्वस्तीकरण के कार्रवाई पर Delhi HC ने लगाई रोक
दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी के बटला हाउस क्षेत्र में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा प्रस्तावित तोड़फोड़ पर 10 जुलाई तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। जस्टिस तेजस करिया ने 16 जून को जारी आदेश में डीडीए और अन्य हितधारकों से चार हफ्ते के भीतर जवाब भी मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को की जाएगी.
तब तक के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि इस बीच, पक्षों द्वारा यथास्थिति बनाए रखी जाएगी. बता दें कि अदालत डीडीए के ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. याचिकाकर्ताओं में से एक ने दावा किया कि उसकी संपत्ति, खसरा संख्या 279 में होने के बावजूद पीएम-उदय योजना के तहत पात्र है.
हाई कोर्ट ने 11 जून को आम आदमी पार्टी (आप) विधायक अमानतुल्लाह खान द्वारा ध्वस्तीकरण के मुद्दे पर दायर जनहित याचिका पर कोई राहत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि इस तरह की जनहित याचिका में संरक्षण का आम आदेश पारित करने से व्यक्तिगत वादियों का मामला खतरे में पड़ सकता है.
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DDA की अवैध निर्माण ध्वस्त करने की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश से शुरू हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने DDA को सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि निवासी डेमोलिशन नोटिस से प्रभावित होते हैं, तो वे कानून के अनुसार उचित प्रक्रिया अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं. वहीं, DDA की ध्वस्तीकरण का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि डीडीए ने उन्हें केवल नोटिस जारी किया है. उनके संबंधित जमीन पर अपना मालिकाना हक जमा करने का मौका नहीं दिया है, ना ही उन्हें पुर्नवास करने का मौका मिला है.
सुप्रीम कोर्ट ने सात मई को डीडीए को खसरा संख्या 279 में अनधिकृत निर्माणों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था. बता दें कि हाल में ही 22 और 26 मई को, उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग और DDA द्वारा दो अलग-अलग नोटिस जारी किए गए, जिसमें प्रभावित क्षेत्र में खसरा संख्या 277 और 279 का हवाला दिया गया. बता दें कि ओखला गांव में मुरादी रोड पर इस जमीन के करीब 2.8 बीघा या 0.702 हेक्टेयर होने का अनुमान है.