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NH के नीचे स्थानीय लोगों के लिए अंडरपास बनाने की मांग खारिज, जानें Allahabad HC ने क्यों हाईवे प्रोजेक्ट में हस्तक्षेप से किया इनकार

Allahaabd HC, National Highway

बलिया जिले के नगवा गांव के निवासियों ने Allahabad HC से निर्देश देने का अनुरोध किया था कि NHAI द्वारा निर्मित ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे पर स्थित उनके गांव के लिए एक अंडरपास का निर्माण किया जाए ताकि गांव के लोगों को आवागमन में आसानी हो.

Written By Satyam Kumar | Published : April 18, 2025 6:03 PM IST

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले का है, जहां से नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट परियोजना निकलना तय हुआ. परियोजना के गुजरने से कुछ स्थानीय को आवाजाही में परेशानी होने लगी, इसके लिए वे अंडरपास बनाने की मांग को इलाहाबाह हाई कोर्ट में याचिका लेकर पहुंचे. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के मामलों में, अदालत का कुछ निवासियों की सुविधा के लिए परियोजना में बदलाव का निर्देश देना उचित नहीं होगा.

NH प्रोजेक्ट में हस्तक्षेप करने से किया इंकार

रिट याचिका में कोई भी निर्देश जारी करने से इनकार करते हुए जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने 8 अप्रैल को अपने फैसले में कहा कि परियोजना की प्रकृति अत्यंत सार्वजनिक महत्व की है और परियोजना रिपोर्ट में निवासियों की आवश्यकता को ध्यान में रखा गया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना अत्यंत महत्वपूर्ण है और जब तक दुर्भावना या स्पष्ट मनमानी नहीं दिखाई जाती, तब तक अदालत इस तरह की महत्वपूर्ण सार्वजनिक परियोजना में हस्तक्षेप करने से हिचकिचाएगी.

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बीते दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने NHAI द्वारा निर्मित ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे पर स्थित बलिया जिले के एक गांव को जोड़ने के लिए अंडरपास के निर्माण के लिए कोई निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया. अदालत ने पाया कि परियोजना रिपोर्ट में निवासियों की आवश्यकता का ध्यान रखा गया है और प्रत्येक गांव को एक्सप्रेसवे से जोड़ना संभव नहीं है. अदालत में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों से पता चला कि समुचित संपर्क पहले ही प्रदान किया जा चुका है.

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हालांकि,अदालत के समक्ष एक लिखित निर्देश प्रस्तुत किया गया जिसमें कहा गया कि उचित कनेक्टिविटी पहले ही प्रदान की जा चुकी है. सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि परियोजना में प्रस्तावित प्रावधान गांव के निवासियों की आवश्यकता को पर्याप्त रूप से पूरा नहीं करते हैं. लेकिन इन दलीलों से इंकार करते हुए हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.

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