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सालार मसूद गाजी दरगाह पर 'उर्स' आयोजित नहीं होगी... Allahabad HC ने UP Govt के फैसले में हस्तक्षेप करने से किया इंकार

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सालार गाजी मसूद दरगाह पर 'उर्स' के आयोजन संबंधी प्रार्थना पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के निर्णय में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया.

Written By Satyam Kumar | Published : May 17, 2025 8:06 PM IST

आज इलाहाबाद हाई कोर्ट की स्पेशल बेंच, सालार गाजी मसूद दरगाह पर उर्स आयोजित करने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के लिए बैठी. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बहराइच जिले के सैयद सालार मसूद गाजी दरगाह पर वार्षिक 'ज्येष्ठ मेला' के आयोजन की अनुमति न देने के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार किया है. हालांकि, जस्टिस अत्ताउर रहमान मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने एक अंतरिम उपाय के रूप में दरगाह शरीफ में रूटीन गतिविधियों को जारी रखने की अनुमति दी. साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कानून-व्यवस्था बनाए रखने और आवश्यक नागरिक सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया है, जो दरगाह प्रबंधन समिति के सहयोग से किया जाएगा. साथ ही, समिति को यह सुनिश्चित करना होगा कि श्रद्धालुओं की संख्या सामान्य रहे ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना या अवांछनीय स्थिति से बचा जा सके.

उर्स आयोजन पर जिला प्रशासन के आदेश को चुनौती

बता दें कि ये याचिका वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ, बहराइच की ओर से दायर की गई थी, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसने इस वर्ष उर्स आयोजित करने की अनुमति नहीं दी थी. इसे लेकर याचिकाकर्ता का तर्क है कि 1 अप्रैल, 1987 के एक आदेश के तहत प्रशासन स्वयं उर्स की व्यवस्था करने के लिए बाध्य है और जिला मजिस्ट्रेट को उर्स रोकने का कोई अधिकार नहीं है.

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पिछली सुनवाई में, इस मामले को हाई कोर्ट के जस्टिस राजन रॉय और ओपी शुक्ला की खंडपीठ ने सुनवाई की तारीख 14 मई तय की थी. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता एल पी मिश्रा ने दरगाह शरीफ की ओर से बहस किया. सीनियर एडवोकेट ने अदालत में तर्क दिया कि यह दरगाह 1375 ईस्वी में फिरोज शाह तुगलक द्वारा सैयद सालार मसूद गाजी की याद में स्थापित की गई थी. हर साल हिंदू महीने ज्येष्ठ (मई-जून) में यहां एक महीने का उर्स आयोजित किया जाता है, जिसमें भारत और विदेशों से चार से पांच लाख लोग आते हैं. वकील मिश्रा ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट को उर्स रोकने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि 1 अप्रैल 1987 को जारी आदेश के तहत प्रशासन को खुद उर्स के लिए व्यवस्था करनी होती है.

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याचिका का विरोध करते हुए अदालत को सूचित किया गया कि जिला मजिस्ट्रेट का आदेश स्थानीय खुफिया इकाई (LIU) और अन्य विभागों की रिपोर्ट पर आधारित है. साथ ही इसमें  दरगाह के अंदर उर्स आयोजित करने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन उर्स के आयोजन से लगभग 5 किमी के दायरे में सुरक्षा संबंधी चिंताएं हो सकती हैं.

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इस पर सीनियर एडवोकेट एलपी मिश्रा ने अदालत को बताया कि उनके सहयोगी वकील सैयद हुसैन ने उन्हें सूचित किया है कि दरगाह के चारों ओर 1.5 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र दरगाह का ही है. तो प्रमाण के तौर पर अदालत ने उनसे दरगाह के नाम पर पंजीकृत दस्तावेजों की मांग की. इस पर, मिश्रा ने दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा. अदालत ने समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 14 मई तय की.