जिस सिरप को पीने से 15 बच्चों की हुई थी मौत, उस दवा कंपनी का लाइसेंस Allahabad HC ने किया बहाल, इस वजह से यूपी सरकार का फैसला पलटा
मेसर्स मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड नामक दवा कंपनी द्वारा बनाए गए समरकंद का जूस पीने से कथित तौर पर उजबेकिस्तान में 15 बच्चों की मौत हो गई थी. इस घटना के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया था. दवा कंपनी ने इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने लाइसेंस रद्द करने के फैसले को खारिज कर दिया है. आइये जानते हैं कि हाई कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले को रद्द करतेे हुए कहा...
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दवा कंपनी के लाइसेंस को बहाल किया और अपने आदेश में कहा कि ने उज्बेकिस्तान की अदालतों के निर्णय में दवा की गुणवत्ता के संबंध में कुछ टिप्पणियां थीं, लेकिन ये निर्णय भारतीय कानून के तहत लाइसेंस रद्द करने के पर्याप्त आधार नहीं थे. भारतीय अधिकारियों ने कंपनी के कारखाने का निरीक्षण भी किया है, इस दौरान उन्होंने दवाओं के नमूनों का परीक्षण किया, लेकिन उन्हें लाइसेंस रद्द करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले. आदेश के अनुसार, आगे कंपनी को आदेश लागू कराने के लिए उज्बेकिस्तान की अदालत के आदेश की प्रमाणित प्रति और हाई कोर्ट के फैसले की एक रिपोर्ट उत्तर प्रदेश औषधि लाइसेंसिग एवं नियंत्रण प्राधिकरण और भारत के औषधि महानियंत्रक को जमा करनी होगी.
याचिकाकर्ता की विनिर्माण इकाई गौतम बुद्ध नगर जिले में है. उज्बेकिस्तान में वर्ष 2022 में इस कंपनी द्वारा तैयार सिरप पीने से 15 बच्चों की मृत्यु होने की सूचना पर केंद्र और राज्य के औषधि अधिकारियों की एक संयुक्त जांच टीम ने फैक्टरी परिसर का कई बार निरीक्षण किया था और जांच एवं विश्लेषण के लिए दवाओं के नमूने लिए थे. बाद में इन अधिकारियों ने नमूने गुणवत्ता मानक के अनुरूप नहीं पाए और 13 मार्च, 2023 को आदेश जारी कर कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया. कंपनी ने लाइसेंस रद्द करने के इसी फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राहत आदेश सुनाया है.
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(खबर पीटीआई इनपुट पर आधारित है)