Advertisement

जिस सिरप को पीने से 15 बच्चों की हुई थी मौत, उस दवा कंपनी का लाइसेंस Allahabad HC ने किया बहाल, इस वजह से यूपी सरकार का फैसला पलटा

Allahabad HC

दवा कंपनी की लाइसेंस को बहाल करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि भारतीय कानून स्वतंत्र और पूर्ण हैं और उन्हें विदेशी अदालत के फैसले की आवश्यकता नहीं है. आइये जानते हैं पूरा मामला...

Written By Satyam Kumar | Published : June 14, 2025 11:19 PM IST

मेसर्स मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड नामक दवा कंपनी द्वारा बनाए गए समरकंद का जूस पीने से कथित तौर पर उजबेकिस्तान में 15 बच्चों की मौत हो गई थी. इस घटना के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया था. दवा कंपनी ने इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने लाइसेंस रद्द करने के फैसले को खारिज कर दिया है. आइये जानते हैं कि हाई कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले को रद्द करतेे हुए कहा...

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दवा कंपनी के लाइसेंस को बहाल किया और अपने आदेश में कहा कि ने उज्बेकिस्तान की अदालतों के निर्णय में दवा की गुणवत्ता के संबंध में कुछ टिप्पणियां थीं, लेकिन ये निर्णय भारतीय कानून के तहत लाइसेंस रद्द करने के पर्याप्त आधार नहीं थे. भारतीय अधिकारियों ने कंपनी के कारखाने का निरीक्षण भी किया है, इस दौरान उन्होंने दवाओं के नमूनों का परीक्षण किया, लेकिन उन्हें लाइसेंस रद्द करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले. आदेश के अनुसार, आगे कंपनी को आदेश लागू कराने के लिए उज्बेकिस्तान की अदालत के आदेश की प्रमाणित प्रति और हाई कोर्ट के फैसले की एक रिपोर्ट उत्तर प्रदेश औषधि लाइसेंसिग एवं नियंत्रण प्राधिकरण और भारत के औषधि महानियंत्रक को जमा करनी होगी.

Advertisement

याचिकाकर्ता की विनिर्माण इकाई गौतम बुद्ध नगर जिले में है. उज्बेकिस्तान में वर्ष 2022 में इस कंपनी द्वारा तैयार सिरप पीने से 15 बच्चों की मृत्यु होने की सूचना पर केंद्र और राज्य के औषधि अधिकारियों की एक संयुक्त जांच टीम ने फैक्टरी परिसर का कई बार निरीक्षण किया था और जांच एवं विश्लेषण के लिए दवाओं के नमूने लिए थे. बाद में इन अधिकारियों ने नमूने गुणवत्ता मानक के अनुरूप नहीं पाए और 13 मार्च, 2023 को आदेश जारी कर कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया. कंपनी ने लाइसेंस रद्द करने के इसी फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राहत आदेश सुनाया है.

Also Read

More News

(खबर पीटीआई इनपुट पर आधारित है)

Advertisement