सरकारी जमीन पर बने मैरिज हॉल-हॉस्पिटल पर रोक लगाने से इंकार... इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संभल मस्जिद की याचिका की खारिज
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को याचिकाकर्ताओं को झटका देते हुए संभल मस्जिद समिति द्वारा दायर एक तत्काल याचिका खारिज कर दी, जिसमें कथित तौर पर सरकारी जमीन पर बनी एक मस्जिद, मैरिज हॉल और अस्पताल के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की मांग की गई थी. जस्टिस दिनेश पाठक की एकल पीठ ने मस्जिद शरीफ गौसुल वारा रवा बुजुर्ग और उसके मुतवल्ली मिंजर की याचिका पर सुनवाई की. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया और मस्जिद समिति को निर्देश दिया कि वह स्थगन याचिका के साथ सक्षम निचली अदालत का रुख करे.
याचिकाकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के तहत 2 सितंबर को पारित आदेश को चुनौती दी थी. उन्होंने तर्क दिया कि 2 अक्टूबर को चार बुलडोजरों से ध्वस्त किया जा चुका मैरिज हॉल तालाब की जमीन पर बना था, लेकिन उन्होंने दावा किया कि गांधी जयंती और दशहरा के दिन विध्वंस करने से कानून-व्यवस्था बिगड़ने का खतरा है. प्रशासन ने मस्जिद को भी नोटिस जारी किया था, जिसके कुछ हिस्से कथित तौर पर सरकारी जमीन पर बने हैं और समिति को चार दिन की समय-सीमा दी गई थी. समय-सीमा समाप्त होने से पहले ही, मस्जिद समिति के सदस्यों ने कथित तौर पर दीवार के कुछ हिस्सों को खुद ही गिराना शुरू कर दिया.
दशहरे के दिन, संभल जिला प्रशासन ने अवैध अतिक्रमणों के खिलाफ ध्वस्तीकरण अभियान चलाया और रावा बुजुर्ग गांव में सरकारी जमीन पर बने एक मैरिज हॉल को गिरा दिया गया. गुरुवार सुबह चलाए गए इस अभियान के तहत, इलाके को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में बदल दिया गया, जहां लगभग 200 पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) के जवान तैनात थे. इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया. शुक्रवार को पिछली सुनवाई के दौरान, हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से जमीन के रिकॉर्ड जमा करने को कहा था. याचिका में राज्य सरकार, जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक संभल, एडीएम, तहसीलदार और ग्राम सभा को पक्षकार बनाया गया था. अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक श्री त्रिपाठी ने मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व किया, जबकि मुख्य स्थायी वकील जेएन मौर्य और स्थायी अधिवक्ता आशीष मोहन श्रीवास्तव शनिवार को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश हुए.
Also Read
- फाइलों के पन्ने पलटने में लार के इस्तेमाल पर रोक... इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रजिस्ट्री को दिया ये सख्त निर्देश
- धर्म बदलना अवैध तो क्या कन्वर्ट होने के बाद की गई शादी होगी वैध? जानें 25 हजार जुर्माने लगाते हुए इलाहाबाद HC ने क्या फैसला सुनाया
- श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद: इलाहाबाद HC ने अगली सुनवाई 26 सितंबर को तय की, सभी पक्षों से अपना पक्ष रखने को कहा