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सालार मसूद गाजी के 'उर्स' आयोजित करने देने की मांग, जिला प्रशासन के फैसले के खिलाफ Allahabad HC में याचिका दाखिल

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बहराइच में सैय्यद सालार मसूद गाजी के दरगाह पर वार्षिक उर्स की अनुमति देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है.

Written By Satyam Kumar | Published : May 8, 2025 12:08 PM IST

बीते दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें बहराइच जिला प्रशासन से दरगाह सैय्यद सालार मसूद गाजी में वार्षिक उर्स आयोजित करने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में जिला मजिस्ट्रेट द्वारा उर्स आयोजित करने की अनुमति नहीं देने के आदेश को चुनौती दी गई है. इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है और दरगाह की ओर से प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की मांग की है. वहीं, मामले अगली सुनवाई 14 मई को तय की गई है.

उर्स आयोजन पर जिला प्रशासन के आदेश को चुनौती

याचिका वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ, बहराइच की ओर से दायर की गई, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसने इस वर्ष उर्स आयोजित करने की अनुमति नहीं दी थी. इसे लेकर याचिकाकर्ता का तर्क है कि 1 अप्रैल, 1987 के एक आदेश के तहत प्रशासन स्वयं उर्स की व्यवस्था करने के लिए बाध्य है और जिला मजिस्ट्रेट को उर्स रोकने का कोई अधिकार नहीं है.

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लखनऊ बेंच के जस्टिस राजन रॉय और ओ पी शुक्ला ने अगली सुनवाई की तारीख 14 मई तय की है. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता एल पी मिश्रा ने दरगाह शरीफ की ओर से बहस की. सीनियर एडवोकेट ने अदालत में तर्क दिया कि यह दरगाह 1375 ईस्वी में फिरोज शाह तुगलक द्वारा सैयद सालार मसूद गाजी की याद में स्थापित की गई थी. हर साल हिंदू महीने ज्येष्ठ (मई-जून) में यहां एक महीने का उर्स आयोजित किया जाता है, जिसमें भारत और विदेशों से चार से पांच लाख लोग आते हैं. वकील मिश्रा ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट को उर्स रोकने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि 1 अप्रैल 1987 को जारी आदेश के तहत प्रशासन को खुद उर्स के लिए व्यवस्था करनी होती है.

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याचिका का विरोध करते हुए अदालत को सूचित किया गया कि जिला मजिस्ट्रेट का आदेश स्थानीय खुफिया इकाई (LIU) और अन्य विभागों की रिपोर्ट पर आधारित है. साथ ही इसमें  दरगाह के अंदर उर्स आयोजित करने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन उर्स के आयोजन से लगभग 5 किमी के दायरे में सुरक्षा संबंधी चिंताएं हो सकती हैं.

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इस पर सीनियर एडवोकेट एलपी मिश्रा ने अदालत को बताया कि उनके सहयोगी वकील सैयद हुसैन ने उन्हें सूचित किया है कि दरगाह के चारों ओर 1.5 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र दरगाह का ही है. तो प्रमाण के तौर पर अदालत ने उनसे दरगाह के नाम पर पंजीकृत दस्तावेजों की मांग की. इस पर, मिश्रा ने दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा. अदालत ने समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 14 मई तय की.