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क्या हम असमानता को समाप्त कर पाए हैं? विश्व समाजिक न्याय दिवस पर सुप्रीम कोर्ट जस्टिस संजय करोल ने बताया

Justice Sanjay karol, Supreme Court

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय करोल ने विश्व सामाजिक न्याय दिवस पर आयोजित एक सेमिनार के दौरान कहा कि आर्थिक विकास और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में प्रगति के बावजूद, गरीबी और प्रणालीगत भेदभाव सहित महत्वपूर्ण चुनौतियाँ बनी हुई हैं.

Written By Satyam Kumar | Published : February 21, 2025 8:42 AM IST

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल ने बृहस्पतिवार को कहा कि विश्व सामाजिक न्याय दिवस के मौके पर यह चिंतन करने की जरूरत है कि देश में सामाजिक न्याय के आदर्शों को कितना साकार किया गया है. वह विश्व सामाजिक न्याय दिवस के मौके पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. न्यायमूर्ति करोल ने कहा कि यह दिन न केवल देश की प्रगति को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक न्याय के वास्तविक सार को हासिल करने में अभी भी मौजूद अपार चुनौतियों की ओर भी ध्यान दिलाता है.

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने कहा कि संविधान को अपनाने के 75वें वर्ष में भी, आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए सामाजिक न्याय का वादा पूरा नहीं हो पाया है, गरीबी का मुद्दा अभी भी कायम है और कई समुदायों को प्रणालीगत भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. जस्टिस करोल ने कहा कि हम 2025 में विश्व सामाजिक न्याय दिवस मना रहे हैं, ऐसे में हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि हम अपने संविधान में निर्धारित सामाजिक न्याय लक्ष्यों को प्राप्त करने में कितनी दूर आ गए हैं। हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत ने आर्थिक विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है लेकिन हमें इस असहज सच्चाई का भी सामना करना होगा कि संपन्न और वंचितों के बीच का अंतर अभी भी बहुत बड़ा है और हाल के वर्षों में कई मामलों में यह तीव्र भी हो गया है.

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जस्टिस करोल ने कहा कि वास्तव में, कुछ लोगों के हाथों में धन का संकेन्द्रण और भी अधिक स्पष्ट हो गया है, जबकि हमारे लाखों साथी नागरिक अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. भारत में असमानता को लेकर हाल की बहस से पता चलता है कि आबादी के सबसे धनी एक प्रतिशत लोगों के पास देश की संपत्ति का अनुपातहीन हिस्सा है, जबकि समाज का एक बड़ा वर्ग आर्थिक विकास के लाभों से वंचित है. उन्होंने कहा कि आपराधिक न्याय में तुलनात्मक आपराधिक कानून पर शोध का अध्ययन वैश्विक स्तर पर सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है.

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(खबर पीटीआई भाषा से है)

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