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देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित CJI बनें जस्टिस बीआर गवई, अपने कार्यकाल को लेकर बड़ा 'हिंट' दे गए

CJI BR Gavai

CJI बीआर गवई देश के 52वें सीजेआई बन चुके हैं. उनका यह कार्यकाल सात महीने का होगा. आइये जानते हैं कि उन्होंने अपने कार्यकाल और लक्ष्य को लेकर क्या बताया है.

Written By Satyam Kumar | Published : May 14, 2025 11:56 AM IST

CJI BR Gavai: जस्टिस बीआर गवई देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित सीजेआई बन गए है. आज सुबह दस बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में इस पद की शपथ दिलाई. सीजेआई बीआर गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा. वे 23 नवंबर 2025 तक सेवा में रहेंगे.

दूसरे दलित और पहले बौद्ध CJI

जस्टिस बीआर गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं. उनसे पहले जस्टिस के. जी. बालाकृष्णन इस पद पर आसीन रहे थे. जस्टिस बालाकृष्णन साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे. वहीं, शपथ समारोह से पहले बीआर गवई ने मीडिया से बात की. इस दौरान उन्होंने देश के कई समसामयिक मुद्दे, न्यायपालिका के सामने चुनौतियां, और अपने कार्यकाल को लेकर बातें की. इसी दौरान सीजेआई बीआर गवई ने कहा था कि वे देश के पहले बौद्ध सीजेआई भी बनने वाले हैं. जस्टिस बीआर गवई ने कहा था कि मैं सेक्यूलर हूं लेकिन बौद्ध धर्म का पालन करता हूं. मैं मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा सब जगह जाता हूं. सभी धर्म के लोगों से मेरे संबंध हैं. बाबा साहब अम्बेडकर के साथ ही मेरे पिता जी ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया था. मैं देश का पहला बौद्ध चीफ जस्टिस बनूंगा.

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अपने कार्यकाल को लेकर क्या बता गए CJI BR Gavai

चीफ जस्टिस (सीजेआई) के रूप में जस्टिस गवई का पहला लक्ष्य भारत की अदालतों में लंबित मामलों का निपटारा करना है. वे एडमिनिस्ट्रेटिव हेड होने के नाते वे शीर्ष अदालत से लेकर निचली अदालतों तक सभी स्तरों पर लंबित मामलों के बोझ को कम करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे.

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हालांकि, CJI ने यह भी कहा कि वे अपने कार्यकाल के शुरूआत में कोई भी बड़ा वादा नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने कहा कि अक्सर शुरुआती बड़े-बड़े वादे पूरे नहीं हो पाते हैं, इसलिए वे यथार्थवादी लक्ष्यों पर काम करेंगे.

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2019 में सुप्रीम कोर्ट जज पदोन्नत हुए

सीजेआई बीआर गवई बॉम्बे हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किए गए थे. उन्हें 24 मई 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया. और अपने इस छह वर्षों के कार्यकाल में जस्टिस गवई करीब 700 पीठों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें उन्होंने संविधान, प्रशासनिक, दीवानी, आपराधिक, वाणिज्यिक, पर्यावरण और शिक्षा संबंधी मामलों पर काम किया. उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं, इनमें कई संविधान पीठ के ऐतिहासिक फैसले भी शामिल हैं, जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों की रक्षा से जुड़े हैं. जस्टिस गवई ने उलानबटार (मंगोलिया), न्यूयॉर्क (अमेरिका), कार्डिफ़ (यूके) और नैरोबी (केन्या) जैसे शहरों में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय सहित विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में संवैधानिक और पर्यावरणीय विषयों पर व्याख्यान भी दिए हैं. वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे.

संसद बड़ा न्यायपालिका, CJI ने क्या कहा?

संसद बड़ा या न्यायपालिका के सवाल पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपने तेरह सदस्यीय संविधान पीठ में पहले भी साफ कर चुका है कि संविधान सुप्रीम है. न्यायपालिका को लेकर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और उप राष्ट्रपति के बयान पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि लोग कुछ भी कहें संविधान ही सुप्रीम है. केशवानंद भारती मामले में 13 जजों के फैसले में कोर्ट यह साफ कर चुका है. वहीं, जस्टिस यशवंत वर्मा के सवाल पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जस्टिस संजीव खन्ना ने पहले ही पूरी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेज दी है. अब आगे की कार्रवाई प्रक्रिया के मुताबिक होगी.

रिटायर होने के बाद कोई पद नहीं: CJI BR Gavai

रिटायर होने के बाद राजनीति मे जाने के सवाल पर जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि उनका राजनीति में जाने कोई इरादा नहीं है. हालांकि उनके पिता महाराष्ट्र के एक बडे नेता थे. बिहार समेत कई राज्यों के गवर्नर रहे थे लेकिन मुझे राजनीति मे नहीं जाना है. उस समय की राजनीति की बात कुछ और थी. जस्टिस गवई ने कहा कि जब एक बार आप सीजेआई बन जाते है तो रिटायरमेंट के बाद उन पदों को स्वीकार नही करना चाहिए जो प्रोटोकॉल में सीजेआई के पद से नीचे हो, गवर्नर का पद भी सीजेआई से नीचे आता है.

(खबर एजेंसी इनपुट से भी है)