सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की याचिका पर केंद्र, पंजाब सरकार से मांगा जवाब, पंजाब के CM बेअंत सिंह की हत्या से जुड़ा है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए बलवंत सिंह राजोआना की उस याचिका पर केंद्र, पंजाब सरकार और अन्य से जवाब मांगा है, जिसमें उसकी दया याचिका पर निर्णय लेने में अत्यधिक देरी’’ के कारण उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
दया याचिका में देरी के चलते मांगी राहत
राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि प्रतिवादी प्राधिकारियों को उसकी ओर से दायर दया याचिका पर निर्णय लेने में अत्यधिक देरी’’ के कारण उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला जाये. याचिका में कहा गया है कि इसलिए उसकी रिहाई के लिए निर्देश जारी किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष तीन मई को राजोआना को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी नई याचिका में राजोआना ने कहा है कि उसने कुल मिलाकर लगभग 28 साल और आठ महीने की सजा काटी है, जिसमें से 17 साल उसने मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी के रूप में काटी है.
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उसकी याचिका पर 25 सितंबर को न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई हुई. पीठ में न्यायमूर्ति पी. के. मिश्रा और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन भी शामिल थे.
पीठ ने कहा, नोटिस जारी किया जाता है और इस पर चार नवंबर को जवाब दाखिल किया जाये.’’
राजोआना ने अपनी याचिका में कहा है कि मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उसकी ओर से क्षमादान का अनुरोध करते हुए संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत एक दया याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया है कि एक साल से अधिक समय बीत चुका है, जब सुप्रीम कोर्ट ने सक्षम प्राधिकारी को उसकी ओर से दायर दया याचिका पर विचार करने और उस पर आगे निर्णय लेने का निर्देश दिया था. याचिका में एक अलग मामले मेंसुप्रीम कोर्ट के पिछले साल अप्रैल के आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें अदालत ने सभी राज्यों और उपयुक्त प्राधिकारियों को लंबित दया याचिकाओं पर जल्द से जल्द और बिना किसी देरी के फैसला करने का निर्देश दिया था.
कौन है राजोआना?
राजोआना पंजाब पुलिस में कांस्टेबल था और उसे 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर हुए विस्फोट मामले में दोषी पाया गया था. इस घटना में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह तथा 16 अन्य लोग मारे गए थे. एक विशेष अदालत ने राजोआना को जुलाई, 2007 में मौत की सजा सुनाई थी.
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