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Income Tax Act 1961 की धारा 194Q को लागू करने का उद्देश्य क्या है - जानिए

यदि कोई खरीदार टीडीएस एकत्र करने में विफल रहता तब किसी भी खरीद लेनदेन में से 30% जिस पर टीडीएस नहीं काटा गया है, खर्च या व्यय के रूप में अस्वीकृत हो जाएगा.

Written By My Lord Team | Updated : March 13, 2023 9:58 AM IST

नई दिल्ली: आयकर अधिनियम 1961 एक ऐसा कानून है जो व्यक्तियों या संस्थाओं पर उनके द्वारा अर्जित आय या लाभ के संबंध में कर (TAX) को नियंत्रित करता है. इस अधिनियम के विपरीत जाने पर या किसी गलती पर सजा या जुर्माना भरना पड़ सकता है. इसलिए आयकर को भरते समय आयकर दाताओं को सावधानी बरतने की ज़रुरत है.

आयकर की परिधि को बढ़ाने के लिए सरकार हमेशा से प्रयासरत है और इनमे से एक कदम था वर्ष 2021 में आयकर अधिनियम में वित्तीय अधिनियम द्वारा धारा 194 Q का जोड़ा जाना. धारा 194 Q माल की खरीद पर स्रोत कटौती (TDS) की बात करता है. इस प्रावधान के जुड़ने के बाद आयकर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि उत्पादों की खरीद पर टीडीएस लगाया गया है.
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धारा 194 Q क्या कहती है?

इस धारा का उद्देश्य माल की खरीद पर टीडीएस को प्रत्यायोजित करना है जहां राशि मौजूदा वित्तीय वर्ष में पचास लाख रुपये से अधिक है और पिछले वित्तीय वर्ष में दस करोड़ रुपये से अधिक है.

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किसी विक्रेता से, खरीदार ने 50 लाख रुपये से अधिक का सामान खरीदा है, तो एक वित्तीय वर्ष में 50 लाख रुपये से अधिक की राशि पर 0.1% की दर से टीडीएस काटा जाना है. सरल शब्दों में धारा 194Q को विक्रेता को भुगतान करते समय कर काटने के लिए खरीदार पर दायित्व लगाने के लिए पेश किया गया था.
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किसे TDS काटना है?

● कोई भी व्यक्ति जो किसी अन्य व्यक्ति से सामान खरीदता है और उन सामानों का मूल्य एक कैलेंडर वर्ष में 50,00,000 रुपये से अधिक होता है.

● एक खरीदार जिसका कारोबार या बिक्री ठीक पिछले वित्तीय वर्ष में दस करोड़ से अधिक थी.

यह धारा किस प्रकार के लेन-देन पर लागू होगी?

● टीडीएस केवल उन भुगतानों के लिए लागू होता है जो ठेकेदारों को कार्य अनुबंध उद्देश्यों के लिए किए जाते हैं.

● 1 जुलाई 2021 के बाद की खरीदारी पर ही टीडीएस काटना होगा.

● एक व्यक्ति जिसकी कुल बिक्री या टर्नओवर पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान उसके व्यवसाय से दस करोड़ से अधिक या मौजूदा वर्ष में पचास लाख से अधिक हो.

धारा 194Q को लागू करने के लिए शर्तें

● विक्रेता भारत का निवासी होना चाहिए

● 50 लाख से अधिक की राशि पर 0.1% की दर से टीडीएस लगाया जाएगा

● यदि लेनदेन, आयकर अधिनियम 1961 की किसी अन्य धारा के तहत टीडीएस और टीसीएस के अधीन है तो इस खंड की आवश्यकताएं लागू नहीं होती हैं

● यदि आयकर अधिनियम धारा 194Q और धारा 206C (1H) के तहत प्रावधान एक ही समय में लागू होते हैं, तो धारा 194Q के प्रावधानों को प्राथमिकता दी जाती है.

यदि कोई व्यक्ति इसका पालन करने में विफल रहता है तो....

● यदि कोई खरीदार टीडीएस एकत्र करने में विफल रहता तब किसी भी खरीद लेनदेन में से 30% जिस पर टीडीएस नहीं काटा गया है, खर्च या व्यय के रूप में अस्वीकृत हो जाएगा.

● वह 30% उसकी आय मानी जाएगी और उस 30% पर उसे टैक्स देना होगा.

● खरीद का समर्थन करने वाले बिलों को लेनदेन मूल्य के 30 की सीमा तक अस्वीकृत किया जा सकता है यदि टीडीएस नहीं काटा जाता है.

धारा 194Q के अपवाद 

● एक खरीदार जो भारत का निवासी नहीं है, उसके द्वारा खरीदे गए सामान या उत्पादों पर टीडीएस काटने की आवश्यकता नहीं है.

● एक व्यवसाय को उस वर्ष में किसी भी टीडीएस की कटौती करने की आवश्यकता नहीं है जिसमें वह शुरू हुआ है जैसा कि इस खंड में बताया गया है.

● जहा आयकर अधिनियम, 1961 के किसी भी अन्य प्रावधानों के तहत कर योग्य है, वहा धारा 194Q के तहत आय कर योग्य नहीं होगी.

● जब तक एक सरकारी विभाग किसी व्यावसायिक गतिविधि में शामिल नहीं होता है, तब तक उसे इस धारा के तहत 'खरीदार' नहीं माना जाता है, इसलिए कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा.