Income Tax Act की धारा 80EE और 80EEA में क्या है अंतर तथा Tax Deduction की सुविधाएं
नई दिल्ली: अगर आप लोन लेकर घर खरीदने का मन बना रहे हैं तो आपको जानना चाहिए कि कितने रुपये तक की संपत्ति की कीमत पर आपको कितनी छूट कानूनी रूप से मिल सकती है. अगर नहीं तो ये आपको बता दे कि Income Tax Act की धारा 80EE और 80EEA आपके लिए मददगार साबित हो सकती हैं.
इन धाराओं में मकान को खरीदने से संबंधित लोन पर दिए गए ब्याज पर कितनी कटौती या छूट मिल सकती है उसके बारे में बताया गया है .
धारा 80EE
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80EE के तहत कर कटौती का दावा पहली बार घर खरीदने वालों द्वारा होम लोन पर ब्याज के रूप में भुगतान की गई राशि के लिए किया जा सकता है. इस धारा के तहत अधिकतम कटौती का दावा एक वित्तीय वर्ष के दौरान 50,000 रुपये तक किया जा सकता है.
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वित्त वर्ष 2013-14 में पहली बार धारा 80EE को व्यक्तिगत करदाताओं के लिए गृह ऋण पर ब्याज पर कर कटौती का लाभ उठाने के लिए डिजाइन किया गया था. उस समय, 1, 00,000 रुपये तक अधिकतम कटौती का दावा किया जा सकता था.
यह कर लाभ केवल दो वर्षों के लिए ही उपलब्ध था और वो था वित्त वर्ष 2013-14 और वित्त वर्ष 2014-15. वित्तीय वर्ष 2016-17 में इस खंड को फिर से शुरू किया गया था, और होम लोन में भुगतान किए गए ब्याज पर कटौती की मात्रा को 50,000 रुपये में बदल दिया गया था.
कटौती का दावा करने की शर्तें
धारा 80EE के तहत कटौती सीमा का लाभ उठाने के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा किया जाना आवश्यक है;
1.जिस घर के लिए करदाता कटौती का दावा कर रहा है वह उसका पहला घर होना चाहिए.
2. घर की कीमत 50 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए.
3.ऐसे घर पर लिया गया होम लोन 35 लाख रुपये या उससे कम हो .
4.एक हाउसिंग फाइनेंस कंपनी या एक वित्तीय संस्थान (Bank) ने आवासीय संपत्ति की खरीद के लिए होम लोन की मंजूरी दे दी हो. इस धारा के तहत वित्तीय संस्थान का जिक्र किया गया है जिसके अनुसार वित्तीय संस्थानों में बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 51 द्वारा निहित बैंक और बैंकिंग संस्थान और बैंकिंग और आवास वित्त कंपनियां शामिल हैं.
5.जो होम लोन लिया गया है वह केवल आवासीय संपत्ति के लिए होना चाहिए न कि व्यावसायिक संपत्ति के लिए. यानि कि जो आप घर खरीद रहे हैं उसका प्रयोग रहने के लिए करेंगे ना कि व्यवसाय करने के लिए.
6. लोन की मंजूरी या अप्रूवल की तिथि पर व्यक्ति के पास दूसरा घर नहीं होना चाहिए.
7.लोन अप्रूवल एक समय सीमा के अधीन हैं. उदाहरण के लिए इस सेक्शन के तहत डिडक्शन क्लेम करने के लिए लोन 01.04.16 से 31.03.17 के बीच मंजूर किया गया होना चाहिए.
8.धारा 80EE के तहत होम लोन पर ब्याज के लिए कटौती का दावा करने के बाद करदाता आयकर अधिनियम की किसी अन्य धारा के तहत उसी ब्याज के लिए कटौती का दावा नहीं कर सकता है.
9. कर रिटर्न दाखिल करते समय करदाता धारा 80EE के तहत कटौती का दावा कर सकता है।
कटौती के रूप में कितना दावा कर सकते हैं ऐसे जाने
1. गृह ऋण पर एक वित्तीय वर्ष के दौरान भुगतान की जाने वाली ब्याज की कुल राशि की गणना करें.
2. भुगतान की गई कुल ब्याज राशि का पता लगाने के बाद, (आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 24 के तहत) 2, 00,000 रुपये तक की कटौती का दावा करें
3. आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EE के तहत 50,000, रुपये तक का दावा किया जा सकता है.
धारा 80EEA क्या है?
हमारे देश में पहली बार घर खरीदने वाला व्यक्ति सस्ती प्रॉपर्टी ( किफायती संपत्ति) खरीद कर धारा 80EEA के तहत टैक्स पर 1.50 लाख रुपये तक की छूट पा सकता है. यह कटौती धारा 24 (B) के तहत प्रारंभिक और मूल कटौती से अलग है.
1 सितंबर, 2019 को 80EEA आयकर अधिनियम लागू हुआ. इस धारा ने उस धारा की जगह ली है जिसमें 'किफायती संपत्ति (Affordable Property)' किसे माना जाएगा उसके बारे में बताया गया है. जिसके अनुसार जिनकी संपत्ति की कीमत केवल 50 लाख तक थी उसे किफायती संपत्ति माना जाता था. आयकर कानून में धारा 80 EEA के लागू होने के साथ, नई परिभाषा के अनुसार ऐसी प्रॉपर्टी 'किफायती संपत्ति (Affordable Property)' है जिसकी कीमत 45 लाख रुपये तक है.
आपको मकान की कीमत कितनी है या होगी यह एरिया पर निर्भर करता है कि मकान या जमीन किस एरिया में है.
धारा 80EEA के तहत कटौती लाभों को पाने के लिए यह जरुरी है कि बड़े शहरों में कोई भी संपत्ति 60 वर्ग मीटर या 645 वर्ग फुट से अधिक नहीं होनी चाहिए. अन्य शहरों में इस धारा के लाभों के अंतर्गत आने के लिए संपत्तियों को 90 वर्ग मीटर या 968 वर्ग फुट से अधिक में नहीं होनी चाहिए.
लाभ का दावा करने की शर्तें
- आवासीय घर की संपत्ति खरीदने के लिए किसी वित्तीय संस्थान या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से हाउसिंग लोन लेना चाहिए.
- व्यक्तिगत करदाता मौजूदा धारा 80EE के तहत कटौती का दावा करने के लिए पात्र नहीं होना चाहिए.
- व्यक्ति पहली बार घर खरीदने वाला होनी चाहिए. अगर उसके नाम पर कोई घर पंजीकृत है, तो उसे धारा 80EEA की कटौती के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा.
धारा 80EE और 80EEA में अंतर
- धारा 80EE के तहत आप जिस संपत्ति को खरीदना चाहते हैं उसकी कीमत 50 लाख से अधिक होनी चाहिए . वहीं धारा 80EEA के अनुसार संपत्ति की कीमत 45 लाख या उससे कम होनी चाहिए.
- धारा 80EE में लोन का जो अमाउंट होगा वह 35 लाख से ज्यादा होनी चाहिए. वही धारा 80EEA के तहत लोन का शुल्क निर्धारित नहीं है.
- धारा 80EE के तहत अधिकतम छूट की राशि 50,000 रुपये है वहीं धारा 80EEA के अंतर्गत 1.50 लाख रुपये तक की छूट दी जाती है.