भरोसा पर दिया आपका सामान नहीं लौटा रहा है कोई, तो 3 से 10 साल तक की होगी जेल
नई दिल्ली, हम सभी समाज और समूह में रहने वाले नागरिक है और समाज और समूह में रहने का पहला नियम ही विश्वास और भरोसा होता है. कई बार हम विश्वास और भरोसा करते हुए अपने दोस्तों, सहयोगियों या रिश्तेदारों को अपनी संपत्ति या सामान देते है. लेकिन जब हमें जरूरत होने पर वे उस सामान या संपंति को वापस देने से इंकार कर देते है.
हमारे देश के कानून के अनुसार एक व्यक्ति जब विश्वास जीतने के बाद विश्वास तोड़े तो उसे कानून की भाषा में “Criminal Breach of Trust” कहते है
क्या है अमानत में खयानत
हमारे देश के संविधान में प्रारंभ से ही ईमानदारी, सत्यता और विश्वास को बेहद अहम जगह दी गई है. इसलिए ही कई ऐसे कानून भी बनाए गए जिससे कि देश के नागरिकों के बीच विश्वास और भरोसा बना रहे.
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यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को विश्वास पर संपत्ति या सामान देता हैं और उस दूसरे व्यक्ति ने उस संपत्ति का गलत इस्तेमाल किया या किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया और मांगने पर नहीं लौटाता है, तो वह विश्वास के आपराधिक हनन का दोषी माना जाता है.
IPC के तहत ऐसे मामलों को धारा 406 के तहत अमानत में खयानत का दोषी माना जाता है. किसी व्यक्ति के विश्वास का आपराधिक हनन करने वाले व्यक्ति को जेल की सजा सुनाई जा सकती है. इस अपराध की परिभाषा आईपीसी की धारा 405 में की गयी है.
क्या कहती है धारा 405
भारतीय दंड संहिता की धारा 405 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की सम्पति, या उसकी किसी भी प्रकार की निधि इत्यादि पर अल्पकालिक या थोड़े समय के लिए अधिकार मिलने पर उसका दुरूप्रयोग करना शुरू कर देता है, उस संपत्ति का व्यय करता है, या उसे किसी फर्जी तरीके से अपने नाम पर परिवर्तित करवा लेता है, तो वह विश्वास के आपराधिक हनन की परिभाषा के अंतगर्त आता है.
गैर जमानती है अपराध
IPC की धारा 405 में बताए गए अपराध के लिए IPC की धारा 406 में एक गैर जमानती अपराध की सजा का प्रावधान दिया गया है, IPC की धारा 406 का अपराध एक बहुत ही संगीन और गैर जमानती अपराध है, जिसमें एक दोषी को कारावास की सजा के साथ-साथ आर्थिक दंड का भी प्रावधान दिया गया है. जिसका मतलब है, कि धारा 406 के अनुसार आरोप लगाए गए व्यक्ति को जमानत बहुत ही कठिनाई से प्राप्त होती है, या यह भी कह सकते हैं कि जमानत प्राप्त ही नहीं होती है. जमानत के लिए ऐसे अपराधी को जिला न्यायालय से भी आसानी से जमानत नहीं मिल पाती है. अक्सर ऐसे मामलो में हाईकोर्ट ही जमानत देती है.
क्या है सजा का प्रावधान
किसी व्यक्ति के विश्वास का आपराधिक हनन करने वाले अपराधी को अमानत में खयानत करने के लिए IPC की धारा 406 में उसे दोषी घोषित किया जाता है. लेकिन इसके लिए अलग अलग पदों के अनुसार भी सजा का प्रावधान IPC की धारा 406, 407, 408 और 409 में अलग अलग किया गया है.
IPC की धारा 406 — इस धारा के अनुसार ऐसे अपराधी को 3 वर्ष तक की जेल और जुर्माने की सजा से दण्डित किया जा सकता है.
IPC की धारा 407 — इस धारा के अनुसार कोई कार्यवाहक, घाटवाल, या भांडागार के रूप में उसके सुपुर्द संपत्ति के विषय में आपराधिक विश्वासघात करेगा, तो उसे 7 वर्ष की जेल और जुर्माने की सजा दी जा सकती है.
IPC की धारा 408— इस धारा के अनुसार कोई भी लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन करता है तो उसे 7 वर्ष की जेल और जुर्माना की सजा दी जा सकती है.
IPC की धारा 409 — IPC की धारा 409 के अनुसार किसी लोक सेवक, बैंक कर्मचारी, व्यापारी, फैक्टर, दलाल, अटार्नी या अभिकर्ता द्वारा किसी भी रूप में किसी भी प्रकार की संपत्ति से जुड़ा हो या संपत्ति पर कोई भी प्रभुत्व होते हुए उस संपत्ति के विषय में विश्वास का आपराधिक हनन करता है, तो उसे 10 वर्ष की जेल और जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकता है.