बच्चों के लिए देश में टीकाकरण नि:शुल्क क्यों है? जानिए Vaccination Act के तहत प्रावधान
नई दिल्ली: भारत ने पिछले कुछ दशकों में चेचक, पोलियो जैसे अन्य कई महामारियों का सामना किया है और कुछ वर्षों से COVID-19 जैसी महामारी से लड़ रहा है. COVID-19 के बाद, शायद ही कोई Vaccination(टीकाकरण) शब्द से परिचित नहीं होगा. इस महामारी के दौरान सभी ने समय-समय पर टीकाकरण चलाये जाने वाले अभियान की महत्ता को जान लिया.
हमारे देश में शिशुओं के लिए टीकाकरण एक अनिवार्य अभ्यास है क्योंकि शिशु का जीवन और कल्याण इस पर निर्भर करता है. बच्चों के जीवन और भविष्य की सुरक्षा के लिए हमारे देश में टीकाकरण नि:शुल्क कराई जाती है. Vaccination Act, 1880 की धारा 16 के अनुसार, Vaccine circle में बच्चे के टीकाकरण के लिए टीकाकरण कर्ता द्वारा कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा.
Vaccination Act, 1880 की धारा 16
निजी टीकाकार के अलावा कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा-
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इस अधिनियम के प्रावधानों द्वारा एक निजी टीकाकार को छोड़कर, ऐसे टीकाकरण कर्ता पर लगाए गए किसी भी कर्तव्यों के लिए किसी भी टीकाकरण कर्ता द्वारा किसी भी बच्चे के माता-पिता या अभिभावक से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. बशर्ते कि टीका लगाने वाले के लिए माता-पिता या अभिभावक के अनुरोध पर बच्चे के टीकाकरण के लिए उस सर्कल के अलावा कहीं और शुल्क लेना वैध होगा जिसके लिए ऐसा टीका लगाने वाला नियुक्त किया गया है.
UIP द्वारा नि:शुल्क टीके
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission ) चलाया जाता है, जो भारत में बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण कार्यक्रमों के लिए जिम्मेदार है. Universal Immunisation Programme (सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम) भारत सरकार की सबसे बड़ी पहल है, सालाना 2.67 करोड़ नवजात शिशुओं और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के लिए लक्षित करती है.
UIP द्वारा दिए गए नि:शुल्क टीके इस प्रकार हैं- BCG, OPV/IPV, Hepatitis B, Pentavalent,Rotavirus, pneumococcal conjugate vaccine, DPT, tetanus (TT), Japanese encephalitis, measles और rubella.
टीकाकरण, प्रतिरक्षण यानी Immunization का एक तरीका है. टीका(Vaccine), ऐसा पदार्थ है जो किसी व्यक्ति के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित कर उसे एक संक्रामक या खतरनाक रोग के लिए प्रतिरोधी बनाता है. टीकाकरण, सार्वजनिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए किया जाता है. इसकी शुरुआत सन् 1802 में हुई थी, जब मुंबई में पहली बार एक 3 साल की बच्ची को चेचक के टीके की एक खुराक दी गई थी.
National Vaccination Day
हमारे देश में साक्षरता और जानकारी के अभाव के कारण कई लोग अभी भी टीकाकरण से वंचित रह जाते हैं और पोलियो, टीबी जैसे बीमारियों का शिकार होते हैं. इसलिए लोगों को टीकाकरण का मतलब समझाने और उसके प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 16 मार्च को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (National Vaccination Day) के तौर पर मनाया जाता है. पहली बार राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस 16 मार्च 1995 में मनाया गया था और उस दिन पहली बार 'ओरल पोलियो' वैक्सीन (मुंह के माध्यम से पोलियो वैक्सीन) दी गई थी. इसी के साथ भारत सरकार ने पल्स पोलियो’ (Pulse Polio) अभियान शुरू किया था जिसका उद्देश्य पोलियो को जड़ से खत्म करना था.
SSRN(Social Science Research Network) के एक शोध के अनुसार, 194 देशों में वर्ष 2021 और 2030 के बीच किए गए टीकाकरण के कारण अनुमानित 51.0 मिलियन मौतों को टाले जाने की उम्मीद है. तो आपका समझना आवश्यक है की आपके बच्चों के स्वास्थ्य के लिए टीकाकरण कितना जरूरी है.