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आखिर क्यों देश के सुप्रीम कोर्ट को कहा जाता है अभिलेख न्यायालय भी, जानिए बेहद महत्वपूर्ण जानकारी

संविधान के तहत सुप्रिम कोर्ट और हाई कोर्ट को अभिलेख न्यायालय बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट हमारे संविधान के तहत देश का उच्चतम न्यायालय है और न्याय की अपील हेतु देश का अंतिम न्यायालय है.

Written By My Lord Team | Published : February 9, 2023 11:41 AM IST

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट हमारे संविधान के तहत देश का उच्चतम अधिकार और भारत गणराज्य का सर्वोच्च न्यायालय है. यह देश का सबसे वरिष्ठ संवैधानिक न्यायालय भी है, यह व्यक्तिगत कानूनों और अंतरराज्यीय नदी विवादों को छोड़कर सभी कानूनी मामलों में अंतिम निर्णय और न्यायिक समीक्षा की शक्ति रखता है. सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक समीक्षा की शक्ति के साथ न्याय की अपील हेतु देश का अंतिम न्यायालय है.

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय भारत के अन्य सभी न्यायालयों (जिला न्यायालयों या हाईकोर्ट) पर बाध्यकारी होता है अर्थात यह संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत 'अभिलेख न्यायालय' या 'कोर्ट ऑफ रिकॉर्ड' (Court of Record) के रूप में भी कार्य करता है.

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अभिलेख न्यायालय की शक्ति

संविधान के अनुच्छेद 129 में सर्वोच्च न्यायालय को 'कोर्ट ऑफ रिकॉर्ड' (अभिलेख न्यायालय) बनाया गया है. यह अनुच्छेद कहता है: सर्वोच्च न्यायालय अभिलेख न्यायालय होगा और उसके पास ऐसे न्यायालय की सभी शक्तियां होंगी जिसमें स्वयं की अवमानना के लिए दंड देने की शक्ति भी शामिल है.

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सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ और कार्यवाही शाश्वत हैं और उसके फैसले सार्वकालिक अभिलेख (Record) एवं साक्ष्य के रूप में दर्ज किये जाते हैं तथा गवाही के लिए संदर्भ के रूप में पेश किए जाते हैं.

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यानी जब देश की सर्वोच्च अदालत किसी मामले में फैसला देता है तो देश सभी अदालते उस फैसले को मानने के लिए भी बाध्य होती है. सर्वोच्च अदालत के फैसले का उदाहरण पेश करके देश की किसी भी अदालत में उसके समान केस में राहत प्राप्त की जा सकती है.

दंडित करने की शक्ति

ये रिकॉर्ड उच्च साक्ष्य मूल्य के हैं और किसी अन्य अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए जाने पर इन पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता. सर्वोच्च न्यायालय किसी भी अपराध के लिए दंडित या कैद कर सकती है, जिसमें उसकी अवमानना के लिए दंडित करने की शक्ति भी शामिल है.

संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत, सर्वोच्च न्यायालय देश भर में किसी भी अदालत या न्यायाधिकरण द्वारा पारित या किए गए किसी भी फैसले, आदेश, डिक्री, बयान आदि के खिलाफ अपने विवेक से विशेष अनुमति दे सकता है.

अनुच्छेद 134 (2) के तहत, कानून द्वारा उल्लेखित प्रावधानों के अधीन उच्च न्यायालय के आदेशों, निर्णयों, आपराधिक कार्यवाही में सजा आदि की अपीलों को संबोधित करने के लिए संसद सर्वोच्च न्यायालय को अतिरिक्त शक्तियां प्रदान कर सकती है.

सभी अंगो का सरंक्षक

सर्वोच्च न्यायालय सरकार के सभी अंगों के संरक्षक के रूप में कार्य करता है अर्थात न्यायिक कार्य करने के अलावा, अर्ध-विधायी (quasi-legislative) और अर्ध-कार्यकारी (quasi-executive) कार्य भी करता है. सर्वोच्च न्यायालय के पास न्यायिक समीक्षा की शक्ति के साथ-साथ मूल क्षेत्राधिकार, अपीलीय क्षेत्राधिकार और सलाहकार क्षेत्राधिकार भी है. सर्वोच्च न्यायालय के पास न्यायिक समीक्षा की अपनी मूल शक्ति है जिसके द्वारा वह विधायिका द्वारा गठित किसी भी कानून की समीक्षा संवैधानिक शक्तियों के उल्लंघन के रूप में कर सकती है.

अभिलेख न्यायालय के रूप में हाईकोर्ट

संविधान के अनुच्छेद 215 के अनुसार, देश के प्रत्येक हाईकोर्ट को भी अभिलेख न्यायालय बनाया गया है और स्वयं की अवमानना के लिए दंड देने की शक्ति सहित अभिलेख न्यायालय की सभी शक्तियां उच्च न्यायालय के पास होती है.

अभिलेख न्यायालय के रूप में हाईकोर्ट के निर्णयों और कार्यवाहियों को सतत स्मृति और गवाही के लिए दर्ज किया जाता है. इन अभिलेखों को साक्ष्य संबंधी मूल्य के रूप में स्वीकार किया जाता है और किसी अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष पेश किए जाने पर इन पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है.

और अदालत की अवमानना के लिए हाईकोर्ट भी साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों के साथ दंडित कर सकता है.