गिरफ्तारी के समय पुलिस द्वारा CrPC की धारा 41 और 41A के प्रावधानों का पालन क्यों है जरूरी? जानिये
नई दिल्ली: गिरफ्तारी से संबंधित कई प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure-CrPC) की कई धाराओं में किया गया है. उन्हीं में से हैं धारा 41 और 41A, जिसके तहत गिरफ्तारी के समय क्या करना चाहिए, इसके कुछ नियम बताए गए है. इन प्रावधानों का पालन करना हर पुलिस अधिकारी की जिम्मेदारी है. जानते हैं क्या है इन धाराओं में और क्यों उनका पालन अनिवार्य है.
CrPC की धारा 41
इस धारा के अनुसार पुलिस अधिकारी, मजिस्ट्रेट के ऑर्डर या वारंट के बिना ही किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है. इसके लिए पुलिस को इसकी गिरफ्तारी से पहले सूचना देने की भी जरूरत नहीं है.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि ऐसी गिरफ्तारी संज्ञेय मामलों के साथ - साथ उन मामलों में भी होती है जब किसी व्यक्ति के खिलाफ ऐसी धाराओं में शिकायत दर्ज हो जिसमें सात साल की सजा का प्रावधान हो.
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CrPC की धारा 41A
अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ उन धाराओं के तहत शिकायत दर्ज है जिसमें सात साल से कम अवधि की सजा का प्रावधान है तो ऐसी गिरफ्तार करने से पहले पुलिस द्वारा उस व्यक्ति को नोटिस भेजना अनिवार्य है जिसके बारे में धारा 41A में बताया गया है.
इन मामलों में पुलिस बिना सूचना दिए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकती है.
अगर पुलिस किसी को नोटिस भेजती है तो नोटिस जिस व्यक्ति के नाम निकाला गया है उसकी भी यह जिम्मेदारी है कि वह निर्देशों का पालन करें और तय समय पर पुलिस के सामने हाजिर हो. हालांकि अगर पुलिस को लगा कि गिरफ्तारी जरूरी है तो वह गिरफ्तार भी कर सकती है लेकिन इसके लिए भी पुलिस को लिखित में गिरफ्तारी के लिए वजह बतानी होगी.
बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो नोटिस मिलने के बाद भी पुलिस के सामने हाजिर नहीं होते, तो ऐसे में पुलिस कोर्ट से उस व्यक्ति के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करवा सकती है.
वहीं अगर पुलिस बिना नोटिस दिए ही गिरफ्तार कर लेती है तो व्यक्ति को अंतरिम जमानत मिल सकती है कोर्ट से.
नोटिस देना क्यों जरूरी
कुछ ऐसा ही हुआ था कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के केस में. खबरों के अनुसार खेड़ा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के आरोप में कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था.
जिसके कारण उन्हे असम पुलिस ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन में भाग लेने के लिए रायपुर जाने के दरम्यान ही उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया था.
इस मामले की सुनवाई के दौरान पवन खेड़ा के वकील ने ये दलील दी थी कि पुलिस ने इस गिरफ्तारी से पहले CrPC की धारा 41A के तहत कोई नोटिस नहीं भेजा था. इस केस की सुनवाई कर रहे CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने खेड़ा को अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया था.