सरकारी गवाह कौन होता है, और कैसे मिलता है उसे क्षमादान?
नई दिल्ली: जब किसी अपराध में या उसके षड़यंत्र में कई लोग शामिल होते हैं तो उन्ही में से एक को पुलिस के द्वारा कानूनी रूप से गवाह बना लिया जाता है जो अपराध से संबंधित हर एक जानकारी को गवाह के रूप में देता है, जिसे सरकारी गवाह कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सरकारी गवाह का सम्बंधित मामले में क्या महत्व होता है और कैसे उसे सजा से क्षमादान मिलता है.
जो सरकारी गवाह होते हैं उनकी सजा न्यायालय अगर चाहे तो कम कर देती है या क्षमादान देती है. जिसके बारे में दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure- CrPC ) की धारा 306 में प्रावधान किया गया है.
क्षमादान का प्रावधान
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 306 के अनुसार जो सह अपराधी होते हैं यानी जो किसी अपराध में शामिल होते हैं अगर वो सरकारी गवाह बन जाए तो उन्हे क्षमादान दिया जाएगा.
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किसी गंभीर मामले में प्रत्यक्ष (Direct) या परोक्ष (Indirect) रूप से शामिल अभियुक्तों में से किसी एक को न्यायालय क्षमादान देने की शर्त पर मामले से संबंधित पूरी सच्चाई को अदालत में गवाह के रूप में बताने को कहती है. अगर सह अपराधी सच को बताने में सफल हो जाता है तो अदालत उसे क्षमादान देती है.
क्षमादान का उद्देश्य
इसका सबसे बड़ा उद्देश्य होता अपराधी को हर हाल में सजा दिलाना और पीड़ित को इंसाफ यही इसका मुख्य उद्देश्य होता है. इसलिए CrPC की धारा 306 में क्षमादान का नियम है. ताकि जब गंभीर मामले में कोई सबूत ना मिले तो उन्ही में से किसी को गवाह बना लें और बाकी अभियुक्तों को दंडित किया जाए.
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 133 में यह बताया गया है कि किसी संयुक्त रूप से किए गए अपराध में सह अपराधी सक्षम गवाह होता है.
कौन देता है क्षमादान
धारा 306 में क्षमादान देने का अधिकार किसके पास हैं इसके बारे में बताया गया है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस धारा के तहत मजिस्ट्रेट का जिक्र किया गया है जो यह क्षमादान दे सकता है.
मुख्य न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट के पास इसका अधिकार होता है.
किन अपराधों में मिलता है क्षमादान
1. वह अपराध जिसकी सुनवाई सेशन कोर्ट में हो रही है.
2) जिन मामलों की सुनवाई दंड विधि संशोधन अधिनियम 1952 के अधीन नियुक्त विशेष न्यायाधीश के अदालत में हो रही हो.
3. ऐसे अपराध जिसकी सजा सात वर्ष या उससे अधिक की हो.
दंड प्रक्रिया संहिता के धारा 307 में क्षमादान को लेकर निर्देश देने की शक्ति का प्रावधान किया गया है. क्षमादान हमेशा फैसला सुनाने से पहले दिया जाता है. यदि अदालत को यह यकीन हो जाए कि सरकारी गवाह के द्वारा दी गयी सभी जानकारियां सही और स्पष्ट हैं तो क्षमादान दिया जाता है.
संबंधित मामला
दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को दिल्ली आबकारी नीति घोटाला के एक मामले में आरोपी अरबिंदो समूह के शरत चंद्र रेड्डी को सरकारी गवाह बनने की अनुमति दे दी. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में रेड्डी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था.
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, वह सरकारी गवाह बनने वाला दूसरा शख्स है. पिछले साल नवंबर में शराब कारोबारी और मामले में आरोपी दिनेश अरोड़ा सरकारी गवाह बन गया था.
रेड्डी ने अपने वकील के माध्यम से राउज एवेन्यू कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की थी जिसमें अदालत से अनुरोध किया गया था कि उन्हें सरकारी गवाह बनने दिया जाए. अदालत ने इसकी अनुमति दी और मामले में उन्हें माफ भी कर दिया.
ईडी ने पूरक आरोपपत्र में दावा किया था कि कारोबारी और आम आदमी पार्टी के संचार प्रभारी विजय नायर ने पार्टी नेताओं की ओर से साउथ ग्रुप से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत ली. ईडी ने उल्लेख किया है कि दिनेश अरोड़ा ने विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी फंड के संग्रह के रूप में सिसोदिया को 82 लाख रुपये दिए.
ईडी का मामला सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है. ईडी ने मामले में एक मुख्य आरोपपत्र और चार पूरक आरोपपत्र दाखिल किए हैं. शरत चंद्र रेड्डी को ईडी ने पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया था.