Advertisement

Habitual offender कौन होते हैं? जानिए CrPC क्या कहता है

कुछ अपराधी सजा काटने के बाद जुर्म का रास्ता छोड़ कर सही रास्ते पर आ जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे अपराधी होते हैं जो सजा काटने के बाद भी बाज नहीं आते हैं जो, समाज के लिए हमेशा खतरा बने रहते हैं. 

Written By My Lord Team | Published : February 21, 2023 1:27 PM IST

नई दिल्ली: अपराधियों से निपटने में पुलिस अपना खून पसीना बहा रही है. सरकार द्वारा भी जेलों और अन्य सुधारात्मक संस्थानों पर ना जाने कितने पैसे खर्च किए जाते है, लेकिन अपराधी जेल जाते हैं, रिहा होते हैं और फिर से अपराध को अंजाम देते हैं. जहां कानून दिन पर दिन सख्ती बरत रहा है, तो वहीं हर दिन नए-नए अपराधी सामने आ रहे हैं. अपराध और अपराधी की प्रवृत्ति को ही देखते हुए कानून ने अपराधियों को कई प्रकार की श्रेणी में विभाजित किया है. उन्ही में से एक है अभ्यस्त अपराधी (Habitual Offender) जिसके बारे में दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) 1973 की धारा 110 में बताया गया है.

अभ्यस्त अपराधी कौन?

नाम से ही समझा जा सकता है कि अभ्यस्त अपराधी एक ऐसा अपराधी होता है जिसकी आदत में होता है अपराध करना यानि कुछ अपराधी सजा मिलने के बाद भी सुधरते नहीं है और वो बार - बार उस उस अपराध को अंजाम देते हैं तो कानून ऐसे अपराधियों को ही अभ्यस्त अपराधी कहता है.

Advertisement

सीआरपीसी की धारा 110

इसके अनुसार आभ्यासिक अपराधियों के लिए प्रतिभूति ( Security for good behaviour from habitual offenders): जब किसी ( कार्यपालक मजिस्ट्रेट) को यह सुचना मिलती है कि उसकी स्थानीय अधिकारिता क्षेत्र के अंदर कोई ऐसा व्यक्ति है, जो -

Also Read

More News

क) अभ्यासत: लुटेरा, गृहभेदक, चोर या कूटरचयिता है; अथवा

Advertisement

ख)चुराई हुई संपत्ति का , उसे चुराई हुई जानते हुए, अभ्यासत: प्रापक है; अथवा

ग) अभ्यासत: चोरों की संरक्षा करता है या चोरों को संश्रय देता है या चुराई हुई संपत्ति को छिपाने या उसके व्ययन में सहायता करता है; अथवा

घ)व्यपहरण, अपहरण, उद्दापन, छल या रिष्टि का अपराध या भारतीय दंड संहिता (1860 का अध्याय 45) के अध्याय 12 के अधीन या उस संहिता की धारा 498क, धारा 489ख या धारा 489ग या 489घ के अधीन दंडनीय कोई अपराध अभ्यासत: करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने का दुष्प्रेरण करता है; अथवा

ड.) ऐसे अपराध अभ्यासत: करता है या करने की कोशिश करता है या करने का दुष्प्रेरण करता है, जिनमें परिशांति भंग समाहित है; अथवा

च) कोई ऐसा अपराध अभ्यासत: करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने का दुष्प्रेरण करता है जो:

1. निम्नलिखित अधिनियम में से एक या अधिक के अधीन कोई अपराध है, अर्थात, :-

क) औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 (1940 का 23);

ख) विदेशी मुद्रा विनियम अधिनियम, 1973 (1973 का 46) ;]

ग) कर्मचारी भविष्य- निधि ( और कुटुंब पेंशन निधि) अधिनियम, 1952 (1952 का 19) ;

घ) खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 (1954 का 37) ;

ड.) आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (1955 का 10) ;

(च) अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (1955 का 22) ;

(छ) सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 (1962 का 52)

[(ज) विदेशियों विषयक अधिनियम, 1946 (1946 का 31) ; या ]

2.जमाखोरी या मुनाफाखोरी अथवा खाद्य या औषधि के अपमिश्रण या भ्रष्टाचार के निवारण के लिए उपबंध करने वाली किसी अन्य विधि के अधीन दंडनीय कोई अपराध है; या

झ) ऐसा दुस्साहसिक और भयंकर है कि उसका प्रतिभूत के बिना स्वच्छंद रहना समाज के लिए खतरा है.