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विशेषज्ञ गवाह कौन होते हैं? भारतीय साक्ष्य अधिनियम में क्या है इनकी अहमियत

कानून गवाहों को देखती है. बिना इनके किसी भी केस को जीत पाना मुमकिन ही नहीं है कह सकते हैं कि गवाह किसी भी केस के फैसले पर असर डालता है.

Written By My Lord Team | Published : March 17, 2023 10:49 AM IST

नई दिल्ली: हर घटना या दुर्घटना अपने पीछे कोई ना कोई गवाह या साक्ष्य जरुर छोड़ती है. जिसको ढूंढने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है. अदालतें भी सबूतों और गवाहों पर विश्वास करती है और इनके आधार पर ही किसी दोषी को सजा और बेगुनाह को सजा से बचाया जाता है. गवाहों की महत्ता के बारे में इसी से समझा जा सकता है कि इनके बिना या इनके होने से किसी भी केस का रुख बदल जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गवाहों के भी कई प्रकार होते हैं जिनके बारे में भारतीय साक्ष्य अधिनियम में बताया गया है.

भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 में कई तरह के गवाहों के बारे में बताया गया है उन्ही में से एक है विशेषज्ञ गवाह (Expert Witness).

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विशेषज्ञ गवाह (Expert Witness)

आपने फिल्मों में देखा होगा कि जब किसी केस की सुनवाई होती है तो उसमें विशेषज्ञ गवाह (Expert Witness) को बुलाया जाता है जिसके बारे में लोगों को नहीं पता होता है. आप नाम से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि ये किस तरह के गवाह होते हैं. भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) 1872 की धारा 45 और धारा 45A में, एक विशेषज्ञ गवाह की महत्ता और उपयोगिता के बारे में बताया गया है.

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इस धारा के तहत ऐसे व्यक्ति या ऐसे गवाह को शामिल किया है जिन्होने किसी खास विषय पर महारत हासिल की हो जैसे कोई चिकित्सक, साइंटिस्ट या इंजीनियर इत्यादि. यानि कि यह जरुरी है कि ऐसे व्यक्ति को उस विषय में विशेष जानकारी हो.

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एक गवाह के सबूत को एक विशेषज्ञ के सबूत के रूप में लाने के लिए यह दिखाना जरूरी है कि वह व्यक्ति उस विषय का विशेष जानकार है, या उसमें एक विशेष अनुभव हो या उस विषय को लेकर उचित कौशल और पर्याप्त जानकारी रखता हो. एक विशेषज्ञ गवाह अपने ज्ञान के आधार पर अपनी राय दे सकता है.

हिमाचल प्रदेश राज्य बनाम जय लाल एवं अन्य (1999)

इस केस की सुनवाई में अदालत ने कहा था कि एक गवाह को विशेषज्ञ गवाह तब ही माना जाएगा. जब उस गवाह ने उस विषय पर (जिससे संबंधित मामले की सुनवाई हो रही है) विशेष अध्ययन कर रखा है और साथ ही उस विषय में उसे विशेष अनुभव हो.

कुछ अन्य प्रकार के गवाह

अभियोजन गवाह (Prosecution Witnesses) वह व्यक्ति होता है जिसे अभियोजन पक्ष के द्वारा अपने आरोपों को साबित करने के लिए अदालत में पेश किया जाता है.

बचाव पक्ष का गवाह (Defence Witness) वह व्यक्ति होता है जिसके बयान के जरिए आरोपित को आरोप से मुक्त कराया जाता है. जिसके बयान से बचाव पक्ष की दलीलों को सही ठहराया जाता है.

चश्मदीद गवाह (Eyewitness) की श्रेणी में वह व्यक्ति आता है जिसने अपराध को होते हुए देखा है. जिसके बारे में पूरी जानकारी पूरी प्रामाणिकता के साथ वह अदालत को देता है क्योंकि वह घटनास्थल पर मौजूद था.

बाल गवाह (Child Witness) एक बच्चा होता है जो अदालत के सवालों को समझ सकता है या उसके पास रखे गए सवालों के तर्कसंगत जवाब होते है। ऐसा बच्चा भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 118 के अनुसार अदालत में गवाही दे सकता है.

गूंगा गवाह वह व्यक्ति होता है जो बोल कर अपना बयान देने में सक्षम नहीं है. अदालत उसे लिखित रूप में बयान देने की अनुमति दे सकता है. ऐसे लिखित बयानों को मौखिक साक्ष्य माना जाएगा.

मौका गवाह ऐसा व्यक्ति होता है जो संयोग से अपराध वाली जगह पर मौजूद था, जैसे कोई किसी बस स्टैंड पर अपने बस का इंतजार कर रहा था तभी वहां कोई घटना हो गई.