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जब वकील ने ड्रेस कोड का गुवाहाटी हाई कोर्ट में पालन नहीं किया!

कई पेशों का अपना ड्रेस कोड है जिसका पालन अनिवार्य होता है. कानून से जुड़े लोगों का भी एक ड्रेस कोड निर्धारित है, जिसका पालन ना करने पर उन्हें सजा भी मिलती है. कुछ ऐसा ही हुआ गुवाहाटी हाई कोर्ट में. जब एक वकील कोर्ट में जींस पहनकर दाखिल हो गए थे, जिसके बाद वो हुआ जिसके बारे में जानकर आप अंदाजा लगा लेंगे की ड्रेस कोड का पालन करना कितना जरूरी है. 

Written By My Lord Team | Published : January 30, 2023 1:10 PM IST

नई दिल्ली: अधिवक्ता अधिनियम, 1961 (Advocates Act, 1961) के आने के बाद देश के वकीलों के लिए काला कोर्ट पहना अनिवार्य कर दिया गया. इस अधिनियम की धारा 49 (1)(gg) में वकीलों के लिए ड्रेस कोड के बारे में बताया गया है. फिर भी अगर कोई वकील ड्रेस कोर्ट का पालन नहीं करता है तो क्या होगा. कुछ ऐसा मामला गुवाहाटी हाई कोर्ट में 27 जनवरी 2022 को हुआ.

गुवाहाटी हाई कोर्ट में एक वकील जींस पहनकर चले गए थें. जिसके बाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस कल्याण राय सुराणा ने वकील को कोर्ट से बाहर निकलवा दिया. इस घटना की जानकारी जस्टिस कल्याण राय सुराणा ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और असम, नागालैंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश के बार काउंसिल को भी दी.
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भारतीय विधिज्ञ परिषद (Bar Council of India) के दिशा निर्देशों के अनुसार, कोर्ट और प्राधिकरणों में पुरुष वकीलों को बटन वाला काला कोट, काला गाउन, सफेद बैंड, काला खुला कोट, सफेद कॉलर और काला, सफेद या स्लेटी (grey) रंग का पेंट या धोती पहना जरुरी है.

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महिला वकीलों को काली रंग की पूरी या आधी बाजू की जैकेट, सफेद कॉलर, काली गाउन के साथ सफेद बैंड और काली, सफेद या बिना किसी प्रिंट के कोई भी नरम या दब्बू रंग की साड़ी या लंबी स्कर्ट या सफेद, काली या स्लेटी रंग की फ्लेयर्स पहनना जरूरी है.
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सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, सेशन कोर्ट और सिटी सेशन कोर्ट के अलावा कही भी सफेद बेंड के बदले काली टाई पहनी जा सकती है.

ड्रेस कोड पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है

सुप्रीम कोर्ट में एक वकील द्वारा दायर याचिका में कहा गया की गर्मियों में वकीलों को कोट नहीं पहने की छूट दी जाए. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने कहा कि वकीलों को ड्रेस कोड में कोई छूट नहीं मिलेगी.

जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह ड्रेस कोड के लिए बार काउन्सिल ओफ़ इंडिया (BCI) को निवेदन करे. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को वापस ले लिया.

कोर्ट में वादियों के लिए ड्रेस कोड

कोर्ट में सिर्फ वकीलों को ही नहीं बल्कि वादियों को भी ड्रेस कोड में आना जरूरी है. वादियों द्वारा सही तरह का ड्रेस नहीं पहन कर कोर्ट में आने के चलते कई लोगों को फटकार भी लगाई जा चुकी है. सरकारी अधिकारी के लिए ड्रेस कोड में आना जरूरी है. अगर नौकरशाहों (Bureaucrats) द्वारा ड्रेस कोड का पालन नहीं किया जाएगा तो उन पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.

2018 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने कहा था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ड्रेस कोड के लिए प्रशासनिक निर्देश दिया गया है या नहीं, लेकिन नौकरशाहों को हमेशा साधारण एवं सभ्य कपड़े ही पहनना चाहिए.

कोर्ट में बिना ड्रेस कोड के जाने पर क्या होगा

अगर कोई वकील ड्रेस कोड का पालन कोर्ट में नहीं करता है तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन ऐसी कोई तय सजा या जुर्माना नहीं है जिससे की उस वकील को दंडित किया जाए. कोर्ट चाहे तो उसके ऊपर कोई भी कार्रवाई कर सकती है.

नौकरशाहों के लिए ड्रेस कोड का कोई कानून नहीं है. अलग-अलग हाई कोर्ट द्वारा अलग-अलग दिशा निर्देश दिए गए हैं नौकरशाहों को ड्रेस कोड के लिए.