अनुच्छेद 323B के तहत किस तरह के 'ट्राइब्यूनल' की हो सकती है स्थापना, जानें क्या कहता है संविधान
नई दिल्ली: भारत एक लोकतंत्र है जहां सभी नागरिकों की कुछ ज़िम्मेदारियां हैं और उनके बदले में उन्हें कुछ अधिकार भी दिए जाते हैं। इन अधिकारों में न्याय पाना भी शामिल है; हर नागरिक न्यायपालिका का दरवाजा खटखटा सकता है और किसी भी मुद्दे पर न्याय की मांग कर सकता है।
निचली अदालत, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ देश में कुछ ऐसे न्यायाधिकरणों की स्थापना भी की गई है जिनसे अदालतों का भार कम हो सके और नागरिकों को आसानी से, बिना किसी देरी के न्याय मिल सके। इन्हें 'ट्राइब्यूनल' कहा जाता है।
क्या होता है 'अधिकरण'?
अधिकरण (Tribunal) एक अर्धनयायिक संस्थान (Quasi-judicial institution) है जो आमतौर पर दो पार्टियों में होने वाले विवाद को सुलझाने का काम करता है। बता दें कि अधिकरण शुरू से संविधान का हिस्सा नहीं थे, इन्हें 1976 के 42वें संशोधन अधिनियम (42nd Amendment Act, 1976) के तहत जोड़ा गया है। संविधान के अनुच्छेद 323 में 'ट्राइब्यूनल्स' के बारे में बात की गई है।
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जहां अनुच्छेद 323A में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (Central Administrative Tribunals) के बारे में बताया गया है, वहीं संविधान के अनुच्छेद 323B में उन अधिकरणों की बात की गई है जो लोक सेवकों से सम्बंधित मामलों के अलावा बाकी सभी मामलों से डील करते हैं।
अनुच्छेद 323B के तहत ट्राइब्यूनल
जैसा कि हमने आपको अभी बताया, प्रशासनिक अधिकरणों के अलावा बाकी सभी तरह के ट्राइब्यूनल अनुच्छेद 323B के तहत आते हैं। इस अनुच्छेद के तहत एक अधिकरण की स्थापना संसद और विधान सभा की जॉइन्ट पावर के तहत होती है, जिसकी मांग राज्य द्वारा, विशेष अधिनियम (Special Acts) के अंतर्गत आने वाले विषयों को लेकर की जाती है। जैसे- पर्यावरण (Environment), अवैध प्रवासी (Illegal Migrants), राष्ट्रीय कर (National Tax) आदि।
यह अधिकरण 'कराधान' (taxation), विदेशी विनिमय और आयात-निर्यात (foreign exchange, import-export), औद्योगिक और श्रम (industrial and labour), भूमि सुधार (land reforms), शहरी संपत्ति पर सीमा (ceiling on urban property), संसद और विधान सभा के चुनाव (elections to Parliament and state legislatures), खाना (food stuff) और किराया और किराएदारी अधिकार (rent and tenancy rights) के मामलों के लिए बनाए जा सकते हैं।
इन विषयों से जुड़े विवाद, शिकायतें और अपराध- सभी के लिए इन अधिकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। इस अनुच्छेद के तहत अधिकरणों का पदानुक्रम (hierarchy of tribunals) भी बनाया जा सकता है जो अनुच्छेद 323A के तहत आने वाले अधिकरणों के साथ नहीं किया जा सकता है। साथ ही, अधिकरण का क्षेत्राधिकार क्या होगा और उसमें किस तरह की शक्तियां निहित होंगी, इस बारे में भी जानकारी दी गई है।