वक्फ अधिनियम क्या है? यह वक्फ बोर्ड को कौन-सी शक्तियां प्रदान करती है?
वक्फ एक्ट मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों एवं धार्मिक संस्थानों के मैनेजमेंट व रेगुलेशन के लिए बनाया गया कानून हैं. वक्फ एक्ट का मुख्य उद्देश्य इन संपत्तियों की पहचान, उनका संरक्षण और प्रबंधन करना है. इस कानून के अनुसार देश के हर राज्य में वक्फ बोर्ड और वक्फ की संपत्ति से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए एक अदालत खोलने की बात कहता है.
कानून में बोर्ड के प्रबंधकों (मुतवल्ली) की नियुक्ति और उनके कार्यों की समीक्षा करने का भी प्रावधान है. वक्फ एक्ट संपत्तियों से संबंधित विवादों के निपटान के लिए एक अदालत के गठन करने का अधिकार दिया गया है. यह ट्रिब्यूनल वक्फ संपत्तियों से संबंधित सभी विवादों का निपटारा करता है.
वक्फ एक्ट को पहली बार साल 1954 में पारित किया था. उसके बाद समय-समय पर इसमें संशोधन हुए. पहला संशोधन 1995 में हुआ और उसके बाद 2013 में दूसरी बार संशोधन किया गया.
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वक्फ एक्ट 1995 की धारा 6 वक्फ बोर्ड की संपत्तियों से जुड़े विवाद का जिक्र करती है. एक्ट की धारा 6 (1) के अनुसार, इस बात की चर्चा करती है कि अगर कोई संपत्ति वक्फ की सूची में शामिल है और अगर किसी व्यक्ति को अपना दावा करता है तो वो वक्फ ट्रिब्यूनल में शिकायत दर्ज करा सकता है. मामले में ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होगा.
राज्य साल भर में वक्फ की संपत्तियों का सर्वेक्षण कराएगा और वक्फ संपत्तियों की सूची जारी करेगा. इस सूची के जारी होने के साल भर के अंदर ही कोई व्यक्ति संपत्ति की शिकायत ट्रिब्यूनल में दर्ज करा सकता है. उसके बाद राज्य के सर्वे में अधिसूचित ऐसी संपत्तियों के संबंध में न्यायाधिकरण के समक्ष कोई वाद संस्थित नहीं किया जाएगा.
Waqf Act की सेक्शन 40 में चर्चा की गई है कि वक्फ बोर्ड कैसे ये सुनिश्चित करेगी कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है या नहीं.
40. अगर कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है,
(1) बोर्ड स्वयं किसी संपत्ति के बारे में जानकारी एकत्र कर सकता है जिसके बारे में उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि वह वक्फ संपत्ति है और यदि कोई प्रश्न उठता है कि क्या कोई विशेष संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं तो वह जांच करने के बाद, बोर्ड उचित निर्णय ले सकता है.
(2) उपधारा (1) के अधीन किसी प्रश्न पर बोर्ड का निर्णय, जब तक कि न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) द्वारा उसे वापस न ले लिया जाए या संशोधित न कर दिया जाए, अंतिम होगा.
(3) जहां बोर्ड के पास यह मानने का कोई कारण है कि भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 (1882 का 2) या सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 (1860 का 21) या किसी अन्य अधिनियम के तहत पंजीकृत किसी ट्रस्ट या सोसायटी की कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है, बोर्ड ऐसे अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी ऐसी संपत्ति के संबंध में जांच कर सकता है और यदि ऐसी जांच के बाद बोर्ड को यह विश्वास हो जाता है कि ऐसी संपत्ति वक्फ संपत्ति है, तो वह ट्रस्ट या सोसायटी से, जैसा भी मामला हो, यह कह सकता है कि वह या तो ऐसी संपत्ति को इस अधिनियम के तहत वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत करे या कारण बताए कि ऐसी संपत्ति को इस तरह पंजीकृत क्यों नहीं किया जाना चाहिए:
बशर्ते कि ऐसे सभी मामलों में, इस उपधारा के अंतर्गत की जाने वाली प्रस्तावित कार्रवाई की सूचना उस प्राधिकारी को दी जाएगी जिसके द्वारा ट्रस्ट या सोसाइटी को पंजीकृत किया गया था.
(4) बोर्ड, उपधारा (3) के अधीन जारी किए गए नोटिस के अनुसरण में दर्शाए गए कारणों पर सम्यक् रूप से विचार करने के पश्चात् ऐसे आदेश पारित करेगा, जो वह ठीक समझे और बोर्ड द्वारा इस प्रकार दिया गया आदेश अंतिम होगा, जब तक कि उसे न्यायाधिकरण द्वारा वापस न ले लिया जाए या उसमें संशोधन न कर दिया जाए.
वक्फ एक्ट की धारा 104 बोर्ड की संपत्तियों की बिक्री, ट्रांसफर पर रोक लगाती है.
Section 104 (A): वक्फ संपत्ति की बिक्री, दान, विनिमय, बंधक या हस्तांतरण पर रोक
(1) इस अधिनियम या किसी अन्य समय प्रवृत्त कानून या किसी वक्फ विलेख में निहित किसी भी बात के होते हुए भी, कोई भी व्यक्ति किसी भी चल या अचल संपत्ति को, जो वक्फ संपत्ति है, किसी अन्य व्यक्ति को नहीं बेचेगा, उपहार, विनिमय, बंधक या हस्तांतरित नहीं करेगा.
(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट संपत्ति की कोई बिक्री, दान, विनिमय, बंधक या हस्तांतरण प्रारंभ से ही शून्य होगा.
104 (B) सरकारी एजेंसियों के कब्जे में वक्फ संपत्तियों का वक्फ बोर्ड को प्रत्यावर्तन (Restoration Of Waqf Property)
(1) यदि किसी वक्फ संपत्ति पर सरकारी एजेंसियों का कब्जा है तो उसे न्यायाधिकरण (Tribunal) के आदेश की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर बोर्ड या मुतवल्ली को वापस कर दिया जाएगा.
(2) यदि संपत्ति सार्वजनिक उद्देश्य के लिए आवश्यक है तो सरकारी एजेंसी न्यायाधिकरण (Tribunal) द्वारा प्रचलित बाजार मूल्य पर किराया या मुआवजा निर्धारित करने के लिए आवेदन कर सकती है.
वक्फ एक्ट की धारा 107 वक्फ की संपत्तियों के रिकवरी पर रोक लगाती है. अर्थात वक्फ संपत्तियों पर 1963 का अधिनियम 36 लागू नहीं होगा, जिससे वक्फ में शामिल संपत्तियों को वापस से लेने के लिए किसी मुकदमे पर रोक लगाती है.
अकूत संपत्ति के मालिक है वक्फ बोर्ड
रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर में वक्फ के पास लगभग 52,000 संपत्तियां थी. वर्तमान में वक्फ बोर्ड के पास 8 लाख एकड़ भूमि में फैली 72 हजार 292 से ज्यादा रजिस्टर्ड वक्फ की अचल संपत्तियां हैं. वहीं 2009 तक 4 लाख एकड़ तक की 3 लाख की संपत्तियां थी. महज 13 साल में वक्फ की जमीन दोगुनी हो गई. बोर्ड की सबसे ज्यादा संपत्ति यूपी में हैं. जिसमें शिया बोर्ड के पास 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां है जबकि सुन्नी बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं.
वक्फ एक्ट के प्रस्तावित संशोधन में क्या है?
- सबसे पहले वक्फ बोर्ड द्वारा जमीन या संपत्ति को अधिग्रहण करने की असीमित शक्तियों को सीमित करेगा.
- वक्फ बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना. सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड में
- वक्फ बोर्ड के मैनेजमेंट में बदलाव करना
- वक्फ बोर्ड को अब अपनी संपत्ति जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में रजिस्टर्ड करानी होगी. अब तक केन्द्र सरकार वक्फ की संपत्ति में दखल नहीं दे सकती थी.
- संशोधन कानून सभी विवादित संपत्तियों की नए सिरे से जांच को मंजूरी देगा,