क्या है कमजोर गवाह बयान योजना, और कैसे करता है यह गवाहों की रक्षा?
नई दिल्ली: अपराध को अंजाम देने के बाद अपराधी पूरी कोशिश करता है कि उसका सच बाहर ना आए, पीड़ितों को इंसाफ ना मिले और वह कानून की नजरों में धूल झोंकता रहे. यही कारण है कि अक्सर ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें आरोपी द्वारा गवाह को जान से मारने की धमकी दी जाती या बदनाम करने की धमकी दी जाती है, ताकि किसी भी तरह से अपराधी कानून की पकड़ से दूर रहे.
ऐसे गवाहों की ही रक्षा के लिए ही कमजोर गवाह बयान योजना (Vulnerable Witness Deposition Scheme) की शुरुआत की गई.
इस योजना की शुरुआत गवाहों को डराने धमाके वाले मामलों पर रोकथाम और ऐसे गवाहों की रक्षा के लिए किया गया है. कमजोर गवाह बयान योजना का मुख्य उद्देश्य है खतरों का आकलन कर सुरक्षा उपायों के आधार पर कमजोर गवाह को सुरक्षा प्रदान करना.
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कमजोर गवाह में शामिल लोग
यहां यह जानना जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट ने कमजोर गवाहों के अर्थ का विस्तार करते हुए इसमें यौन उत्पीड़न पीड़ितों, मानसिक बीमारी वाले लोगों और बोलने या सुनने में अक्षम लोगों को भी शामिल किया है.
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की पीठ ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि कमजोर गवाहों में सिर्फ बाल गवाह ही शामिल नहीं होंगे, बल्कि, आयु-तटस्थ और लिंग-तटस्थ यौन उत्पीड़न के शिकार, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम में परिभाषित मानसिक बीमारी से पीड़ित गवाह, खतरे की आशंका वाले गवाह और बोलने या सुनने में अक्षम कोई भी व्यक्ति, अन्य विकलांगता वाले व्यक्ति को न्यायालय द्वारा असुरक्षित माना जाता है.
गवाह संरक्षण योजना, 2018
हमारे देश में पहली गवाह संरक्षण योजना की शुरुआत साल 2018 में की गई थी. इसे केंद्र सरकार द्वारा उन गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था, जिन्हें साक्ष्य देने से डराया या धमकाया जा सकता है.
गवाह संरक्षण योजना (Witness Protection Scheme), 2018 में खतरे की आशंका के अनुसार गवाहों को होने वाले खतरे को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में बांटा गया है
श्रेणी 'ए' के अनुसार, जब किसी मामले में जांच/मुकदमे के दौरान या उसके बाद गवाह या उसके परिवार के सदस्यों के जीवन को खतरा होता है.
श्रेणी 'बी' की बात करें तो जहां खतरा जांच/मुकदमे के दौरान या उसके बाद गवाह या उसके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा, प्रतिष्ठा या संपत्ति तक फैलता है.
श्रेणी 'सी' के तहत, जांच/मुकदमे के दौरान या उसके बाद गवाह या उसके परिवार के सदस्य, प्रतिष्ठा या संपत्ति को परेशान करने या डराने-धमकाने की नौबत आती है.