बिना अनुमति के जुलूस निकालने पर क्या है सजा IPC के तहत - जानिये
नई दिल्ली: भारत त्योहारों की भूमि है और जब भी कोई पर्व होता है तो धार्मिक जूलूस निकाले ही जाते है. एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राज्य होने की वजह से, देश में लोगों को बोलने और कहीं भी जाने की आजादी है और यह संवैधानिक अधिकार भी है. लोगों को जुलूस या विरोध प्रदर्शन करने का भी अधिकार है लेकिन एक सीमा के अंतर्गत.
जुलूस को आमतौर पर धार्मिक अवसरों पर ही निकाला जाता है लेकिन इसके लिए अनुमति लेना आवश्यक है, क्योंकि भारत में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते है और हर धर्म के लोग धार्मिक जुलूस निकाल सकते हैं, जो कभी-कभी दो समुदायों के बीच हिंसा और झगड़े का कारण बनता है इसलिए धार्मिक जुलूस से पहले पूर्व प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है.
हाल ही में भारत के कई राज्यों में धार्मिक जुलूस के दौरान हिंसा उत्पन्न हो गयी. राजधानी के नजदीक हरयाणा के गुरुग्राम में यद्यपि जुलूस निकालने की अनुमति नहीं थी, फिरभी लोगों ने जुलूस निकाला, जो की लोक सेवक के आदेशों की अवहेलना है और CrPCकी धारा 188 के तहत दंडनीय है.
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आपको बता दे कि जिन जगहों पर आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPc) की धारा 144 लागू होती है, वहां लोगों के एक समूह या एक व्यक्ति या एक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को कुछ कार्य करने से रोकने के लिए कहा जा सकता है, जिसमें एक सभा का गठन करना या जुलूस निकालना शामिल है, जब यह माना जाता है कि यह हिंसा या झगड़ा का कारण बनेगा जिससे शान्ति भंग होगी.
मजिस्ट्रेट जुलूस निकालने से कर सकते है इंकार
हर राज्य में अलग-अलग कानून और प्रक्रिया होती है कि जुलूस की अनुमति कैसे और किससे ली जा जाये. हालांकि अनुमति के लिए लिखित आवेदन ज़रूरी है जिसे मजिस्ट्रेट या डीसीपी आदि से लिया जा सकता है, जो या तो इसे स्वीकार कर सकते हैं या इससे इनकार कर सकते हैं.
CrPC की धारा 144, मजिस्ट्रेट को अधिकार देती है कि वह किसी भी व्यक्ति को किसी भी कार्य न करने का निर्देश दे सकती है अगर वह मानना है कि इस तरह के आदेश से किसी भी प्रकार की बाधा, झुंझलाहट या चोट को रोका जा सकता है या मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को बचाया जा सकता है, या सार्वजनिक शांति में खलल, या दंगे को होने से रोका जा सकता है.
यह किसी व्यक्ति या लोगों के समूह को दिया जा सकता है या मूल रूप से किसी शहर या क्षेत्र में लागू किया जा सकता है. यह आदेश केवल 2 महीने के लिए लागू होगा, जबकि यह केवल राज्य सरकार द्वारा ही बढ़ाया जा सकता है जहां वह इसे बढ़ाना आवश्यक मानती है. बता दे की इसे छह महीने से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता.
आमतौर पर लोग इस धारा को 4 या अधिक लोगों को इकट्ठा होने से प्रतिबंधित करने के रूप में समझते हैं, लेकिन यह धारा बहुत अधिक व्यापक और अस्पष्ट है, जो मजिस्ट्रेट को बहुत सारी शक्तियाँ देता है जिसे वह किसी भी जगह पर प्रतिबंध लगा सकते है.
आदेश की अवहेलना या बिना अनुमति जुलूस पर सज़ा
CrPC की धारा 144 में लोगों को कुछ कार्यों को करने से रोकती है, मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार, वही IPC की धारा 188 के तहत इसकी सजा का उल्लेख किया गया है. जिसके अंतर्गत, किसी व्यक्ति ने लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा की है, जिसके कारण बाधा, झुंझलाहट या चोट पहुँचता है या उसकी संभावना है, तो उसे एक महीने तक की कैद या दो सौ रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है.
जिसमें मजिस्ट्रेट या किसी अन्य प्राधिकारी के आदेशों का पालन नहीं करना शामिल है जिसने जुलूस निकालने की अनुमति से इनकार किया है.
अगर इस तरह की अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को नुक्सान पहुँचती है, या दंगे या दंगे का कारण बनती है या किसी भी ऐसी परिस्तिथि उत्पन्न करने का खतरा पैदा करती है तो छह महीने तक कारावास की सजा हो सकती है, या एक हज़ार का जुरमाना लगाया जा सकता है या दोनों के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है.
धारा 144 के तहत किन कार्यो पर लगती है रोक
- किसी भी स्थान पर चार या चार से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते हैं
- जुलूस निकालने पर रोक
- पटाखे फोड़ना प्रतिबंधित
- लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक
- जुलूस में संगीत बैंड प्रतिबंधित
- बिना अनुमति के सामाजिक समारोहों पर रोक
- धरना या अनशन पर रोक
- सरकारी दफ्तरों के ऊपर और आसपास ड्रोन से शूटिंग पूर्णत: प्रतिबंधित
- सोशल मीडिया के माध्यम से गलत सूचना या अफवाह नहीं फैलाएं जिससे शांति भंग की आशंका हो
- सार्वजनिक स्थल पर शराब या मादक द्रव्यों का सेवन निषेध
जुलूस के दौरान हथियार रखना या शत्रुता को बढ़ावा देना दंडनीय है
हाल ही में राम नवमी के अवसर पर, पूरे देश में कई धार्मिक जुलूस निकाले गए जो की कुछ राज्यों में हिंसक हो गए. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भड़काऊ नारे लगाए गए जिसकी वजह से समुदायों के बीच उन्माद बढ़ गया. इस तरह के कृत्य से दुश्मनी को बढ़ावा मिलता है जो कि IPC की धारा 153A का उल्लंघन भी है.
जुलूस में शामिल होने के दौरान कुछ लोगों के हथियार रखने की खबरें आयी है जो कि IPC की धारा 144 का उल्लंघन है. यहां बता दे कि एक व्यक्ति जो दो या दो से अधिक समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देता है, उसे तीन साल तक की कैद हो सकती है, जबकि एक व्यक्ति जो एक गैरकानूनी सभा में घातक हथियार लाता है, (बिना अनुमति के जुलूस को भी गैरकानूनी सभा कहा जा सकता है) उसे दो साल तक की सजा हो सकती है.