भारत के संविधान का अपमान करने या उसकी प्रति जलाने की कानून में क्या है सजा? जानिये
नई दिल्ली: भारत के संविधान को देश में उच्चतम क़ानूनी स्थिति प्राप्त है जिसमें न सिर्फ नागरिकों के मूल अधिकार और उनके कर्तव्य तय किए गए हैं बल्कि यह भी बताया गया है की विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका किस तरह काम करेंगे और उनकी शक्तियों का विभाजन कैसा होगा.
चुकी संविधान देश का सर्वोच्च कानून है इसलिए इसका अपमान करना या फिर उसकी प्रति जलाने की कोशिश एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आते हैं, आइए जानते हैं कानून में इस कृत्या की क्या सजा है.
संविधान का अपमान करने की सजा का प्राविधान
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि संविधान का 69th Act 'राष्ट्र-गौरव अपमान-निवारण अधिनियम, 1971' (The Prevention of Insults to National Honour Act, 1971) है जिसकी धारा 2 में भारत के झंडे और संविधान के प्रति अपमान करने की क्या सजा है, के बारे में बताया गया है.
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2005 में इस नियम का संशोधन हुआ जिसके बाद ये 'राष्ट्र-गौरव अपमान-निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2005' (The Prevention of Insults to National Honour (Amendment) Act, 2005) के नाम से परिवर्तित हुआ .
राष्ट्र-गौरव अपमान-निवारण अधिनियम, 1971
'राष्ट्र-गौरव अपमान-निवारण अधिनियम, 1971' की धारा 2 में यह बताया गया है कि जो कोई भी किसी सार्वजनिक जगह पर भारत के झंडे या संविधान या उसके किसी हिस्से को जलाता है, फाड़ता है, खराब करता है, उसको कुचलता है या अपने शब्दों के जरिए उसका अपमान करता है, तो उसके लिए सजा का प्राविधान है.
सजा में कम से कम एक साल और अधिकतम तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या फिर दोनों हो सकते हैं.
आपको बता दें कि हाल ही में एक मामला दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा है जो 2018 का है. दरअसल 2018 में, पार्लियामेंट स्ट्रीट पर एक धरने के दौरान, कथित तौर पर संविधान की एक कॉपी जलाई गई और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ नारेबाजी हुई.
May 27 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस की निंदा की है क्योंकि उन्होंने अब तक इस मामले की छानबीन को पूरा नहीं किया है.