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नशीली दवाओं के दुरुपयोग व अवैध तस्करी की क्या है सजा भारतीय कानून के तहत?

NDPS ACT 1985

नशीली दवाओं के दुरुपयोग व अवैध तस्करी  के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस’, जो की हर वर्ष २6 जून को मनाया जाता है

Written By My Lord Team | Published : June 26, 2023 7:15 PM IST

नई दिल्ली: नशीली दवाओं के दुरुपयोग व अवैध तस्करी (Smuggling) के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस’ पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मादक पदार्थों (Narcotics Substances) के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति’ अपनाई है और उसके सफल परिणाम दिखने लगे हैं।

अपने वीडियो संदेश में शाह ने कहा कि मादक पदार्थों के विरुद्ध इस व्यापक और समन्वित लड़ाई का ही असर है कि जहां 2006-13 में 768 करोड़ रुपए के नशीले पदार्थ जब्त हुए थे, वहीं 2014 से 2022 के बीच यह जब्ती लगभग 30 गुना बढ़कर 22 हज़ार करोड़ रुपये की हो गयी है।

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नशीली दवाओं के दुरुपयोग व अवैध तस्करी  के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस’, जो की हर वर्ष २6 जून को मनाया जाता है, के अवसर पर आपको बता दें कि ड्रग के दुरुपयोग को नियंत्रित करने और उनके उपयोग, वितरण, निर्माण और व्यापार को प्रतिबंधित करने के इरादे से नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम (NDPS ACT), 1985 पारित किया गया था।

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गौरतलब हो कि नारकोटिक ड्रग्स वे हैं जो नींद को प्रेरित करते हैं, जबकि साइकोट्रोपिक पदार्थ वे हैं जो मन के साथ प्रतिक्रिया (reaction ) करते हैं और इसे सकारात्मक रूप से बदलते हैं।

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भारत में मादक पदार्थ से सम्बन्धित कानून

भारत की संसद ने 14 नवंबर 1985 को एनडीपीएस अधिनियम पारित किया था। इस प्रकार के ड्रग्स का चिकित्सा के अभ्यास में अपना स्थान है। नतीजतन, अधिनियम में भांग (cannavies), खसखस (poppy ), और कोका ( coca) के पौधों की खेती के साथ-साथ साइकोट्रोपिक पदार्थों के निर्माण के प्रावधान भी शामिल हैं।

इस कानून का प्राथमिक उद्देश्य ड्रग्स जिन्हें नारकोटिक या साइकोट्रोपिक पदार्थ माना जाता है, के निर्माण, कब्जे, बिक्री और परिवहन (ट्रांसपोर्ट) को विनियमित (रेगुलेट) करना.

इस अधिनियम के परिणामस्वरूप, 200 साइकोट्रोपिक पदार्थों को वॉक-इन ग्राहकों को बिक्री से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इन ड्रग्स को प्राप्त करने के लिए डॉक्टर द्वारा निर्धारण की आवश्यकता होती है। इसकी स्थापना के बाद से कानून में कई संशोधन हुए हैं।

इसके अलावा, एनडीपीएस, ड्रग उपयोगकर्ताओं, ड्रग डीलरों और इस व्यापार में शामिल कट्टर अपराधियों के बीच अंतर नहीं करता है। एक व्यक्ति को उपयुक्त अधिकारियों की अनुमति के बिना नारकोटिक्स या साइकोट्रोपिक माने जाने वाले किसी भी ड्रग्स या पदार्थ के निर्माण, उत्पादन, खेती, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण (storage) या उपभोग (consuming) करने से प्रतिबंधित किया गया है।

भारत में ड्रग्स और नारकोटिक पदार्थों पर कानून का विकास और एनडीपीएस अधिनियम का अधिनियमन (enactment )

एनडीपीएस अधिनियम की शुरूआत से पहले भारत में ड्रग्स और नारकोटिक पदार्थों पर कोई वैधानिक (statutory ) नियंत्रण नहीं था, इसलिए, नियंत्रण अनिवार्य रूप से केंद्र सरकार के तीन अधिनियमों के माध्यम से किया गया था, अर्थात् अफीम अधिनियम (Opium Acts 1857) और डेंजरस ड्रग्स अधिनियम ( Dangerous Drugs Act 1930 ) औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम (Drugs and Cosmetics Rules 1945).

सजा का प्रावधान

धारा 18 कहती है जो कोई, इस अधिनियम के किसी उपबंध या इसके अधीन बनाए गए किसी नियम या निकाले गए किसी आदेश या दी गई अनुज्ञप्ति की शर्त के उल्लंघन में निर्मित अफीम पोस्त की खेती या अफीम का उत्पादन, विनिर्माण, कब्जा, विक्रय, क्रय, परिवहन, अंतरराज्यिक आयात, अंतरराज्यिक निर्यात या उपयोग करेगा वह

(A) कठोर कारावास से जिसकी अवधि छह माह तक की हो सकेगी या जुर्माने से जो कि दस हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से;

(B) जहाँ उल्लंघन वाणिज्यक मात्रा को अन्तर्गस्त करता है वहाँ कठोर कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु बीस वर्ष की हो सकेगी, और जुर्माने से जो एक लाख रुपए से कम का नहीं होगा किन्तु दो लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा: परन्तु न्यायालय, ऐसे कारणों से, जो निर्णय में लेखबद्ध किए जाएंगे, दो लाख रुपए से अधिक का जुर्माना अधिरोपित कर सकेगा;

(C) किसी अन्य मामले में, कठोर कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा। - उपभोक्ता फोरम में किस तरह के केस लगाएं जा सकते हैं और क्या है इसकी प्रक्रिया स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ (संशोधन) अधिनियम, 2001 (2001 का 9) द्वारा मूल अधिनियम की धारा 18 को प्रतिस्थापित किया गया है। यह संशोधन दिनांक 2/10/2001 से प्रभावी किया गया है। धारा 18 में अधिकतम दंड बीस वर्ष का है जो वाणिज्यिक मात्रा से अधिक के मामले में लागू होता है।