IPC की धारा 498 के तहत विवाहित महिला के साथ होने वाली क्रूरता पर क्या है सजा?
अनन्या श्रीवास्तव
नई दिल्ली: महिलाओं की सुरक्षा और उनके प्रति होने वाली किसी भी तरह की क्रूरता के खिलाफ भारत में सख्त कानून बनाए गए हैं। शादी से पहले और शादी के बाद, दोनों स्थितियों में महिलाओं को सुरक्षित रखने की कोशिश की गई है और यदि कुछ गलत होता है, तो हर स्थिति में उसको लेकर कानून हैं।
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 498 और 498A में विवाहित महिला के साथ होने वाली क्रूरता और उसके चलते मिलने वाली सजा के बारे में बताया गया है। जानिए कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए बना यह जरूरी प्रावधान क्या कहता है और एक शादीशुदा महिला के साथ होने वाली किस तरह की क्रूरता के खिलाफ लोगों को सजा दिलवाता है.
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क्या है IPC की धारा 498?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498 'किसी विवाहित महिला को आपराधिक मंशा से बहला-फुसलाकर ले जाने या हिरासत में लेने' (Enticing or taking away or detaining with criminal intent a married woman) के बारे में बात करती है।
आईपीसी की धारा 498 के तहत यदि कोई शख्स एक शादीशुदा महिला को, जो किसी की पत्नी हो या कोई शख्स पति की तरफ से उसका ख्याल रख रहा हो, फुसलाकर इस मकसद से लेकर कहीं चला जाए या छुपाए कि वो किसी और के साथ अवैध संभोग करे, तो उसके लिए शख्स को दंड मिलेगा। इस स्थिति में उस शख्स को दो साल तक की जेल की सजा, जुर्माना या फिर दोनों का दंड दिया जा सकता है।
घरेलू हिंसा पर कानून में क्या सजा है?
आईपीसी की धारा 498A (IPC Section 498A) में 'किसी महिला का पति या पति का रिश्तेदार उसके साथ क्रूरता करता है' (Husband or relative of husband of a woman subjecting her to cruelty), इस मुद्दे में सजा को लेकर है। इस प्रावधान के तहत एक विवाहित महिला के प्रति उसके पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता पर क्या सजा होगी, यह स्पष्ट किया गया है।
इस कानून के अंतर्गत एक विवाहित महिला के प्रति 'क्रूरता' में क्या आता है, पहले यह समझते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 'क्रूरता' से यहां दो आशय हैं; पहला- शादीशुदा महिला के प्रति ऐसा बर्ताव जो उसे आत्महत्या करने या फिर अपनी शारीरिक या मानसिक सेहत/जीवन को हानि पहुंचाने के लिए मजबूर करे, वो क्रूरता है।
इतना ही नहीं, यदि महिला का पति या उसके रिश्तेदार, उस महिला या उसके किसी जानने वाले के साथ जबरदस्ती करके संपत्ति या व्यक्तिगत सुरक्षा को देने के लिए मजबूर करते हैं; इस तरह की गैर-कानूनी मांग को पूरा न कर पाने के कारण महिला के साथ उत्पीड़न करते हैं, वह भी 'क्रूरता' है।
आईपीसी की धारा 498A के तहत एक आदमी को तीन साल तक की कारावास की सजा सुनाई जा सकती है और साथ में उसपर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
कभी-कभी महिलायें भी उठाती हैं इस कानून का फायदा
एक कानून, जो किसी की सुरक्षा हेतु बनाया गया हो, उसका दुरुपयोग करना गलत है। जहां कई स्थितियों में विवाहित महिलायें क्रूरता का शिकार होती हैं, ऐसे भी कई उदाहरण हैं जहां महिलाओं ने इस कानून का गलत फायदा उठाने की कोशिश की है।
हाल ही में, कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने एक महिला की याचिका को खारिज किया है। बता दें कि एक महिला ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ खरेलू हिंसा का मामला दर्ज करवाया गया था जिसे उच्च न्यायालय ने आईपीसी की धारा 498A के तहत खारिज कर दिया है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय की जस्टिस शम्पा दत्त (पॉल) का यह कहना है कि जहां याचिकाकर्ता ने अपने ससुराल वालों पर घरेलू हिंसा का इल्जाम लगाया है, वहीं यह बात गौर करने वाली है कि याचिकाकर्ता सालों से शादी के बाद अपने ससुराल वालों के साथ नहीं रह रही हैं; इसलिए इस शिकायत को न्यायाधीश ने खारिज कर दिया है।