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Summons भेजने की प्रक्रिया क्या है CrPC में ? जानिए ये धारायें

कई बार आपने सुना होगा या देखा होगा की किसी को समन आया है या किसी के घर के बाहर अदालत का कोई नोटिस चिपकाया गया है. आपके मन में यह ख्याल आता होगा कि आखिर कैसे समन पहुंचाया जाता है.

Written By My Lord Team | Published : March 4, 2023 8:22 AM IST

नई दिल्ली: हमारे देश की अदालतों में शक्ति निहित है की वे क़ानूनी प्रक्रिया के तहत सम्बंधित व्यक्ति को अपने समक्ष पेश करने का आदेश दे सकती है समन के जरिये. समन एक अदालत या अन्य सरकारी संस्थान द्वारा जारी किया गया एक कानूनी दस्तावेज कहा जाता है. जब कानूनी कार्रवाई में कोई समन जारी किया जाता है, तो उसमें ये बताया जाता है कि इस कारण से आपको अदालत के समक्ष पेश होना है या फिर प्राप्त करने वाले को किसी मुकदमे में अभियुक्त ठहराया गया है या उसे न्यायालय में स्वयं को गवाह के रूप में प्रस्तुत होने का आदेश दिया जाता है.

लेकिन क्या आप जानते है समन कैसे भेजा जाता है, इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है, आइए इसे समझते हैं. इसके बारे में CrPC में बताया गया है.

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समन और इसका प्रारूप

समन एक ऐसा आदेश होता है जो किसी व्यक्ति को एक निश्चित तिथि, समय और जगह पर मौजूद होने के लिए दिया जाता है. इसे कैसे भेजा जाता है इसके बारे में दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के अध्याय छह जो कि हाजिर होने को विवश करने के लिए आदेशिकाएं के ऊपर है. इस अध्याय की धारा 61, 62, 63, 64, 65, 66, 67, 68, 69 में समन से संबंधित प्रावधान किए गए हैं.

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धारा 61 के अंतर्गत यह बताया गया है कि कोर्ट द्वारा जारी किया गया हर समन लिखित रूप में होगा और उस समन की दो कॉपी होगी और यह कॉपी ही समन जिसके नाम पर जारी किया जाता है उसे दिया जाता है, उस कोर्ट के पीठासीन अधिकारी द्वारा या अन्य ऐसे अधिकारी द्वारा, हाई कोर्ट नियम द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट होगा, हस्ताक्षरित होगा और उस पर उस न्यायालय की सील लगी होगी जिसने समन जारी किया है.

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समन की तामील

CrPC की धारा 62 में समन की तामील कैसे की जाए उसके बारे में बताया गया है.

इसकी उपधारा 1 में यह बताया गया है कि सबसे पहले हर समन की तामील पुलिस अधिकारी द्वारा या ऐसे नियमों के अधीन राज्य सरकार इस निमित्त बनाए, उस न्यायालय के, जिसने वह समन जारी किया है, किसी अधिकारी द्वारा या अन्य लोक सेवक द्वारा कराई जाएगी.

2. अगर मुमकिन हो तो जिस व्यक्ति को समन किया गया है उसे व्यक्तिगत रूप से समन की कॉपी डिलीवरी करके समन पहुंचाया जाता है.

3. जिस भी व्यक्ति को समन कोई अधिकारी देने गया है. वो अधिकारी उस व्यक्ति से उस समन की दूसरी कॉपी के पीछे हस्ताक्षर लेगा ताकी ये सबूत रहे कि समन उस व्यक्ति को दिया गया था.

निगमित निकायों, सोसाइटियों को समन

धारा 63 के तहत यह बताया गया है कि निगम निकायों ( Corporate Bodies) या सोसायटियों ( Societies) को समन कैसे दिए जाते है. कोई भी समन उस निकाय के सेक्रेटरी को या लोकल मैनेजर और प्रिंसिपल ऑफिसर को या फिर उस निकाय के चीफ ऑफिसर को लेटर के जरिये समन भेजा जाता है. जब वह लेटर उसके पास पहुंच जाता है तो ऐसा माना जाता है कि समन भेजने की प्रक्रिया पूरी हुई.

जिस व्यक्ति को समन भेजा जा रहा है वह नहीं मिलता है तो उस व्यक्ति के घर के किसी बड़े को देकर उनसे समन की दूसरी कॉपी के पीछे हस्ताक्षर लिए जाते हैं. यहां घर के नौकर को बड़ा यानि ( कुटुंब) नहीं माना जाएगा क्योंकि वह घर का सदस्य नहीं होता यह धारा 64 में बताया गया है.

ऊपर की धारा में बताए अनुसार भी समन पहुंचाने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है तो ऐसे में समन देने वाले अधिकारी समन लेने वाले के घर में चिपका सकती है या घर के आसपास रख या फिक्स कर सकती है. इसके बाद कोर्ट समन की जांच करवाती है कि समन सही से पहुंचाया गया है या नहीं तो नहीं होने के हालत में दोबारा समन भेज सकती है यह धारा 65 में बताया गया है.

सरकारी सेवक पर तामील

धारा 66 के उप धारा 1 के अनुसार जब एक सरकारी सेवक को समन किया गया है तो अदालत उस समन को उस सेवक के हेड ऑफिस भेजेगी. इसके बाद जैसे धारा 62 में बताया गया था समन देने की प्रक्रिया वैसे ही वो हेड ऑफिस उस सरकारी कर्मचारी को वो समन देगा और फिर अपने भी हस्ताक्षर के साथ वो समन कोर्ट को वापस भेज देगा.

उपधारा 2 के तहत वह हस्ताक्षर ही समन भेजने के पूरी होने की प्रक्रिया का सबूत होगा.

स्थानीय सीमाओं के बाहर समन की तामील

जब अदालत यह चाहता है कि उसके द्वारा जारी किए गए समन की तामील उसकी स्थानीय अधिकारिता के बाहर किसी स्थान में की जाए तह वह मामूली तौर पर ऐसा समन दो प्रतियों में उस मजिस्ट्रेट को भेजेगी जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर उसकी तामील की जानी है या समन किया गया व्यक्ति कहां रहता है. यह धारा 67 में बताया गया है.

धारा 68

इस धारा के तहत यह बताया गया है कि जब ऐसे मामलों में और जब तामील करने वाला अधिकारी उपस्थित न हो तब तामील का सबूत क्या होगा.

इस धारा के उपधारा -1 के अनुसार जब अदालत द्वारा जारी किए गए समन को उसकी स्थानीय अधिकारिता के बाहर रहने वाले व्यक्ति को भेजी गई हो, तो उस समन को समन जिसके नाम पर जारी किया गया है उस तक जो अधिकारी पहुंचाएगा. वह अधिकारी धारा 62 और धारा 64 के अनुसार उस व्यक्ति से हस्ताक्षर भी करवाएगा. साथ ही वह अधिकारी एक एफिडेविट तैयार करेगा जिसमें यह लिखा होगा कि उन्होंने उस समन को समन जिसके नाम जारी किया गया था उस तक पहुंचा दिया है.

इसके बाद हस्ताक्षर की गई समन की कॉपी और तैयार किए गए एफिडेविट को मजिस्ट्रेट तक पहुंचाना होगा. फिर मजिस्ट्रेट उपधारा 2 के अनुसार उसे उस अदालत को सौंप देगा जिसके द्वारा समन जारी किया था. इसके बाद जब अदालत में उस पर सुनवाई हो रही होगी. उस वक्त अगर समन पहुंचाने वाला अधिकारी अदालत में मौजूद नहीं भी होगा तब भी यही माना जाएगा की समन देने का काम पूरा हो चुका है. यहां समन के कॉपी पर प्राप्तकर्ता का हस्ताक्षर और एफिडेविट समन पहुंचाने के सबूत के रूप में काम करता है.

साक्षी को डाक द्वारा समन

धारा 69 के उपधारा 1 के अनुसार अदालत जब किसी गवाह को किसी मामले में गवाही के लिए समन भेजती है तो गवाह जहां रहता है या जहां काम करता है उस जगह पर समन की कॉपी को एक पंजिकृत डाक द्वारा भेजा जाएगा.

वहीं उपधारा 2 के मुताबिक जब अदालत डाक के द्वारा उस समन को भेजेगी और हस्ताक्षर करने के बाद भी वह व्यक्ति उस समन को लेने से इंकार कर देता है, और डाक कर्मचारी यह लिखित रुप में अदालत को भेज देता है कि उसने समन लेने से इंकार कर दिया तो भले ही वह समन लेने से इंकार कर दे या ले लिया हो फिर भी अदालत यहीं मानेगी की समन उस व्यक्ति तक पहुंच चुका है.