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पेटेंट उल्लंघन को नियंत्रित करने के लिए क्या है कानून, जानिए

भारत में पेटेंट का पहला कदम 1856 का अधिनियम VI था. कानून का मुख्य उद्देश्य था नए और उपयोगी मैन्युफैक्चरर से संबंधित आविष्कारों को प्रोत्साहित करना और आविष्कारकों को अपने आविष्कारों को दिखाने और जनता के लिए उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित करना था.

Written By My Lord Team | Published : February 16, 2023 9:32 AM IST

नई दिल्ली: अगर आपने किसी वस्तु या किसी विचार का निर्माण किया है और आप चाहते हैं कि कोई और व्यक्ति या संगठन उसका इस्तेमाल ना करें या फिर आपके इजाजत के बिना कोई उसका इस्तेमाल कर रहा है तो आप उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं. आईए जानते हैं कैसे. इसके लिए आपको अपने आइडिया या फिर अपने किसी भी आविष्कार का पेटेंट करवाना होगा.

पेटेंट एक कानूनी अधिकार है जो व्यक्ति या संस्था को अपने किसी बिल्कुल नई सेवा, प्रक्रिया, तकनीक, डिजाइन या उत्पाद के लिए दिया जाता है. पेटेंट करवा लेने से कोई दूसरा व्यक्ति उसकी नकल कर निजी फायदा नहीं उठा सकता है.

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दूसरे शब्दों में, पेटेंट एक ऐसा कानूनी अधिकार है जो किसी व्यक्ति या संस्था को अपने आविष्कार पर पूरा हक प्रदान करने के साथ उस आविष्कार के चोरी होने या गलत इस्तेमाल से बचाती है.

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जो पेटेंट करवाते हैं उन्हें पेटेंट धारक कहा जाता है. पेटेंट करवाने के साथ ही पेटेंट धारक को कुछ अधिकार प्राप्त होते हैं. उन अधिकारों का उल्लंघन ही पेटेंट उल्लंघन (Patent Infringement) कहलाता है. यानि अगर पेटेंट धारक को दिए गए अधिकारों का प्रयोग कोई दूसरा व्यक्ति बिना पेटेंट धारक के मर्जी से या उससे छुपाकर या अपने फायदे के लिए प्रयोग करता है, जो पेटेंट धारक द्वारा अधिकृत नहीं है तो इसे पेटेंट अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा. वह व्यक्ति उसके लिए उत्तरदायी माना जाएगा. पेटेंट को सरकार के द्वारा एक निश्चित समय के लिए प्रदान किया जाता है.

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पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 104- 105, पेटेंट उल्लंघन के संबंध में प्रावधान प्रदान करती है.

पेटेंट अधिनियम, 1970

इस अधिनियम में बताया गया है कि पेटेंट किए गए उत्पाद का उल्लंघन क्या माना जाएगा. इसके अनुसार दो प्रकार की गतिविधियों को पेटेंट अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा. जो पेटेंट धारक की सहमति के बिना किए जाए.

1. पेटेंट किया हुआ उत्पाद बनाना, उसका उपयोग करना, बिक्री के लिए पेश करना, बेचना, या आयात (import) करना,

2. पेटेंट किए गए प्रक्रिया का उपयोग करना, या, बिक्री की पेशकश करना, बेचना या सीधे उस प्रक्रिया द्वारा निहित उत्पाद का आयात करना.

पेटेंट उल्लंघन को नियंत्रित करने वाले कानून

पेटेंट उल्लंघन से संबंधित मामले अक्सर कोर्ट तक पहुंचते रहते हैं. उन मामलों पर रोक लगाने के लिए ही हमारे देश में प्रमुख कानून पेटेंट अधिनियम, 1970 है. पेटेंट अधिनियम 1970, पेटेंट नियम 1972 के साथ, भारतीय पेटेंट और डिजाइन अधिनियम 1911 की जगह 20 अप्रैल 1972 में लागू हुआ.

पेटेंट उल्लंघन अधिनियम का इतिहास

भारत में पेटेंट का पहला कदम 1856 का अधिनियम VI था. कानून का मुख्य उद्देश्य था नए और उपयोगी मैन्युफैक्चरर से संबंधित आविष्कारों को प्रोत्साहित करना और आविष्कारकों को अपने आविष्कारों को दिखाने और जनता के लिए उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित करना था.

अधिनियम को 1857 के अधिनियम IX द्वारा निरस्त कर दिया गया था क्योंकि इसे ब्रिटिश क्राउन की स्वीकृति के बिना अधिनियमित किया गया था. 1859 के अधिनियम XV के रूप में 1859 में 'अन्य विशेषाधिकार' देने के लिए नया कानून बनाया गया था. यह कानून पिछले कानून के विशिष्ट संशोधनों से गुजरता है, अर्थात केवल उपयोगी आविष्कारों के लिए विशेष विशेषाधिकार प्रदान करना, 6 महीने से प्राथमिकता अवधि का विस्तार 12 महीने. अधिनियम ने आयातकों को एक आविष्कारक की परिभाषा से बाहर कर दिया. अधिनियम को 1872, 1883 और 1888 में संशोधित किया गया था.

भारतीय पेटेंट और डिजाइन अधिनियम, 1911 ने पिछले सभी अधिनियमों को निरस्त कर दिया था. पेटेंट अधिनियम 1970, पेटेंट नियम 1972 के साथ, भारतीय पेटेंट और डिजाइन अधिनियम 1911 की जगह 20 अप्रैल 1972 को लागू हुआ.

पेटेंट अधिनियम मूल रूप से जस्टिस एन (Anne) की रिपोर्ट की सिफारिशों पर आधारित है. राजगोपाल अयंगर की अध्यक्षता वाली आयंगर समिति. सिफारिशों में से एक दवाओं, दवाओं, भोजन और रसायनों से संबंधित आविष्कारों के संबंध में प्रक्रिया पेटेंट की अनुमति थी.

फिर से पेटेंट अधिनियम, 1970 को पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2005 द्वारा खाद्य, दवा, रसायन और सूक्ष्मजीवों सहित प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में उत्पाद पेटेंट का विस्तार करने के संबंध में संशोधित किया गया था. संशोधन के बाद, विशेष विपणन अधिकार (ईएमआर) से संबंधित प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया है, और अनिवार्य लाइसेंस प्रदान करने के लिए एक प्रावधान पेश किया गया है. पूर्व-अनुदान और पोस्ट-विरोधी विरोध से संबंधित प्रावधान भी पेश किए गए हैं.

पेटेंट उल्लंघन के प्रकार

पेटेंट उल्लंघन कई तरह से हो सकते हैं जो निम्नलिखित हैं

1.प्रत्यक्ष (Direct) उल्लंघन

2.अप्रत्यक्ष (Indirect) उल्लंघन

3.अंशदायी (contributory) उल्लंघन

4.इरादतन (willful) उल्लंघन

1. प्रत्यक्ष (Direct) उल्लंघन: इसके नाम से ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये पेटेंट उल्लंघन का सबसे आम प्रकार है. जब एक पेटेंट उत्पाद या विधि (या काफी हद तक एक समान, यानी उनके समतुल्य (Equivalent) का उपयोग किया जाता है, विपणन किया जाता है, बेचा जाता है, बिक्री के लिए पेश किया जाता है, या ऐसे पेटेंट की अवधि के दौरान पेटेंटी धारक की अनुमति के बिना आयात किया जाता है, तो यह प्रत्यक्ष पेटेंट उल्लंघन कहलाता है.

यह दो प्रकार के होते है, शाब्दिक और गैर-शाब्दिक पेटेंट उल्लंघन.

2.अप्रत्यक्ष या प्रेरित उल्लंघन: अप्रत्यक्ष उल्लंघन भी एक प्रकार का पेटेंट उल्लंघन है, इसके तहत उल्लंघन करने वाला द्वारा पेटेंट धारक के अधिकारों का अनैच्छिक रूप से या अनिच्छा से उल्लंघन करता है. ऐसा हो सकता है कि कुछ मात्रा में छल-कपट भी शामिल हो.

3.अंशदायी उल्लंघन: अंशदायी पेटेंट उल्लंघन एक प्रकार का द्वितीयक पेटेंट उल्लंघन है. इस प्रकार का उल्लंघन तब होता है जब एक अप्रत्यक्ष उल्लंघनकर्ता एक ऐसे हिस्से के साथ प्रत्यक्ष उल्लंघनकर्ता की आपूर्ति करता है जिसका कोई महत्वपूर्ण गैर-उल्लंघनकारी उपयोग नहीं होता है. दूसरे शब्दों कहा जाए तो, अप्रत्यक्ष उल्लंघनकर्ता, यह जानते हुए कि ऐसे आवश्यक पुर्जे (घटक) निर्माता को प्रत्यक्ष उल्लंघन का कारण बनाएंगे, फिर भी ऐसे पुर्जों की आपूर्ति करते हैं.

4.इरादतन उल्लंघन: इरादतन उल्लंघन एक प्रकार का पेटेंट उल्लंघन है जिसमें उल्लंघनकर्ता जानबूझकर पेटेंट धारक के पेटेंट अधिकारों की अवहेलना और उल्लंघन करता है.

क्या पेटेंट कराया जा सकता है?

भारतीय पेटेंट अधिनियम 1970 के धारा तीन और चार में यह स्पष्ट रुप से बताया गया है कि हमारे देश में क्या क्या पेटेंट करवाया जा सकता है. कुछ मानदंड हैं जिन्हें भारत में पेटेंट प्राप्त करने के लिए पूरा करना होगा वो इस तरह है:

  • पेटेंट विषय
  • नवीनता
  • आविष्कारशील कदम या गैर-स्पष्टता

पेटेंट उल्लंघन से संबंधित मामले

साल 2020 में फिलिप्स ( Philips) ने चीनी स्मार्टफोन कंपनी Xiaomi पर पेटेंट उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. कंपनी ने दिल्ली हाई कोर्ट से उन सभी चीनी स्मार्टफोन की बिक्री पर रोक लगाने की गुहार की थी जो फिलिप्स के पेटेंट का उल्लंघन था. जानकारी के अनुसार फ़िलिप्स का ये पेटेंट UMTS इनहैंसमेंट (HSPA, HSPA+) से जुड़ा था.

बजाज ऑटो लिमिटेड बनाम टीवीएस मोटर कंपनी लिमिटेड जेटी 2009 (12) एससी 103

यह मामला बजाज ऑटो लिमिटेड द्वारा साल 2007 में टी.वी.एस. मोटर कंपनी लिमिटेड के खिलाफ, मद्रास हाई कोर्ट में दर्ज किया गया था. इस मामले में, अदालत ने माना कि पेटेंट उल्लंघन के मामलों सहित कॉपीराइट उल्लंघन से संबंधित मामलों को निपटाने में कई साल लग गए. अदालत ने अन्य अदालतों को कॉपीराइट उल्लंघन से संबंधित मामलों के निपटान में तेजी लाने का आदेश दिया. अस्थायी निषेधाज्ञा का आदेश प्राप्त करने में पक्ष अक्सर फंस जाती हैं. अदालत ने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों से संबंधित कार्यवाही दिन-प्रतिदिन के आधार पर की जानी चाहिए और कार्यवाही शुरू होने के चार महीने के भीतर फैसले की घोषणा की जानी चाहिए.

एफ हॉफमैन-ला रोश लिमिटेड बनाम सिप्ला लिमिटेड, मुंबई सेंट्रल

यह स्वतंत्रता के बाद भारत में पेटेंट उल्लंघन के पहले मामलों में से एक था. इस मामले में, वादी ने दवा के एक सामान्य रूप की प्रतिवादी की बिक्री के खिलाफ एक अंतरिम निषेधाज्ञा आदेश (interim injunction order) पारित करने का अनुरोध किया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया कि पेटेंट उत्पाद की बिक्री जनहित में थी और पेटेंट को रद्द करने का प्रतिवाद किसी अन्य अदालत में लंबित था.