दहेज प्रथा के खिलाफ भारत में क्या है कानून, इससे होने वाली हत्या पर क्या है सजा?
अनन्या श्रीवास्तव
भारत में दहेज प्रथा (Dowry System) एक परंपरा के तहत सैकड़ो वर्षों चली आ रही है जिसमें लड़की के ससुराल वाले उस पर और उसके परिवार पर महंगे-महंगे 'तोहफे' देने का दबाव डालते हैं, और जब ये मांगें पूरी नहीं होती हैं तो कई मामलों में लड़की की हत्या तक कर देते हैं। कानून के तहत 'दहेज' क्या है, भारत में दहेज प्रथा और दहेज हत्या के खिलाफ मुजरिम को क्या सजा मिलती है, जानें सबकुछ.
'दहेज' क्या है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दहेज प्रथा के खिलाफ देश में एक सख्त कानून है और यह 'दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961' (The Dowry Prohibition Act, 1961) है। इस कानून का उद्देश्य दहेज लेने या देने से लोगों को रोकना है और यह पूरे देश में लागू होता है।
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बता दें कि इस अधिनियम के तहत 'दहेज' कोई भी वो संपत्ति या व्यक्तिगत सुरक्षा है जो शादी से पहले या शादी के दौरान-
- शादी के एक पक्षकार से दूसरे पक्षकार को दी जाती है, या फिर
- शादी के किसी भी पक्षकार के माता-पिता द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा शादी के किसी भी पक्षकार को या किसी अन्य व्यक्ति को दी जाती है।
दहेज देने या लेने पर क्या है सजा?
'दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961' के तहत दहेज देना या दहज लेना एक दंडनीय अपराध है। ऐसी स्थिति में आरोपी को कम से कम पांच साल की जेल की सजा सुनाई जाएगी और साथ में आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा जिसकी कीमत कम से कम 15 हजार रुपये होगी; इस जुर्माने की रकम दहेज की रकम जितनी भी हो सकती है।
'दहेज हत्या' को लेकर कानून
भारतीय दंड संहिता की धारा 304B (Section 304B of Indian Penal Code) 'दहेज हत्या' (Dowry Death) पर है। इस धारा के तहत यदि किसी महिला की हत्या शारीरिक चोट या जलने की वजह से, शादी के सात साल के अंदर होती है और यह दिखाया जा सकता है कि हत्या से कुछ समय पहले उसे दहेज की मांग की वजह से, अपने पति या पति के किसी रिश्तेदार से क्रूरता या शोषण का सामना करना पड़ा, तो इस तरह की हत्या को 'दहेज हत्या' कहा जाएगा।
ऐसे में, यह कहा जा सकता है कि उस विवाहित महिला के देहांत का जिम्मेदार उसका पति या फिर उसके पति का कोई रिश्तेदार है।
'डाउरी डेथ' के जिम्मेदार शख्स को कम से कम सात साल की जेल की सजा सुनाई जाएगी जो बढ़ाकर आजीवन कारावास तक भी की जा सकती है।
हाल ही में सामने आया दहेज हत्या का यह मामला
हाल ही में, उत्तर प्रदेश के कानपुर ज़िले में दहेज हत्या का एक मामला सामने आया है जिसमें एडिश्नल सेशन्स जज फास्ट ट्रैक कोर्ट, श्रद्धा त्रिपाठी ने आरोपी प्रेम नारायण शुक्ला और उसके पिता को 14 साल की जेल की सजा सुनाई है और उनपर 'दहेज हत्या' के चलते सात हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
बता दें कि 2015 में प्रेम नारायण शुक्ला के ससुर, यानी उनकी पत्नी अर्चना के पिता ने एफआईआर दर्ज की थी जिसमें उन्होंने कहा कि शादी पर दिए तोहफों से प्रेम नारायण शुक्ला खुश नहीं थे।
उन्होंने अर्चना से एक मोटरसाइकिल और दो लाख रुपये की मांग की जिसके लिए वो अर्चना का शारीरिक शोषण करते थे। एक दिन, इसी के चलते अर्चना के पति और ससुर ने उसकी हत्या कर दी। अब इस मामले में अदालत का फैसला आया है।