Advertisement

Lease और Rent में क्या अंतर है? जानिये एग्रीमेंट साइन करने से पहले ये बातें

Difference between Lease and Rent Agreement

किसी भी व्यापार में एग्रीमेंट का अहम किरदार होता है. जब हम किसी को अपना मकान रेंट पर देते हैं या किसी से लेते है तब अलग- अलग प्रकार के कानूनी समझौते किये जाते हैं ताकि भविष्य में कोई परेशानी ना हो.

Written By My Lord Team | Published : April 27, 2023 1:47 PM IST

नई दिल्ली: अक्सर ऐसा होता है जब हम किसी को अपना मकान रेंट पर देते हैं या किसी से लेते हैं तब समझौता (Agreement) को लेकर एक परेशानी होती है. हम सोचते हैं कि ऐसे में किस तरह का एग्रीमेंट बनाएं, लीज एग्रीमेंट या रेंट एग्रीमेंट. आपकी इस समस्या को दूर करने के लिए समझते हैं कि Lease एग्रीमेंट और Rent एग्रीमेंट में क्या अंतर है, और इस तरह का एग्रीमेंट साइन करने से पहले किन बातों का ख्याल रखना आवश्यक है.

रेंट को हिंदी में किराया और लीज को पट्टा कहा जाता है. दोनों ही एक प्रकार का एग्रीमेंट है. इस तरह का एग्रीमेंट किरायेदार और मकान मालिक के बीच किया जाता है. लेकिन दोनों ही एग्रीमेंट एक दूसरे से अलग होते हैं.

Advertisement

पट्टा (Lease) एग्रीमेंट

यह संपत्ति के मालिक और किरायेदार के बीच किया जाने वाला एक एग्रीमेंट है. कानूनी भाषा में, मालिक को पट्टेदार (Lessee) कहा जाता है. वहीं किरायेदार को पट्टा कर्ता (Lessor).

Also Read

More News

संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 105 में पट्टा समझौते को परिभाषित किया गया है. इस धारा के अनुसार किसी "अचल संपत्ति का पट्टा समझौता एक संपत्ति का इस्तेमाल करने के अधिकार का हस्तांतरण है. इसमें संपत्ति को एक निश्चित अवधि के लिए पट्टा कर्ता को दिया जाता है. पट्टा कर्ता उस संपत्ति के इस्तेमाल के बदले समय - समय पर समझौते के शर्तो के अनुसार पट्टेदार (Lessee) को एक तय राशि का भुगतान करता है."

Advertisement

लीज एग्रीमेंट में कुछ शर्तें होती हैं, जिन शर्तों का अनुपालन करना दोनों ही पक्षों के लिए अनिवार्य होता है.

कब खत्म हो सकता है लीज एग्रीमेंट

संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 105 में "पट्टे" को परिभाषित किया गया है साथ ही कुछ शर्तें भी बताई हैं. जिसके अनुसार पट्टा समझौता को खत्म किया जा सकता है. यह अधिनियम कुछ अप्रत्याशित परिस्थितियों/शर्तों के अंतर्गत लीज को समाप्त करने का अधिकार देता है.

वहीं इस अधिनियम की धारा 108(B)(e) में कहा गया है कि लीज को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले तीन मानदंडों का पूरा होना जरूरी है:

1. कोई 'अप्रत्याशित स्थिति (Unexpected Situation)' जो टाली न जा सके यानि कुछ ऐसे हालात बन जाए जिसमें केवल उस एग्रीमेंट को खत्म करना ही एक रास्ता हो तो ऐसे में लीज को खत्म किया जा सकता है.

2. जिस काम के लिए संपत्ति को लीज पर दिया गया था उस काम के लायक वह संपत्ति नहीं रह जाती है तो ऐसे में भी पट्टे को खत्म किया जा सकता है.

3. मूल मालिक को पट्टा विलेख को अमान्य करने के पट्टेदार के निर्णय के बारे में सूचित किया जाना चाहिए.

किराया (Rent) एग्रीमेंट

जब भी किसी को किराये पर मकान दें तो रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाएं. रेंट एग्रीमेंट एक कानूनी दस्तावेज है. जो किरायेदार और मकान मालिक दोनों के लिए ही फायदेमंद होता है. हमेशा याद रखें कि जब भी आप कोई रेंट एग्रीमेंट बनाए तो वह एक साल से कम के लिए बनाए. ये आपके लिए फायदेमंद होगा. चलिए जानते हैं क्यों.

भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 (D) के अनुसार एक साल से कम के रेंट एग्रीमेंट और लीज एग्रीमेंट के लिए रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होती है. इसके कारण आपको रजिस्ट्रेशन पर फीस (Rent Agreement Registration Fee) नहीं देनी पड़ेगा.

रेंट एग्रीमेंट में निम्नलिखित चीजें शामिल की जाती हैं:

  • किराए की राशि कितनी होगी
  • रहने की अवधि
  • किराया में संशोधन की समयसीमा
  • पार्किंग शुल्क (यदि कोई हो)
  • बेदखली का आधार
  • सबलेटिंग क्लॉज

Lease और Rent Agreement में अंतर

पट्टा एग्रीमेंट

  • लीज पट्टेदार के साथ किया गया समझौता है ताकि उसे संबंधित प्रॉपर्टी का लंबे समय तक इस्तेमाल करने का अधिकार मिल सके.
  • आमतौर पर लीज एग्रीमेंट लंबी अवधि के लिए होता है.
  • यह पट्टादाता और पट्टेदार के बीच होता है.
  • लीज समाप्त होने तक लीज एग्रीमेंट को बदला नहीं जा सकता है.
  • मालिकाना हक पट्टेदार के पास ही रहता है
  • अपंजीकृत होने पर अमान्य हो जाता है (12 महीने से अधिक या उस तक के पट्टों के लिए).

किराया एग्रीमेंट

  • यह एग्रीमेंट एक निश्ति अवधि के लिए किसी प्रॉपर्टी के इस्तेमाल के लिए किया जाता है.
  • रेंट एग्रीमेंट लीज एग्रीमेंट की तुलना में कम अवधि के लिए होता है.
  • इसके संबंधित पक्षकार किरायेदार और मालिक होते हैं.
  • एग्रीमेंट में मकान मालिक द्वारा बदलाव किया जा सकता है
  • अगर पंजीकरण न कराया जाए फिर भी यह कानूनी रूप से वैध रहता है.