हड़ताल क्या है श्रम विधि के अंतर्गत? इसके आवश्यक तत्व और करने की शर्तें क्या हो सकतीं हैं?
नई दिल्ली: कभी सरकार से या किसी कंपनी से अपनी बात मनवाने के लिए, तो कभी न्याय पाने के लिए लोग हड़ताल करते रहते हैं. कहा जाता है कि हड़ताल कर्मचारियों के लिए अपनी मांग को कंपनी के द्वारा पूरा करवाने का एक हथियार है. हड़ताल करने के लिए कुछ शर्तें होती हैं जिनके पूरा ना करने पर हड़ताल को अवैध करार दिया जा सकता है. यहां समझते है कि कानूनी रूप से हड़ताल की क्या परिभाषा है.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि हड़ताल को औद्योगिक विवाद अधिनियम (Industrial Disputes Act) 1947 की धारा 2(q) में परिभाषित किया गया है.
इस धारा के अनुसार जब कर्मचारियों के समूह द्वारा अपनी मांग को स्वीकार करने के उद्देश्य से नियोजक पर दबाव बनाने के लिए काम को बंद कर दिया जाता है तो उसे हड़ताल कहते हैं. ऐसा जरूरी नहीं है कि हड़ताल समूह में ही किया जाए, यह एक व्यक्ति के द्वारा भी किया जा सकता है.
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हड़ताल के आवश्यक तत्त्व
1. एक उद्योग (Industry) या कई उद्योग
2. एक नियोजक या कई नियोजक
3. ऐसे उद्योग या उद्योगों में कार्य करने वाले कर्मचारी
4. कर्मचारियों का एक समूह द्वारा काम बंद करना या रोकना, हड़ताल में काम बंद करने की अवधि महत्वपूर्ण नहीं होती
5. हड़ताल करने वाले सभी लोगों का एक ही उद्देश्य हो अपनी मांग को किसी औद्योगिक विवाद के बीच नियोजक द्वारा मनवा लेने
6. श्रमिक वर्ग का मिलकर ऐसा करना आवश्यक है.
7. यह जरुरी नहीं है कि उद्योग के सभी श्रमिक सामूहिक रूप से हड़ताल पर जाए और काम ठप्प कर दें. यदि किसी विभाग या विभाग के कुछ लोग भी एकजूट होकर काम करने से इंकार करते है तो उसे हड़ताल माना जायेगा.
हड़ताल करने की शर्तें
औधोगिक विवाद अधिनियम की धारा 22 को विशेष धारा माना जाता है क्योंकि इसके तहत लोकोपयोगी सेवा का प्रावधान किया गया है जबकि जबकि धारा 23 गैर लोकोपयोगी बात करता है, और यह सामान्य धारा है.
धारा 22 के अंर्तगत हड़ताल कैसे शुरू करेंगे और इसके लिए क्या शर्तें हैं इसके बारे में बताया गया है. इसकी उपधारा एक के अनुसार, सार्वजनिक उपयोगिता सेवा में नियोजित कोई भी व्यक्ति अनुबंध के उल्लंघन में हड़ताल पर नहीं जाएगा;
- .नियोजक या स्वामी को हड़ताल करने से पूर्व छ: सप्ताह हड़ताल की नोटिस दिए बिना या उसके पश्चात ही
- .ऐसी नोटिस देने की तिथि से 14 दिनों के अंदर
- .उपरोक्त किसी भी नोटिस में निर्दिष्ट हड़ताल की तारीख की समाप्ति से पहले; या
- .किसी सुलह अधिकारी के समक्ष किसी सुलह कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान और ऐसी कार्यवाही के समापन के सात दिन बाद.
उपधारा 2 के अनुसार सार्वजनिक उपयोगिता सेवा चलाने वाला कोई भी नियोक्ता अपने किसी भी कर्मचारी को बाहर नहीं निकालेगा
उपधारा 3 -तालाबंदी या हड़ताल की सूचना आवश्यक नहीं होगी जहां पहले से ही हड़ताल मौजूद है
धारा 22 में यह बात स्पष्ट है कि बिना पूर्व सूचना के हड़ताल अवैध होगी , क्योंकि नोटिस देना परमादेश है.
अवैध हड़ताल
धारा 22 के तहत दिए गए, इन आधारों पर हड़ताल को अवैध माना जा सकता है
- .हड़ताली से पहले नियोक्ता को छह सप्ताह के भीतर हड़ताल की सूचना दिए बिना; या
- .इस तरह के नोटिस देने के चौदह दिनों के भीतर; या
- .पूर्वोक्त जैसे किसी भी नोटिस में निर्दिष्ट हड़ताल की तिथि समाप्त होने से पहले; या
- .किसी सुलह अधिकारी के समक्ष किसी सुलह की कार्यवाही के दौरान और ऐसी कार्यवाही के समापन के सात दिन बाद
जानकारी के लिए आपको बता दें कि अवैध हड़ताल के विषय में इस अधिनियम के धारा 24 में बताया गया है.
हड़ताल से संबंधित मामलें
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ बनाम IT के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि “हड़ताल का अधिकार या तालाबंदी की घोषणा करने का अधिकार उचित औद्योगिक कानून द्वारा नियंत्रित या प्रतिबंधित किया जा सकता है.
वहीं दूसरे केस पर नजर डालें तो मिनरल माइनर्स यूनियन बनाम कुद्रेमुख और कं लि केस में कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि धारा 22 आज्ञात्मक प्रकृति का है. इसलिए नोटिस में उस तारिख को बताना अत्यंत आवश्यक है जिस पर कर्मचारी हड़ताल पर जाना चाहते है. निर्धारित तिथि के बीत जाने पर या समझौते कार्यवाही की विफलता के कारण यदि नोटिस देना आवश्यक है तो नोटिस दी जानी चाहिए. बिना नोटिस के किया गया हड़ताल अवैध माना जाएगा.