Robbery क्या है? यह जबरन वसूली और चोरी से किस प्रकार भिन्न है
नई दिल्ली: किसी व्यक्ति की संपत्ति को उसके इच्छा के खिलाफ जाकर, डराकर या धमका कर उस पर कब्जा कर लेना या फिर उसकी गैरमौजूदगी में उसकी संपत्ति में सेंध लगा लेना या उसका सामान गायब कर देना एक अपराध है. इस तरह के अपराध को कानूनी भाषा में चोरी, लूट और जबरन वसूली का नाम दिया है. लूट, जबरन वसूली और चोरी में समानता होने के कारण लोगों को लगता है सब एक होते हैं, लेकिन भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) 1860 में सबको अलग - अलग अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है. आपको बताते है की क्या है लूट और यह जबरन वसूली और चोरी से किस तरह अलग है.
आईपीसी की धारा 390
आईपीसी की धारा 390 में लूट, चोरी कब लूट है और जबरन वसूली कब लूट है उसके बारे में बताया गया है. इस धारा के अनुसार हर तरह के लूट में या तो चोरी या जबरन वसूली ( Extortion) शामिल होता है.
चोरी कब लूट (Robbery) है
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धारा 390 के अंतर्गत जब चोरी करते समय, चोरी की कोशिश करते समय या चोरी का सामान ले जाते वक्त किसी के रोकने पर अपराधी द्वारा अपनी मर्जी से उसकी हत्या करने की धमकी या किसी तहत का कोई नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जाए, तब उस चोरी को लूट कहा जाता है.
जबरन वसूली (Extortion) कब लूट है
आईपीसी की धारा 383 में जबरन वसूली को परिभाषित किया गया है जिसके अनुसार अगर कोई किसी को धमकाता है, किसी को जान से मारने के लिए या फिर किसी भी तरह के नुकसान के लिए और उस धमकी का उद्देश्य पैसा है तो वह जबरन वसूली कहलाएगा.
वहीं धारा 390 में यह बताया गया है कि यदि कोई अपराधी जबरन वसूली करते समय पीड़ित की मौजूदगी में अपनी मर्जी से उन्हे जान से मारने की धमकी देकर उनमें डर पैदा करके उसी वक्त वसूली वाली वस्तु को अपने हवाले करने के लिए कहता है तो वह लूट कहलाता है.
स्पष्टीकरण - यहां लूट के लिए अपराधी का अपराध वाली जगह पर मौजूद होना आवश्यक है. यानि डराते और धमकाते वक्त अपराधी का पीड़ित के पास होना जरुरी है.
उदाहरण के लिए;
1. एक दिन राम श्याम को दबोच लेता है और उसके पॉकेट में रखे आभूषण को श्याम की मर्जी के बिना ही निकाल लेता है तो यहां राम ने चोरी की है और चोरी करने के लिए राम ने अपनी मर्जी से श्याम को दबोचा है इसलिए राम की ये चोरी लूट बन जाती है.
2. रमेश, महेश के पास जाता है, रमेश महेश की ओर पिस्तौल दिखाता है और उसका पर्स मांगता है. परिणामस्वरूप, महेश अपना पर्स छोड़ देता है. रमेश ने महेश को तत्काल नुकसान का डर दिखाकर और खुद उस जगह पर मौजूद होकर जबरन वसूली करके पर्स को छीना है. यानि रमेश ने लूट की है.
लूट के लिए सजा
किसी को लूट लेना एक गैर कानूनी अपराध है. पकड़े जाने पर कानूनी रूप से दोषी को दंडित किया जाता है. धारा 392 में लूट के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. जिसके तहत जो कोई लूट के अपराध को अंजाम देगा वह दोषी पाए जाने पर कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा जिसकी अवधि दस वर्ष तक हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जाएगा.
साथ ही अगर लूट राजमार्ग पर सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच की जाए तो कारावास की अवधि चौदह वर्ष तक हो सकती है.