मणिपुर हिंसा पर Rule 267 के अंतर्गत चर्चा के लिए Rajya Sabha में दिए गए 47 नोटिस, जानें क्या है नियम
नई दिल्ली: भारतीय संसद (Parliament) का मॉनसून सत्र 20 जुलाई, 2023 से शुरू हो गया है और यह 11 अगस्त, 2023 तक चलेगा। इस सत्र में अलग-अलग महत्वपूर्ण विषयों, विधेयकों और कानूनों पर चर्चा लोक सभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) को रखा गया है लेकिन चर्चा का सबसे बड़ा विषय मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) है, जिसको लेकर गतिरोध बना हुआ है और विपक्ष ने इस अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया है जिस पर चर्चा होनी है .
इस विषय पर बात करने और सरकार के साथ चर्चा करने के लिए विपक्ष ने लोक सभा में अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) भी जारी कर दिया है जिसपर डिस्कशन और वोटिंग भी शुरू होने वाली है। इसी तरह, इस विषय को राज्यसभा में डिस्कस किया जाए, विपक्ष की यह भी कोशिश है और इसके लिए राज्यसभा की नियम संख्या 267 के कई नोटिस भी जारी किए गए हैं। आइए जानते हैं कि राज्यसभा के नियमों की सूची में नियम संख्या 267 क्या है.
क्या है राज्यसभा नियम 267?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राज्य सभा के नियम 267 के अधीन कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से यह प्रस्ताव रख सकता है कि किसी विशेष प्रस्ताव को प्रस्तुत करने के मकसद से, उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध कार्य से संबंधित किसी नियम को, उसके आवेदन के दौरान निलंबित किया जा सकता है, और अगर, संबद्ध प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है तो प्रश्नगत/ संबद्ध नियम कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाएगा।
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इसका सरल मतलब यह है कि, नियम 267 किसी भी राज्यसभा सदस्य को यह विशेष अधिकार देता है कि वो चेयरमैन की रजामंदी के बाद एक लिखित नोटिस के माध्यम से सदाद के सूचीबद्ध कार्यों को निलंबित कर सकते हैं जिससे एक या अधिक सदस्यों द्वारा उठाए गए विषय पर चर्चा की जा सके।
यह नियम तब लागू नहीं होगा जहां, नियमों के किसी विशेष अध्याय के तहत, किसी नियम के निलंबन के लिए विशिष्ट प्रावधान पहले से मौजूद हैं। राज्यसभा का कोई भी सदस्य नियम 267 के तहत किसी भी विषय पर चर्चा करने के लिए अध्यक्ष को नोटिस जारी कर सकता है।
राज्यसभा में कब-कब हुई इस नियम के तहत चर्चा?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राज्यसभा ने लगभग सात वर्षों से नियम 267 के तहत चर्चा की अनुमति नहीं दी है राज्यसभा में आखिरी बार नियम 267 के तहत 16 नवंबर, 2016 को चर्चा हुई थी, जब राज्यसभा ने विमुद्रीकरण के मुद्दे को उठाने की अनुमति दी थी.
संवैधानिक रिकॉर्ड्स पर नजर डालें तो 1990 से लेकर 2016 तक में करीब 11 बार अलग-अलग विषयों की चर्चा हेतु इस नियम का इस्तेमाल किया गया है। बता दें कि राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनकर (Jagdeep Dhankar) का ऐसा मानना है कि पिछले कुछ समय से इस नियम के तहत चर्चा इसलिए नहीं की गई है क्योंकि यह 'व्यवधान उत्पन्न करने का एक ज्ञात तंत्र बन गया है'।