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Power of Attorney क्या है, और क्या है इससे संबंधित कानून?

इसके माध्यम से प्रॉपर्टी का मालिक या कोई व्यक्ति अपनी शक्तियों का ट्रांसफर किसी दूसरे व्यक्ति को करता है. ताकि वह उसके गैरमौजूदगी में संपत्ति से संबंधित जरूरी फैसले कर सके.

Written By My Lord Team | Published : April 15, 2023 3:01 PM IST

नई दिल्ली: अगर आप कहीं बाहर जा रहे हैं और आप चाहते हैं कि आपकी संपत्ति आपके पीछे भी सुरक्षित रहे. इसका सबसे बेहतरीन उपाय है कि आप लीगल का रास्ता अपनाएं. चलिए जानते हैं कैसे. पावर ऑफ अटॉर्नी एक्ट 1882 में आपकी परेशानी का हल है.

पावर ऑफ अटॉर्नी एक्ट को हिंदी में मुख्तारनामा अधिनियम, 1882 कहा जाता है. इसके तहत ही अपनी संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी  किसी और को दिया जाता है. यह एक जरूरी लीगल डॉक्यूमेंट होता है जिसका इस्तेमाल कर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपनी प्रॉपर्टी को मैनेज करने के लिए अपॉइंट कर सकता है.

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इसके माध्यम से प्रॉपर्टी का मालिक या कोई व्यक्ति अपनी शक्तियों का ट्रांसफर किसी दूसरे व्यक्ति को करता है. ताकि वह उसके गैरमौजूदगी में संपत्ति से संबंधित जरूरी फैसले कर सके.

पावर ऑफ अटॉर्नी के अंतर्गत जिस भी व्यक्ति को अपॉइंट किया जाता है उसे प्रिंसिपल, डोनर, या फिर ग्रांटर कहा जाता है. वहीं अधिकृत व्यक्ति को एजेंट या फिर पावर ऑफ अटॉर्नी एजेंट कहा जाता है. नियमों और शर्तों के आधार पर ऑथराइज्ड एजेंट के पास प्रॉपर्टी से जुड़े लीगल निर्णय लेने के अधिकार होते हैं.

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किसे बनाया जा सकता है पावर ऑफ अटॉर्नी

अपनी संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी उसे ही बनाएं जो भरोसेमंद हो यानि आपके पीछे किसी तरह का गैरकानूनी कार्य ना करे. नियमों के तहत जिसे भी आप पावर ऑफ अटॉर्नी बना रहे हैं उसकी उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए साथ ही उसमें सही निर्णय लेने की क्षमता हो.

अगर आप चाहें तो एक साथ कई PoA भी जारी कर सकते हैं और यह भी तय कर सकते हैं कि कोई फैसला लेते समय सभी एजेंट मिलकर काम करें या नहीं. आमतौर पर एक से ज्यादा पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल बैकअप के तौर पर किया जाता है. मान लें अगर एजेंट बीमार हो जाए या जख्मी हो जाए तो बैकअप व्यक्ति संबंधित कामकाज कर सके. ऐसे आप अपने परिवार के किसी सदस्य, दोस्त या यहां तक कि संबंधित क्षेत्र के किसी एक्सपर्ट या पेशेवर शख्स के नाम भी जारी कर सकते हैं.

पावर ऑफ अटॉर्नी के प्रकार

हमारे देश में पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी एक्ट-1982 के तहत ही पॉवर ऑफ अटॉर्नी जारी की जाती है. इसके तहत कई प्रकार के पावर ऑफ अटॉर्नी इश्यू करने का प्रावधान है.

1.कन्वेंशनल पावर ऑफ अटॉर्नी

इस तरह के पावर ऑफ अटॉर्नी के अंडर किसी व्यक्ति को एक खास जिम्मेदारी के लिए ही अपॉइंट किया जाता है जो कि एक निश्चित समय के लिए ही वैलिड होता है. इसे जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) भी कहा जाता है. यानि इसके तहत किसी को एक तय समय सीमा के लिए ही अप्वाइंट ही किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य होता है किसी खास काम के लिए ही केवल उसे रखना. इस प्रकार की पावर ऑफ अटॉर्नी के तहत जिसे अधिकार दी जाती है उसे ज्यादा पावर मिलता है.

2.ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी

ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी से मतलब उस पीओए से है, जिसमें यह लाइफटाइम के हिसाब से चुना जाता है. इसके अंडर एजेंट के पास तब भी फैसले लेने की ताकत होती है जब ग्रांटर अनफिट होता है. इस तरह के POA तब तक जारी रखे जाते हैं. जब तक ग्रांटर की मृत्यु न हो जाए या फिर उनकी तरफ से प्लान कैंसिल न किया जाए.

3.स्प्रिन्गिंग पावर ऑफ अटॉर्नी

इसे किसी खास इवेंट, डेट या फिर कंडीशन के लिए उपयोग किया जाता है. खासतौर पर तब जब ग्रांटर फैसला लेने में अक्षम होता है यानि वह इस हालत में नहीं होते हैं कि वह किसी भी तरह का कोई फैसला ले सकें- जैसे-कोई रिटायर्ड मिलिट्री पर्सन डिसएबल होने पर एक PoA एजेंट को अपॉइंट कर सकते हैं.

4.मेडिकल पावर ऑफ अटॉर्नी

मेडिकल पावर ऑफ अटॉर्नी स्प्रिन्गिंग और ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी के अंडर आती है. इस तरह के इंस्ट्रूमेंट को सामान्यत हेल्थकेयर से जुड़े मामलों में यूज किया जाता है. लेकिन इस अपॉइंट करने के लिए व्यक्ति को हेल्दी स्टेट ऑफ माइंड में होना जरूरी है.