Advertisement

बीच बचाव और मध्यस्थता क्या है, जानिए दोनों एक हैं या अलग

अदालतों में कई मामले बस धूल फांकते रहते हैं उन्हीं मामलों का निपटारा करने के लिए एक समाधान निकाला गया है बीच बचाव और मध्यस्थता का

Written By My Lord Team | Published : March 27, 2023 5:05 AM IST

नई दिल्ली: भारत की आबादी 1.4 अरब लोगों की है और भारतीय न्यायिक प्रणाली के लिए इतनी भारी संख्या में मामलों से निपटना कोई चुनौती से कम नहीं है. केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री (Minister of Law and Justice of India) किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने सदन में बताया था कि देश की विभिन्न अदालतों में अनुमानित 4.7 करोड़ मामले लंबित हैं. कई कारणों से न्यायपालिका पेंडिंग मामलों को निपटाने में असक्षम है. न्यायपालिका पर बोझ को कम करने के लिए मध्यस्थता और बीच बचाव दो वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र शुरू किया गया था. मध्यस्थता और बीच बचाव दोनों एक समान लगने के कारण बहुत से लोगों को ये असमंजस होती है कि दोनो एक है या अलग. हकिकत ये हैं कि दोनो एक जैसे लगते हैं, लेकिन इनमें बहुत अंतर है. जिसे समझना जरूरी है.

वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र प्रणाली

यह मुख्य रूप से अदालत के बाहर निपटान करने के लिए अस्तित्व में आई थी. लेकिन इसके और कई उद्देश्य हैं जैसे:

Advertisement

कम प्रक्रिया के साथ अफोर्डेबल और त्वरित परीक्षण करना.

Also Read

More News

बातचीत या समझौते या उचित प्रस्तावों के मदद से विवादों को हल कराना.

Advertisement

पक्षों को एक-दूसरे के बातों को साफ-साफ ढंग से समझने में सक्षम बनाता है.

भविष्य के विवादों से बचने हेतु दिशा निर्देश बनाता है.

क्या है मध्यस्थता

“मध्यस्थता” का अर्थ है किसी प्रश्न का समाधान, किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाना जिस पर पक्ष एक न्यायसंगत निर्णय प्राप्त करने के लिए अपने दावों को संदर्भित करने के लिए सहमत हों.

मध्यस्थता एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रक्रिया है जिसमें पक्षकार किसी तीसरे व्यक्ति के मदद के माध्यम से न्यायालय का सहारा लिए बिना अपने विवादों का निपटारा करवाते हैं. यह ऐसी विधि है जिसमें विवाद किसी नामित व्यक्ति के सामने रखा जाता है जो दोनों पक्षों को सुनने के बाद अर्ध-न्यायिक तरीके से मामले का निर्णय करता है.

बीच बचाव

बीच बचाव एक स्वैच्छिक, बाध्यकारी प्रक्रिया है जिसमें एक निष्पक्ष और तटस्थ (neutral) बिचवई (mediator) विवादित पक्षों को समझौते करने में मदद करता है। एक बिचवई समाधान थोपता नहीं है बल्कि एक ऐसा वातावरण बनाता है जिसमें दोनों विवादित पक्ष अपने सभी विवादों को हल कर सकें.

बीच बचाव पारंपरिक रूप से पारिवारिक विवादों जैसे पति और पत्नी या भाइयों के बीच उत्पन्न होने वाले को विवादों को हल करने के लिए किया जाता था.

बीच बचाव बिल, 2021

बीच बचाव बिल, भारत में बीच बचाव के लिए एक विशिष्ट कानून के निर्माण के लिए एक कदम है.

इस विधेयक की विशेषताएं :

.यह मुकदमे के लिए जाने से पहले पक्षों को बीच बचाव का विकल्प चुनने के लिए बाध्य करता है.

.यह उन पक्षों के हितों को सुरक्षित करता है जो तत्काल राहत के लिए अदालतों से संपर्क करते हैं.

.यह प्रक्रिया विवादों की गोपनीयता प्रदान करता है और मामलों में प्रकटीकरण को रोकता है.

बीच बचाव और मध्यस्थता में अंतर

अर्थ: बातचीत विवाद समाधान का एक तरीका है जिसमें पार्टियां अपने संघर्ष को सुलझाती हैं और चर्चा के माध्यम से एक समझौते पर पहुंचती हैं. मध्यस्थता भी विवाद समाधान का एक तरीका है जिसमें एक स्वतंत्र तृतीय पक्ष पक्षों को उनके विवादों को सुलझाने में संघर्ष करने में सहायता करता है.

तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप: बिच बचाव में तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं होता पर मध्यस्थता मे होता है.

बैठक: बीच बचाव में संघर्ष के पक्ष में साझा करने वाले अपने प्रतिनिधित्व और अधिकारों पर चर्चा करने के लिए मिलते हैं. मध्यस्थता में एक नियत मुद्दे के बारे में बात करने के लिए संयुक्त रूप से और अलग-अलग दोनों हर जगह मिलते हैं.

समझौता: बीच बचाव में पार्टियां खुद एक एकॉर्ड पर पहुंचती हैं. मध्यस्थता समझौते से संबंधित हर मुद्दे को हल करने के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तावित है.

निजता: बीच बचाव में ग्रुप के बीच संबंध पर संपर्क करता है पर मध्यस्थता में संबंधित हर तरह से नियंत्रण