Attachment of Property का क्या मतलब होता है? कौन आदेश जारी करता है?
नई दिल्ली: कई बार आपने देखा होगा कि सरकार ने किसी की संपत्ति को जब्त कर लिया लेकिन क्या जानते हैं ऐसा क्यों, किसके आदेश पर और किन नियमों के आधार पर किया जाता है. सबसे पहले यह जान लें कि संपत्ति कुर्की (Attachment of Property) एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके बारे में CrPC की धारा 82, 83, 84 और 85 में बताया गया है.
संपत्ति कुर्क एक न्यायिक प्रक्रिया है जिसकी कार्यवाही तब की जाती है जब कोई अपराधी अदालत या पुलिस की पकड़ से फरार हो जाता है. अदालत के पास यह अधिकार होता है कि वह उस अपराधी व्यक्ति की संपत्ति को अपने कब्जे में ले सके. उस संपत्ति को कानून तब तक अपने कब्जे में रखती है जब तक कि भागा हुआ अपराधी अपने अपराध के लिए सजा न भुगत ले और अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण न कर दे.
कुर्की का आदेश आमतौर पर हमारे देश में अदालतों के द्वारा ही जारी किए जाते हैं. छोटे वादों की अदालतों के अलावा उपयुक्त क्षेत्राधिकार के सभी न्यायालय कुर्की के आदेश जारी कर सकते हैं.
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निम्नलिखित धाराओं के तहत दी जाती हैं संपत्ति कुर्क का आदेश
फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा
सीआरपीसी की धारा 82 के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति जिसके खिलाफ वारंट निकाला गया है वह किसी अपराध की सजा से बचने के लिए या कर्ज चुकाने से बचने के लिए फरार हो जाता है. जिसके कारण वारंट का निष्पादन नहीं किया जा सकता है. तो अदालत ऐसे व्यक्ति को कम से कम 30 दिन के अंदर एक निश्चित जगह पर खुद को पेश करने के लिए अदालत लिखित उद्घोषणा (Proclamation) प्रकाशित करवा सकती.
इस उद्घोषणा को ऐसी जगह चिपकाया जाता है जहां से वह व्यक्ति जो फरार है पढ़ सके जैसे वो जहां रहता है उसके आस पास के एरिया में.इसके बारे में भी इस धारा के तहत बताया गया है.
फरार व्यक्ति की संपत्ति की कुर्की
धारा 83 के तहत अगर अदालत को जानकारी मिलती है कि फरार व्यक्ति अपनी संपत्ति को बेचने वाला है तो ऐसे में वह तुरंत ही फरार व्यक्ति के संपत्ति को कुर्क करने का आदेश जारी कर सकता है. इतना ही नहीं अगर संपत्ति किसी दूसरे जिले में है तो वहां भी जिला मजिस्ट्रेट द्वारा कुर्की की कार्रवाई की जाती है.
एक बार किसी Property को कुर्की के आदेश दे दिए गए हैं पर अगर वह Property गिरवी रखी हुई है या फिर कोई चल संपत्ति है तो ऐसी Property के लिए एक रिसीवर को नियुक्त किया जाता है जो की कुर्की की कार्यवाही को अपने अंतर्गत करवाता है. मान लीजिए कोई अचल संपत्ति है और अगर वह संपत्ति राज्य सरकार को tax देने वाली property है तो कुर्की जिले के जिलाधीश के माध्यम से की जाती है.
धारा 83 के अन्तर्गत जब कुर्की की हुई संपत्ति के विषय में कोई व्यक्ति दावा करता है या आपत्ति करता है, उस कुर्की की जाने वाली प्रॉपर्टी में उसका हिस्सा है लेकिन ऐसा दावा प्रॉपर्टी कुर्की होने की तारीख से 6 महीने के अंदर किया जाना चाहिए और यह दावा करने वाला व्यक्ति वह फरार व्यक्ति नहीं होना चाहिए, कोई दूसरा व्यक्ति होना चाहिए. उस व्यक्ति के द्वारा किए गए दावे या आपत्ति की जांच की जाएगी और उसे पूर्ण रूप से या फिर कुछ रूप से मंजूरी या फिर ना मंजूरी भी दी जा सकती है.
कुर्की के बारे में दावे और आपत्तियां
धारा 84 के अंतर्गत कई उपधाराएं दी गई हैं जो निम्नलिखित है ;
1. कोई ऐसा व्यक्ति हैं जो फरार घोषित किए गए व्यक्ति से अलग है और वह धारा 83 के अधीन कुर्क किए गए संपत्ति में अपने किसी तरह के अधिकार का दावा करता है, तो उसे ऐसे में इस धारा के तहत उसकी जांच की जाएगी और हो सकता है उसका हक मिल जाए या नहीं भी. इस धारा में यह भी बताया गया है कि अगर दावा करने वाले की मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में उसकी तरह से उसका विधिक प्रतिनिधि (Legal Representative) भी अपने दावे को चालू रख सकता है.
2. उपधारा 1 के अधीन जो दावे या आपत्तियां उस अदालत में की गई है जिसके द्वारा कुर्की का आदेश दिया गया है, या दावा या आपत्ति ऐसी संपत्ति के बारे में है जो धारा 83 की उपधारा 2 के अधीन पृष्ठांकित आदेश के अंतर्गत कुर्क की गई है तो, उस जिले के, जिसमें कुर्की की जाती है मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के अदालत में की जा सकती है.
३. हर एक ऐसे दावे या आपत्ति की जांच उस अदालत के द्वारा की जाएगी, जिसमें वह किया गया था या की गई है, लेकिन अगर
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) के न्यायालय में किया गया था या की गई है तो वह उसे निपटारे के लिए अपने अधीनस्थ किसी मजिस्ट्रेट (Magistrate) को दे सकता है.
CrPC की धारा 85
इस धारा के मुताबिक फरार हुआ व्यक्ति अगर तय समय के अंदर हाजिर हो जाता है तो कोर्ट संपत्ति को कुर्की से मुक्त करने का आदेश दे देती है. अगर व्यक्ति तय समय के अंदर नहीं पहुंचता है तो संपत्ति राज्य सरकार के अंतर्गत रहती है.
अगर कुर्की की तारीख से 2 साल के अंदर व्यक्ति जिसकी संपत्ति राज्य सरकार के अंतर्गत रही है वह कोर्ट के सामने उपस्थित हो जाए और वह यह साबित कर देता है कि वह वारंट के डर से नहीं छुपा हुआ था या किसी और उद्देश्य से नहीं छुपा था, उसे वारंट की सूचना नहीं मिली थी. तो ऐसे में कुर्की की हुई संपत्ति को किस तरह से वापस किया जाए इसके बारे में इस धारा में बताया गया है.
अगर प्रॉपर्टी का कुछ भाग बेच दिया गया है तो बेचने के बाद जो भी पैसा मिला है वह कोर्ट के खर्चे काटकर प्रॉपर्टी के मालिक को वापस कर दिया जाता है. फरार व्यक्ति को अगर प्रॉपर्टी या प्रॉपर्टी को बेचने के बाद जो भी पैसा आया था उसे वापस करने के आदेश नहीं होते हैं, तो वह व्यक्ति उस कोर्ट में अपील कर सकता है जहां पर पहली बार उसे सजा दी गई थी. कह सकते हैं कि धारा 86 कुर्की की संपत्ति की वापसी के लिए आवेदन नामंजूर करने वाले आदेश के सम्बन्ध में अपील है.
हाल ही में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में जिला प्रशासन ने तस्कर की संपत्ति कुर्क की. गाजीपुर शहर में मादक पदार्थों के एक तस्कर द्वारा अवैध कमाई से खरीदी गई करीब ढाई करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति को जिला प्रशासन ने कुर्क कर लिया. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी.
पुलिस उपाधीक्षक (DSP) गौरव कुमार ने समाचार एजेंसी भाषा को बताया कि शहर कोतवाली क्षेत्र के नूरुद्दीनपुर मोहल्ले में मादक पदार्थों के तस्कर सरफराज अंसारी की 322 वर्ग मीटर की जमीन को गैंगस्टर कानून के तहत कार्रवाई करते हुए रविवार को कुर्क कर लिया गया. इस जमीन की कीमत 2.52 करोड़ रुपये आंकी गई है.
उन्होंने बताया कि अंसारी पर गिरोह बनाकर मादक पदार्थों की तस्करी करने का आरोप है. उस पर शहर कोतवाली और जंगीपुर थाने में दो-दो तथा दिलदारनगर थाने में एक मुकदमा दर्ज है. उसने अवैध रूप से कमाए गए धन से नूरुद्दीनपुर मोहल्ले में 322 वर्ग मीटर की जमीन खरीदी थी. कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी के आदेश पर बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ पहुंचे नायब तहसीलदार राहुल सिंह ने रविवार को मौके पर पहुंचकर कुर्की की कार्रवाई पूरी की.