IPC में Kidnapping और Abduction किसे कहते हैं और क्या है सजा के प्रावधान?
नई दिल्ली : अपहरण, भारत में सबसे ज्यादा होने वाले अपराधों में से एक है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में दिन के हर घंटे में लगभग 11 अपहरण हुए हैं. भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) 1860 में किडनैपिंग को हिंदी में व्यपहरण शब्द से और अपहरण (Abduction) को अपहरण शब्द से ही परिभाषित किया है. आईपीसी के तहत व्यपहरण और अपहरण से जुड़े अपराध और सजा के बारे में बताया गया है.
व्यपहरण (Kidnapping) क्या है
व्यपहरण को भारतीय दंड संहिता की धारा 359 में परिभाषित किया गया है जिसमे बताया गया है की यह दो प्रकार के होते हैं:
- भारत से व्यपहरण
- वैध अभिभावक से व्यपहरण
भारत से व्यपहरण
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व्यपहरण के पहले प्रकार के बारे में आईपीसी की धारा 360 में बताया गया है. जिसके अनुसार जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना या किसी ऐसे व्यक्ति की सहमति के बिना जो उसकी ओर से कानूनी सहमति दे सकता है, भारत के क्षेत्र से बाहर ले जाता है, तो यह माना जाता है कि उसने भारत से व्यपहरण का अपराध किया है. यहां इस धारा यह भी बताया गया है कि यह धारा तब ही लगाया जा सकता है जब किसी व्यक्ति को देश से बाहर ले जाया जाएगा.
वैध अभिभावक (Legal Guardian) से व्यपहरण
व्यपहरण के दूसरे प्रकार के बारे में धारा 361 में बताया गया है. इस धारा के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि व्यपहरण का अपराध तब गठित होगा जब कोई व्यक्ति किसी नाबालिग को कानूनी अभिभावक से बहला-फुसलाकर या कानूनी अभिभावक की सहमति के बिना बहला-फुसलाकर ले जाएगा.
इस धारा के अंतर्गत नाबालिग में 16 वर्ष से कम आयु का पुरुष और यदि महिला है तो 18 वर्ष से कम आयु आएंगे. नाबालिगों के अलावा इस धारा में विकृत मस्तिष्क के लोग भी शामिल हैं, जिन्हें उनके कानूनी अभिभावक की सहमति के बिना उनके कानूनी अभिभावक से लिया जाता है.
अपहरण (Abduction) किसे कहते हैं
इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 362 में परिभाषित किया गया है, जिसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को धोखा देकर या बलपूर्वक कहीं और ले जाना अपहरण कहलाता है.
व्यपहरण (Kidnapping) के लिए सज़ा
बढ़ते व्यपहरण के मामलों पर रोकथाम के लिए धारा 363 में कठोर सजा के प्रावधान किए गए हैं. जिसके तहत जिन लोगों को उनके कानूनी अभिभावकों (Lawful Guardian) की सहमति के बिना भारत से या उनके कानूनी अभिभावक से किसी नाबालिग का अपहरण करने के लिए दोषी ठहराया गया है, तो दोषी व्यक्ति को जुर्माने के साथ- साथ सात साल तक के लिए जेल भेजा जा सकता है.
व्यपहरण और अपहरण से जुड़े अन्य अपराध और सजा
भीख मंगवाने के लिए नाबालिग का व्यपहरण या विकलांगीकरण
जो लोग नाबालिग का अपरहण करके उनसे ज़बरदस्ती या उनका इस्तेमाल करके भीख मंगवाते हैं तो ऐसे लोग कानून के नजर में दोषी माने जाएंगे जिसके लिए उन्हे भारतीय दंड संहिता की धारा 363(A) के तहत दस साल तक की कैद के साथ-साथ जुर्माने से दंडित किया जा सकता है. लेकिन, अगर कोई व्यक्ति नाबालिग से भीख मंगवाने के उद्देश्य से उसका व्यपहरण करता है और विकलांग बना देते हैं तो ऐसे लोगों आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है.
हत्या के लिए व्यपहरण या अपहरण
आईपीसी की धारा 364 के तहत कोई भी व्यक्ति जो किसी भी व्यक्ति का व्यपहरण या अपहरण उसके हत्या करने के उद्देश्य से करता है या उसे हत्या के खतरे में डालता है, तो जो लोग इस अधिनियम के तहत दोषी पाए जाते हैं उन्हें आजीवन कारावास या कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जो दस साल तक बढ़ सकता है और ऐसे लोग जुर्माना भरने के लिए भी उत्तरदायी होंगे.
फिरौती के लिए व्यपहरण
धारा 364A के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का व्यपहरण या अपहरण करता है या किसी व्यक्ति को हिरासत में रखता है और उस व्यक्ति को चोट पहुंचाने या मारने की धमकी देता है या यह आशंका पैदा करता है कि अगर सरकार या कोई अन्य व्यक्ति फिरौती का भुगतान नहीं करता है या किसी बात को नहीं सुना जाता है तो वह व्यक्ति को मार देगा या चोट पहुंचाएगा. इस अधिनियम के तहत दोषी पाए गए लोगों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है और साथ में जुर्माना भी लगाया जाएगा.
किसी व्यक्ति का व्यपहरण या अपहरण करके बंधक बनाना
इस अपराध को धारा 365 में परिभाषित किया गया है. इसमें यह बताया गया है कि जो लोग किसी व्यक्ति का व्यपहरण या अपहरण करके उसे गुप्त रखकर गलत तरीके से बंधक बनाते हैं, उन्हें सात साल की कैद की सजा होगी और जुर्माना भी देना होगा.
शादी के लिए किसी महिला का अपहरण या अगवा करना
धारा 366 के अनुसार, यदि एक व्यक्ति जो किसी महिला का व्यपहरण या अपहरण करता है ताकि उसे उससे या किसी और से शादी करने के लिए मजबूर किया जा सके या यह जानते हुए कि उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी से शादी करने के लिए मजबूर या प्रेरित किया जाएगा, तो ऐसे व्यक्ति को दस साल तक की अवधि के लिए कारावास हो सकता है और जुर्माना भी अदा करने के लिए उत्तरदायी होगा.