Ex-parte साक्ष्य क्या होता है? क्या इसकी वैधता खारिज की जा सकती है?
नई दिल्ली: कई मामलों में ऐसा होता है कि जब किसी केस की सुनवाई होती है तो दोनों पक्ष में से एक पक्ष अदालत के बुलावे पर अदालत में मौजूद नहीं होता है तो ऐसे में अदालत एकपक्षीय साक्ष्य को सुनती है और उसी के आधार पर एकपक्षीय फैसला सुनाती है. आईए जानते हैं क्या है एकपक्षीय (ex-parte) साक्ष्य और क्या इसकी वैधता खारिज की जा सकती है या नहीं?
एकपक्षीय एक कानूनी प्रक्रिया है. जो एक पक्ष द्वारा विरोधी पक्ष की उपस्थिति, प्रतिनिधित्व या सूचना के बिना लाई जाती है. इस वाक्यांश का प्रयोग अक्सर अदालत, मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन), या पक्ष जिसका प्रतिनिधित्व दूसरे पक्ष या उसके कानूनी प्रतिनिधि को सूचित किए बिना किया जा रहा है, के साथ अनुचित, एकतरफा बातचीत का वर्णन करने के लिए किया जाता है.
एकपक्षीय साक्ष्य क्या है?
जब एक याचिकाकर्ता दस्तावेजों, तस्वीरों, या गवाहों के रूप में अपने साक्ष्य प्रस्तुत करता है, जो प्रासंगिक तथ्यों को प्रमाणित कर सकता हैं, तो अदालत पहले साक्ष्य कानूनों के अनुसार सभी का मूल्यांकन करने और उसके मूल्यांकन के आधार पर निर्णय देने से पहले उनकी प्रस्तुति की अनुमति देती है.
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मामले के एकपक्षीय समाधान के बाद, वह पक्ष जिसके विरुद्ध एकपक्षीय आदेश दिया गया था, उच्च न्यायालय में निर्णय की अपील कर सकता है. यहां तक कि अगर प्रतिवादी पेश होने में विफल रहते हैं, तो अदालत गुण-दोष के आधार पर मामले का फैसला करेगी.
सिविल प्रक्रिया संहिता (Code of Civil Procedure) 1908 के तहत जब किसी मामले में अदालत द्वारा जब पक्षकारों को समन किया जाता है, तब पक्षकारों के उपस्थिति या अनुपस्थिति होने की स्थिति को लेकर आदेश 9 में कई नियम बताए गए हैं जिसके अनुसार अदालत फैसला लेती है. उन्हीं नियमों में एक है एकपक्षीय आदेश (Ex-parte) या डिक्री करना.
वैधता खारिज की जा सकती है
नियम के अनुसार इसे जरुर खारिज किया जा सकता है अगर जो पक्ष उपस्थित नहीं था उसके पास कोई वाजिब कारण हो तब. यानि यह केस पर निर्भर करता है, जरुरी नहीं है कि हर केस में एकपक्षिय साक्ष्य की वैधता को खत्म किया जाए.
हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि एकपक्षीय डिक्री, जिसे सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC) के आदेश 9 नियम 13 के अनुसार रद्द किया जा सकता है, वह है जो वादी के साक्ष्य पर विचार करने के बाद जारी किया गया था, लेकिन इससे पहले प्रतिवादी परीक्षण चरण में उपस्थित नहीं हुआ था.
एकपक्षीय आज्ञप्ति
बुलाए गए पक्षकारों द्वारा अदालत में उपस्थित नहीं होने के कारण किसी एक पक्षकार को सुना जाना और जो पक्षकार अदालत में उपस्थित न होकर अपने लिखित अभिकथन नहीं करता है, उस पक्षकार को वाद से एकपक्षीय कर दिया जाता है. जो पक्षकार अदालत में वाद लेकर आता है केवल उसी के तर्क को केवल उसी के गवाहों को सुनकर न्यायालय द्वारा एक पक्षीय आदेश या आज्ञप्ति पारित करना ही एकपक्षीय आज्ञप्ति कहलाता है.
एकपक्षीय आज्ञप्ति अपास्त किया जाना
सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 9 का नियम 7 व 13 में एकपक्षीय आज्ञप्ति आदेशों को अपास्त (set aside) किए जाने के बारे में प्रावधान किया गया है.
अगर सुनवाई एकपक्षीय स्थगित कर दी गई हो तो प्रतिवादी उपसंजात (उपस्थित) हो सकेगा और उपसंजाति के लिए के लिए संरक्षित कर सकेगा. अदालत खर्च दिलवाकर या अन्यथा सुने जाने और लिखित कथन संस्थित किए जाने का आदेश दे सकेगा.
अगर सुनवाई पूरी गई हो और मामले को फैसले के लिए रखा गया हो तो ऐसे में आदेश 9 के नियम 7 के तहत एकपक्षीय आदेश को अपास्त नहीं किया जाना चाहिए. यह सुनील कुमार बनाम प्रवीणचंद्र के मामले में 2008 राजस्थान 179 में कहा गया था.
जहां ऐसा प्रतिवादी जिसके विरुद्ध एकपक्षीय आज्ञप्ति पारित की गई है
वीके इंडस्ट्रीज बनाम मध्य प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड: इस मामले में यह उल्लेख किया गया है कि एकपक्षीय आज्ञप्ति को अपास्त किए जाने के लिए जो शर्तें निर्धारित की जाएगी. उन शर्तों को युक्तियुक्त होना चाहिए. कोई भी ऐसी शर्त जो युक्तियुक्त नहीं है उसे आज्ञप्ति अपास्त किए जाने के लिए अदालत द्वारा शर्तों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
कोई भी एकपक्षीय आज्ञप्ति केवल इस आधार पर की समन की तामील में अनियमितता की गई थी अपास्त नहीं की जा सकेगी. समन की तामील में अनियमितता के साथ पक्षकार के पास कोई पर्याप्त युक्तियुक्त के लिए भी होना चाहिए,जिसके कारण वह अदालत में उपस्थित नहीं हो सका.
मैसर्स प्रेस्टिज लाइट्स लिमिटेड स्टेट बैंक ऑफ इंडिया: इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि किसी एकपक्षीय आज्ञप्ति को अपास्त कराने के लिए प्रस्तुत आवेदन पत्र को इस आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए कि निर्णीत ऋणी द्वारा विषय से संबंधित कोई पूर्व निर्णय पेश नहीं किया गया. अदालत के लिए भी विधि की अज्ञानता क्षम्य नहीं है.
एकपक्षीय आज्ञप्ति को अपास्त किए जाने हेतु आने वाले मामलों में कुछ पर्याप्त और अपर्याप्त कारणों का वर्गीकरण किया गया है जो इस प्रकार हैं:
सुनवाई की तिथि के संबंध में सद्भावनापूर्ण भूल.
गाड़ी का विलंब से पहुंचना.
अधिवक्ता का बीमार हो जाना.
विरोधी पक्षकार का कपाट.
डायरी में सुनवाई की तारीख गलत अंकित कर दिया जाना.
वाद मित्र अथवा संरक्षक की लापरवाही.
पक्षकार के संबंधी की मृत्यु हो जाना.
पक्षकार का कारवासित हो जाना.
विरोधी पक्षकार द्वारा निदेश नहीं मिलना.
सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कोई भी डिक्री किसी भी आवेदन पर तब तक अपास्त नहीं की जाएगा, जब तक केस के विरोधी पक्षकार को उसकी सूचना नहीं दी जाती. केस के विरोधी पक्षकार को सूचना देने के बाद ही एकपक्षीय डिक्री को अपास्त किया जा सकेगा. अनुपस्थिति के कारणों की पर्याप्तता का प्रश्न है या प्रत्येक मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करता है.