Ex-Parte Decree क्या है और यह न्यायालय द्वारा कब जारी किया जाता है?
नई दिल्ली: प्रत्येक पक्ष को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है. यदि कोई पक्षकार निर्धारित तिथि पर उपस्थित नहीं होता है तो न्यायालय समन द्वारा उसे उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी करता है. यदि एक सिविल मुकदमे में, वादी उपस्थित है और प्रतिवादी उपस्थित नहीं है जबकि कोर्ट ने इस सम्बन्ध में उसे समन जारी किया था, तब अदालत प्रतिवादी के खिलाफ एकपक्षीय डिक्री (Ex-Parte Decree) या आदेश पारित कर सकता है.
कोर्ट के पास सिविल प्रक्रिया संहिता,1908, के आदेश 9 नियम 6 के तहत एकपक्षीय डिक्री पारित करने का अधिकार है. आदेश में कहा गया है कि अगर प्रतिवादी समन तामील किए जाने के बावजूद अदालत में पेश नहीं होता है तो अदालत एकपक्षीय डिक्री पारित कर सकती है.
एक डिक्री हालांकि अंतिम आदेश है और जब एकपक्ष्य डिक्री पारित की जाती है तो प्रतिवादी के भविष्य में पेश होने का कोई मतलब नहीं है जब तक कि वह अपनी अनुपस्थिति के लिए वाजिब कारण नहीं बताता है, या जब तक कि उसे अपील के तहत ख़ारिज नहीं कर दिया जाता.
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एकपक्षीय डिक्री कब दी जा सकती है
आदेश 9 एवं नियम 6 के अनुसार, जब सिविल सूट की सुनवाई के लिए बुलाए जाने पर वादी उपस्थित होता है और प्रतिवादी उपस्थित नहीं होता है, तब यह नीचे दी गई बातें अनिवार्य रूप से होने चाहिए एकपक्षीय डिक्री पारित करने के लिए:
1. यदि यह साबित हो जाता है कि समन को सही तरीके से तामील किया गया था तो न्यायालय यह आदेश दे सकता है कि सूट की एकपक्षीय सुनवाई की जाएगी.
2. यदि यह साबित नहीं होता है कि समन सही रूप से तामील की गयी थी तो न्यायालय दूसरा समन जारी करके प्रतिवादी की उस तिथि पर उपस्थिति सुनिश्चित करेगा.
3. यदि यह साबित हो जाता है कि समन प्रतिवादी पर तामील किया गया था, लेकिन समन में निर्धारित दिन पर उसे पेश होने और जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया तो अदालत सुनवाई को स्थगित कर सकती है.
4. जब वादी की गलती के कारण सम्मन प्रतिवादी को समय पर या ठीक से तामील नहीं किया जाता है, तो कोर्ट के स्थगन के लिए वादी को भुगतान करने के लिए कहा जा सकता है.
एक पक्षीय निर्णय पर प्रतिवादी के लिए उपाय
जब प्रतिवादी के खिलाफ एकपक्षीय डिक्री पारित की जाती है तो वह इसे खारिज करवाने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग कर सकता है, प्रतिवादी आदेश 9, नियम 13 के तहत एक आवेदन दायर कर सकता है, और यह साबित कर सकता है कि सम्मन सही तरीके से तामील नहीं किया गया था या उचित समय दे कर तामील नहीं किया गया था या किसी उचित कारण के कारण वह कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सका था, तो अदालत आदेश को रद्द कर सकती है.
प्रतिवादी हाई कोर्ट में सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 96(2) के तहत अपील भी दायर कर सकता है. यह प्रतिवादी का अधिकार है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि उसे आदेश 9 नियम 6 के तहत एक पक्षीय आदेश दिया गया था.हालांकि प्रतिवादी नागरिक प्रक्रिया संहिता की धारा 114 के तहत एक समीक्षा आवेदन भी दायर कर सकता है, अगर उसने पहले ही अपील दायर नहीं की है.
हालांकि प्रतिवादी सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 114 के तहत एक समीक्षा आवेदन भी दायर कर सकते है, अगर उसने पहले ही अपील दायर नहीं की है. धारा 114 मूल रूप से अदालत को अपने आदेश की समीक्षा करने का अधिकार देती है यदि निर्धारित शर्ते पूरी होती है, जैसे जब इस संहिता द्वारा एकपक्षीय डिक्री के लिए अपील की अनुमति नहीं हो.