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Delimitation क्या है ? चुनाव आयोग इसे किन परिस्थितियों में लागू करता है

संविधान के अनुच्छेद 82 के अनुसार, 10 साल में एक बार जब भी देश की जनगणना होती है तो उसके बाद परिसीमन (Delimitation) करने का प्रावधान है. ये किसी राज्य, केंद्र शासित प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर जनसांख्यिकीय बदलाव को दर्शाने के लिए किया जाता है.

Written By My Lord Team | Published : March 28, 2023 10:10 AM IST

नई दिल्ली: परिसीमन (Delimitation) का शाब्दिक अर्थ होता है 'एक देश या एक विधायी निकाय वाले प्रांत में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को निर्धारित करने' का कार्य या प्रक्रिया. इसका मुख्य उद्देश्य है जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का उचित विभाजन करना जिससे प्रत्येक वर्ग के नागरिकों को प्रतिनिधित्व का समान अवसर प्रदान किया जा सके.

सामान्यतः इस प्रक्रिया में लोकसभा या विधानसभा की सीटों में कोई परिवर्तन किये बिना उनकी सीमाओं का पुनर्निर्धारण किया जाता है. किसी भी क्षेत्र के क्षेत्रफल, आबादी, भौगोलिक व राजनीतिक स्थिति और वहां की संचार सुविधाओं के आधार पर परिसीमन किया जाता है.

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परिसीमन की प्रक्रिया भौगोलिक क्षेत्रों का उचित विभाजन कर यह सुनिश्चित करती है कि चुनावों में एक राजनीतिक दल को दूसरों पर अनुचित लाभ न हो. इसके अलावा, गणना के आधार पर, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हितों की रक्षा के लिए आरक्षित सीटों का निर्धारण भी इस प्रक्रिया के तहत ही किया जाता है.

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संविधान के अनुच्छेद 82 के अनुसार, 10 साल में एक बार जब भी देश की जनगणना होती है तो उसके बाद परिसीमन करने का प्रावधान है. ये किसी राज्य, केंद्र शासित प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर जनसांख्यिकीय बदलाव को दर्शाने के लिए किया जाता है. प्रत्येक जनगणना के पश्चात संसद अनुच्छेद 82 के तहत एक परिसीमन अधिनियम (Delimitation Act) लागू करता है.

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इस अधिनियम के लागू होने के बाद राष्ट्रपति द्वारा परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) की नियुक्ति की जाती है और जो निर्वाचन आयोग के साथ मिलकर कार्य करती है.

परिसीमन आयोग

परिसीमन का काम एक उच्च शक्ति निकाय को सौंपा गया है, जिसके आदेशों में कानून का बल होता है. इस निकाय को परिसीमन आयोग या सीमा आयोग (Boundary Commission) के रूप में जाना जाता है. यह परिसीमन आयोग अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत सरकार द्वारा स्थापित एक आयोग है. किसी भी अदालत के समक्ष परिसीमन आयोग के आदेशों को चुनौती नहीं दी जा सकती है. इसके आदेशों की प्रतियां लोक सभा और संबंधित राज्य विधान सभा के समक्ष रखी जाती हैं, परन्तु उनके द्वारा इसमें किसी भी तरह के संशोधन की अनुमति नहीं है.

आपको बता दें कि फिलहाल, असम में परिसीमन अभ्यास जारी है, जिसको लेकर विवाद चल रहें हैं. इससे पहले जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया उसके बाद परिसीमन की प्रक्रिया की गई थी.

असम परिसीमन अभ्यास

असम कांग्रेस ने संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों में चल रहे परिसीमन अभ्यास के संबंध में स्थिति का जायजा लेने के लिए राज्य का दौरा कर रहे चुनाव आयोग (EC) की टीम से मिलने से मना कर दिया है.

आपको बता दें, 27 दिसंबर, 2022 को, चुनाव आयोग ने 2001 की जनगणना के आधार पर असम में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की योजना की घोषणा की. आखिरी बार असम में परिसीमन अभ्यास 1976 में किया गया था. जबकि कई राज्यों ने 2000 के पहले दशक में अभ्यास का एक नया दौर देखा था, इसे असम में कई बार टाल दिया गया क्योंकि राजनीतिक दलों ने नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर की बात कहते हुए इसका विरोध किया.

जम्मू और कश्मीर परिसीमन

हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा गठित एक परिसीमन आयोग ने जम्मू और कश्मीर में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की है. इस परिसीमन आयोग की स्थापना 6 मार्च 2020 को की गई थी.

तत्कालीन राज्य में, संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन भारत के संविधान द्वारा शासित होता था और विधानसभा सीटों का परिसीमन तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1957 (Jammu and Kashmir Representation of the People Act, 1957) के तहत किया जाता था.

2019 में जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को निरस्त करने के बाद, विधानसभा और संसदीय सीटों का परिसीमन संविधान द्वारा शासित होता है. अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, जम्मू और कश्मीर में परिसीमन आवश्यक हो गया, क्योंकि जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 ने विधानसभा में सीटों की संख्या में वृद्धि की बात कही है.

पहले जम्मू-कश्मीर राज्य में 111 सीटें थीं, जिसमें कश्मीर में 46, जम्मू में 37 और लद्दाख में 4 सीटें आवंटित थी, साथ ही 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के लिए आरक्षित थीं.

आयोग के अंतिम ड्राफ्ट के बाद, छ: अतिरिक्त विधानसभा सीटें जम्मू (संशोधित 43) और एक कश्मीर (संशोधित 47) के लिए निर्धारित की गई हैं. UT ऑफ़ J&K में विधानसभा सीटों की कुल संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई.

आपको बता दें कि हमारे देश में, इस तरह के परिसीमन आयोगों का गठन 4 बार किया गया है-

  • पहला 1952 में परिसीमन आयोग अधिनियम, 1952 के तहत,
  • दूसरा 1963 में परिसीमन आयोग अधिनियम,1962 के तहत,
  • तीसरा 1973 में परिसीमन अधिनियम, 1972 के तहत और
  • चौथा 2002 में परिसीमन अधिनियम, 2002 के तहत.