CSR Fund क्या है और कॉरपोरेट संस्थानों के लिए सामाजिक कार्य क्यों जरुरी है?
नई दिल्ली: हमारे समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति या संस्था की नैतिक सामाजिक जिम्मेदारी है दूसरों की देखभाल करने की और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह संस्था कितनी बड़ी है. इसी अवधारणा की ध्यान में रखते हुए, कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (Corporate Social Responsibility-CSR) की बात सामने आती है जिसके तहत Business Houses और कंपनियां सामाजिक जिम्मेदारियों को शामिल करने की कोशिश करती हैं और अपनी कंपनी की गतिविधयों के साथ ही साथ सामाजिक परेशानियों से निपटने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं .
सरकार ने अब इस तरह की सामाजिक जिम्मेदारी को लेने हेतु कंपनी अधिनियम 2013 के तहत कानूनी जिम्मेदारी का रूप दे दिया है जिसे कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी का नाम दिया गया है. भारत कानूनी रूप से कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) को अनिवार्य करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया.
कंपनी अधिनियम (Company Act) 2013 की धारा 135 के साथ कुछ कंपनियों के लिए CSR कानूनी रूप से बाध्य किया गया तथा इन नियमों को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा विनियमित किया जाता है. CSR मूल रूप से कुछ कंपनियों के लिए एक दायित्व है जिसे उन्हें दान या सामाजिक कार्य के रूप में पूरा करना होता है और यदि वे इसके नियमों का पालन करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें दंडित करते हुए इसके लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है.
CSR जिसे भारत में एक कानून के रूप में बदल दिया गया है और हर उस कंपनी के लिए अनिवार्य है जिसकी नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये या उससे अधिक है, या एक साल में 1000 करोड़ रुपये या उससे अधिक का कारोबार किया है, या 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक का शुद्ध लाभ एक साल में हुआ है.
कंपनियों के क्या दायित्व हैं?
CSR के तहत योग्य कंपनियों को कंपनी अधनियम की धारा 135 द्वारा निर्देश दिया जाता है कि वे तीन या अधिक निदेशकों वाली एक समिति बनाएं जिसमें से कम से कम एक व्यक्ति स्वतंत्र हो यानी किसी भी तरह से कंपनी से जुड़ा न हो. इस समिति का काम उन तरीकों का सुझाव देना है जिससे कंपनियां समाज की मदद कर सकती हैं और यह भी कि कंपनी निर्देशित गतिविधियों के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कितनी राशि खर्च करे .
समिति को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कंपनी द्वारा पिछले 3 वर्षों में किए गए औसत शुद्ध लाभ का 2% प्रत्येक वित्तीय वर्ष में खर्च किया जाए. यदि कोई कंपनी इसका पालन करने में विफल रहती है तो बोर्ड की जिम्मेदारी है कि वह एक रिपोर्ट तैयार करे और कारण बताए कि कंपनी नियमों का पालन करने में विफल क्यों रही. ज्यादातर कंपनी सीएसआर के लिए शुरू किए गए धन का उपयोग उसी क्षेत्र या इलाके में करती है जहां उसका कार्यालय स्थित होता है.
किस प्रकार के सामाजिक कार्य की अनुमति है?
कंपनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची VII उन गतिविधियों के बारे में बात करती है जो कंपनियां कर सकती हैं और समिति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्य सम्बंधित गतिविधियां सूची के अनुरूप हो, जैसे ;
● गरीबी दूर करना
● स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देना
● शिक्षा में सुधार
● वरिष्ठ नागरिकों के लिए
● लैंगिक समानता सुविधाओं में सुधार
● पिछड़े समूहों द्वारा सामना की जाने वाली असमानताओं को कम करना
● पर्यावरण की सुरक्षा करना
● सार्वजनिक विश्वविद्यालयों की आर्थिक रूप से मदद करना
● ग्रामीण और स्लम क्षेत्रों में विकास के लिए सहायता प्रदान करना
● आपदा प्रबंधन से सम्बंधित राहत गतिविधियाँ
● ऐसे अन्य मामले जो निर्धारित किए जा सकते हैं
कंपनियां ऐसी सामाजिक समस्याओं पर काम कर सकती हैं जैसा कि ऊपर दिया गया है और यह सुनिश्चित करना समिति की जिम्मेदारी है कि कंपनी इस पर काम करे.
दंड का क्या है प्रावधान
CSR के नियम समाज की भलाई के लिए बनाये गए और यह महत्वपूर्ण है की इन नियमो का पालन हो, और जब कोई कंपनी नियमों का पालन करने में विफल रहती है तो वे 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे. यदि कोई अधिकारी चूककर्ता के रूप में पाया जाता है तो उसे 2 लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है.
पहले 3 साल के कारावास का प्रावधान था लेकिन विरोध के बाद इसे हटा दिया गया जबकि जुर्माना बढ़ा दिया गया है.
CSR के संबंध में अन्य नियम
1. निम्नलिखित गतिविधियाँ हैं जो अब CSR के तहत शामिल नहीं हैं और कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इनमें से कोई भी गतिविधि CSR की आड़ में नहीं की जानी चाहिए , क्योंकि उन्हें स्पष्ट रूप से CSR से बाहर रखा गया है;
● ऐसी गतिविधियाँ जिन्हें कंपनी के लिए सामान्य व्यवसाय माना जा सकता है या ऐसी गतिविधियाँ जो उनके अपने कर्मचारियों की मदद करती हैं.
● राजनीतिक दल की मदद करना और योगदान देना
● देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ी को छोड़कर भारत से बाहर की गतिविधियां
2. एक कंपनी सीएसआर गतिविधियों को लागू करने के लिए अन्य कंपनियों के साथ सहयोग कर सकती है यह सुनिश्चित करके कि प्रत्येक कंपनी द्वारा अलग-अलग रिपोर्ट प्रस्तुत की जाये.
3. यह सुनिश्चित करना बोर्ड के सदस्यों की जिम्मेदारी है कि सीएसआर के लिए ऑडिट किए गए धन का उपयोग उन उद्देश्यों के लिए किया जाता है जो तय किए गए हैं.