बाल मजदूरी क्या है? बाल श्रम कराने के दोषियों की क्या सज़ा है?
नई दिल्ली: भारत में एक बड़ी आबादी आज़ादी के 75 साल बाद भी गरीबी के नीचे जीवन व्यतीत कर रही है. इस गरीबी का असर लाखों करोड़ों की संख्या में इस तबके के बच्चों के बचपन पर भी पड़ता है. कई बच्चे इस गरीबी के कारण पढाई-लिखाई छोड़कर छोटी-उम्र से ही काम काज में लग जाते है. कोई ढाबों में काम करता है तो कोई मैकेनिक की दुकानों में. हालांकि कई बार गरीबी के अलावा भी कारण होते हैं, जिस वजह से बच्चे छोटी उम्र से काम करने को मजबूर हो जाते हैं. इसमें परिवार का माहौल, परिवेश, माता - पिता से संबंध भी कारण होते है. बहरहाल कारण कुछ भी हों लेकिन भारत में बाल श्रम गैर कानूनी है और ऐसा करना दंडनीय अपराध है.
क्या है बाल श्रम
भारतीय संविधान के मूल अधिकारों के अनुच्छेद 24 के तहत भारत में बाल श्रम को प्रतिबंधित किया गया है. इसके तहत अगर किसी व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किसी 14 साल से कम उम्र के बच्चे को नियुक्त किया जाता है या उसका इस्तेमाल होता है तो ये बाल श्रम कहलाएगा.
साल 2016 में बालश्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 में कुछ संसोधन किए गए और बालश्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 2016 लागू किया गया. इसके आने के बाद किसी भी प्रकार के कार्य में 14 साल से कम उम्र के बच्चे को नियुक्त करना गैर कानूनी माना गया है।
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बाल श्रम कराने पर क्या है सजा
यदि कोई व्यक्ति किसी 14 साल या उससे कम उम्र के बच्चे को काम पर लगाता है तो उसे 2 साल तक की सजा हो सकती है साथ ही 50 हजार रूपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
ये कानून तब भी लागू होता है, जब 14 से 18 साल तक के बच्चों को खानों में, ज्वलनशील या विस्फोटकों जैसे जोखिम वाले कार्यों में लगाने पर भी लागू होगा। हालाँकि अगर अगर बच्चे फिल्मों, विज्ञापनों और टीवी उद्योग में काम हैं, तो भले ही उनकी उम्र कितनी ही क्यों न हो वो इस कानून के दायरे में नहीं आते.
अगर 14 से 18 साल के बच्चों को रोजगार दे रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान देना जरूरी है. अगर 14 से 18 साल के बच्चों के काम करने के लिए समय निश्चित नहीं है, उसके काम के लिए रजिस्टर नहीं बनाया गया है या उनकी स्वास्थ और सुरक्षा का ध्यान नहीं दिया गया है तो ऐसे में में तीन माह की सजा से लेकर 10 से 20 हजार रूपये तक का जुर्माना लग सकता है. पहली बार पकड़े जाने पर केवल जुर्माना लगता है लेकिन बार-बार पकड़े जाने पर जेल भी हो सकती है.
अपवाद
इस कानून में कुछ अपवाद भी हैं. जैसे अगर कोई बच्चा अपने स्कूल के बाद या गर्मी, सर्दी की छुटियों में अपने परिवार के व्यवसाय में उनका हाथ बड़ा रहा है तो ऐसे में ये मामला बाल श्रम में नहीं आएगा. हालाँकि यहां ये बात ध्यान देनी जरूरी है कि काम में परिवार का हाथ बटाने के काऱण उसकी पढाई में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होनी चाहिए.
इसके साथ ही जिस पारिवारिक व्यवसाय में बच्चा हाथ बटा रहा है वो व्यवसाय इस कानून के तहत परिभाषित किसी खतरनाक प्रक्रिया या पदार्थ से न जुड़ा हो.
यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि पारिवारिक व्यवसाय में माता-पिता के व्यवसाय के अलावा करीबी रिश्तेदार मसलन पिता की बहन और भाई या मां की बहन और भाई के व्यवसाय भी शामिल होंगें. जैसे ऊर्जा, बिजली उत्पादन से जुड़े उद्योग, खान या विस्फोटक पदार्थ से जुड़े उद्योग। साथ ही अगर बच्चे फिल्मों में काम कर रहे है या खेलकूद में भाग ले रहे हैं तब भी ये कानून नहीं लागू होगा.