एट्रोसिटी एक्ट क्या है? इसके तहत सजा का क्या प्रावधान किया गया है?
नई दिल्ली: जाति के नाम पर भेदभाव, यह हमारे समाज का एक ऐसा कड़वा सच है जिसे कोई भी नकार नहीं सकता. यह कितना विकराल रूप लेता जा रहा है इसका अंदाजा आप उन मामलों से लगा सकते हैं जो अक्सर खबरों में देश के विभिन्न हिस्सों से सुनाई पड़ती हैं.
समाज में आर्थिक और सामाजिक रूप से नीचे पायदान पर स्थित लोगों के साथ हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए कई तरह के कानून बनाए गए हैं. उन्ही में से एक हैं एट्रोसिटी एक्ट. जानिए क्या है यह कानून.
एट्रोसिटी कानून और सजा
एट्रोसिटी का अर्थ होता है क्रूरता, जघन्य अथवा दुष्ट पूर्ण व्यवहार. एट्रोसिटी एक्ट को वर्ष 1989 में पारित किया गया था. इसका पूरा नाम अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act), 1989 है.
Also Read
- Reservation Within Category: अनुसूचित जाति-जनजाति के अंदर सब-कैटेगरी को मिली मंजूरी, सुप्रीम कोर्ट ने ईवी चिन्नैया मामले के अपने फैसले को पलटा
- Walayar Sisters Rape Case: दुष्कर्म पीड़िताओं की मां ने पूर्व अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए किया अदालत का रुख
- क्या है Scheduled Caste से सम्बंधित Article 341 को लागू करने हेतु जारी संवैधानिक आदेश?
यह एक विशेष प्रकार का कानून है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 15 (4) के अंतर्गत बनाया गया था. यह कानून दलित वर्ग के लिए एक विशेष प्रावधान करने की छूट देता हैं. जिसके अनुसार उत्पीड़ित अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की उत्पीड़न की घटनाओं में विभिन्न चरणों में आर्थिक सहायता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है.
इस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज होते ही विभाग द्वारा पहले चरण में लाभार्थी को त्वरित आर्थिक सहायता पहुंचाने का प्रावधान किया गया है. अगर आरोपी व्यक्ति का अपराध साबित हो जाता है तो उत्पीड़ित व्यक्ति को 40 हजार रुपए से लेकर पांच लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है.
आर्थिक सहायता
इस कानून के अनुसार पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक मदद पहुंचाने की एक निश्चित प्रक्रिया होती है. जिसके अनुसार प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को अपराध का स्वरूप एवं गंभीरता को देखते हुए भुगतान किया जाएगा, जैसे अगर अपमान, क्षति अथवा मानहानि का केस है तो उसके अनुसार ही भुगतान होगा है.
यह भुगतान एक साथ नहीं, बल्कि कुछ प्रतिशत में होगा जैसे -जिस समय आरोप पत्र कोर्ट को भेजा जाएगा उस समय पीड़ित को 25 प्रतिशत, जबकि निचली कोर्ट द्वारा दोष सिद्ध होने पर 75 प्रतिशत का भुगतान करने का नियम है.
एक्ट में शामिल अपराध
.क्षति पहुंचाना, अपमानित अथवा क्षुब्ध करना। धारा 3(1)(ii)
. अनादर सूचक कार्य धारा 3(1)(iii)
.भूमि परिसर अथवा जल से संबंधित। धारा 3(1)(v)
.बेगार अथवा बाल श्रम अथवा बंधुआ मजदूरी धारा 3(1)(vi)
.मतदान के अधिकार के संबंध में। धारा 3(1)(vii)
.किसी महिला की लज्जा भंग करना। धारा 3(1)(xi)
.किसी को निवास स्थान छोड़ने पर मजबूर करना। धारा 3(1) (xv)
.किसी लोकसेवक के हाथों उत्पीड़न। धारा 3(2)(vii) आदि