शपथपत्र किसे कहते हैं और इसका क्या है कानूनी महत्व?
नई दिल्ली: आपने अक्सर सुना होगा कि जब किसी को कानूनी रूप से अपना नाम बदलना होता है या फिर विवाह के पंजीकरण करवाना होता है या फिर तलाक के लिए आवेदन करना होता है तो लोग शपथ पत्र (Affidavit) बनवाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शपथ पत्र होता क्या है और कानूनी रूप से इसका क्या महत्व है.
शपथ पत्र को हलफनामा भी कहा जाता है. आसान भाषा में अगर कहा जाए तो शपथ का अर्थ किसी बात के लिए कमिटमेंट करना होता है. यानि शपथ पत्र बनवाने वाला व्यक्ति किसी बात को करने या नहीं करने का वचन क़ानूनी रूप से लेता है.
शपथ पत्र (Affidavit) क्या है
लिखित वादे को शपथ पत्र कहा जाता है. शपथ पत्र या हलफनामे को बनवाने के लिए आपको नोटरी से संपर्क करना पड़ता है. नोटरी यह एक बड़ी चर्चित कानूनी व्यवस्था है. नोटरी किसी दस्तावेज को तस्दीक करने के लिए इस्तेमाल की जाती है.
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राज्य और केंद्र सरकार अपने कार्य भार को कम करने के लिए कुछ वकीलों को नोटरी के रूप में नियुक्त कर देती है. जैसे अगर आप अपना कानूनी रूप से नाम बदलने के उद्देश्य से शपथ पत्र बनवा रहे हैं तो इसके लिए आपको नोटरी से संपर्क कर दस रुपये के स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र (Affidavit) बनवाना होगा. नोटरी जरुरी स्टाम्प पेपर पर नाम बदलवाने के लिए शपथ पत्र तैयार करवाता है.
सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत शपथपत्र
सिविल प्रक्रिया संहिता (Code of Civil Procedure) में शपथ पत्र का जिक्र किया गया हैं. CPC की धारा 139 और आदेश 19 में शपथ पत्र से संबंधित प्रावधान किए गए हैं. धारा 139 की बात करें तो इसमें यह बताया गया है कि शपथ पत्र के लिये शपथ किसके द्वारा दिलाई जाएगी जैसे;
१. कोई भी न्यायालय या मजिस्ट्रेट, अथवा (क-क) नोटरी अधिनियम, 1952 (1952 का 53) के अधीन नियुक्त नोटरी, अथवा
२. कानून के मुताबिक ऐसा कोई भी अधिकारी या अन्य व्यक्ति, जिसे उच्च न्यायालय ने इस काम के लिए नियुक्त किया है, अथवा किसी ऐसे न्यायालय द्वारा, जिसे राज्य सरकार ने इस निमित्त साधारणतया या विशेष रूप से सशक्त किया है कि नियुक्त किया गया कोई भी अधिकारी,अभिसाक्षी को शपथ दिला सकेगा.
धारा 139 की माने तो कोर्ट या मजिस्ट्रेट, या फिर नोटरी अधिवक्ता या फिर सरकार द्वारा नियुक्त किया गया शपथ आयुक्त शपथ पत्र तस्दीक कर सकता है.
यहां आपको बता दें कि शपथपत्र का उपयोग मुख्यतः किन- किन उद्देश्यों के लिए होता है -
शपथपत्र का उपयोग तलाक के मामले में, संपत्ति विवाद, कर्ज को लेकर विवाद, प्राप्त कानूनी दस्तावेजों की पुष्टि, नाम परिवर्तन सत्यापन,
आवासीय पता सत्यापन, पहले बच्चे का प्रमाण पत्र, विवाह पंजीकरण आदि कार्यों में किया जाता है.
शपथपत्र का फॉर्मेट और गाइडलाइंस
सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 19 नियम 6 में शपथ पत्र का फॉर्मेट और गाइड लाइन से संबंधित प्रावधान किए गए है, जहां यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि शपथ पत्र कैसा होना चाहिए.
नियम 6 में शपथ पत्र का रूपविधान (Framework) और मार्गदर्शन (Guide) दिया गया है जिसके अनुसार;
(क) हर शपथ पत्र में ऐसी तारीखों और घटनाओं के बारे में बताया जाएगा, जो किसी तथ्य या उससे संबंधित किसी अन्य विषय को साबित करने के लिए सुसंगत हैं.
(ख) अगर न्यायालय को आपके शपथ पत्र के कुछ भाग सही नहीं लगें तो वह न्यायालय, आदेश द्वारा शपथ पत्र या शपथ पत्र के ऐसे भागों को, जो वह ठीक और उपयुक्त समझे, हटा सकता.
(ग) शपथ पत्र का प्रत्येक पैरा, यथासंभव, विषय के सुभिन्न भाग तक सीमित होगा.
शपथपत्र में यह बताना जरूरी
(i) शपथ पत्र में कौन से कथन अभिसाक्षी ने निजी ज्ञान से किए हैं और कौन से सूचना और विश्वास पर किए हैं; और
(ii) सूचना या विश्वास के किसी विषय का स्त्रोत क्या है.
(ङ) (i) शपथपत्र के पृष्ठों को पृथक् दस्तावेज (या किसी फाइल में अंतर्विष्ट विभिन्न दस्तावेजों को एक रूप में है) के रूप में क्रमवर्ती रूप से संख्यांकित करना होगा;
(ii) शपथपत्र संख्यांकित पैरा में विभाजित होगा;
(iii) शपथपत्र में सभी संख्याएं, जिसके अन्तर्गत तारीखें भी है, अंकों में अभिव्यक्त होंगी; और
(iv) यदि शपथ पत्र के पाठ में निर्दिष्ट दस्तावेजों में से किसी को किसी शपथ पत्र या किसी अन्य अभिवचन से उपाबद्ध किया जाता है तो ऐसे उपबंधों और ऐसे दस्तावेजों, जिन पर निर्भर किया जाता है, की पृष्ठ संख्याएं देनी होगी.